नये साल में

पूछा जो हमने खत में
दिल का हार यार से
ई. सी. जी. कराकर उसने
भेज दिया बड़े प्यार से
मन्दी के दौर में लोगों का हाल है निराला
अब पीते हैं देशी ठर्रा पहले जाते थे मधुशला

जाओ बीते वर्ष


जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी !
जो भी सपने देख्‍ो हमने
किए तुम्‍हीं ने पूरे ।
बहुत प्रयास किए लेकिन
अब तक कुछ रहे अधूरे ।
माना नए वर्ष में ये
सपने पूरे हो जाएँगे ।
और हमारी आशाओं के
नए पंख लग जाएँगे ।
किंतु किसी टूटे सपने की
फिर भी याद सताएगी !
जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी !
अगर बिछुड़ते हैं कुछ तो
कुछ नए मीत भी मिलते हैं ।
जिनके साथ बैठकर हम
सुख-दुख की बातें करते हैं ।
माना नए मिले साथी भी
मन को भा ही जाएँगे ।
उनके साथ ख्‍ोल-पढ़ लेंगे
संग-संग मुस्‍काएँगे ।
किंतु किसी बिछुड़े साथी की
फिर भी याद रुलाएगी !
जाओ बीते वर्ष,
तुम्‍हारी बहुत याद तड़पाएगी !

लाइसेंस बनवाऊंगा

यातायात पुलिस ने एक कार को रोका। ड्राइवर - सीट पर बैठे आदमी ने कहा : ' लेकिन इंसपेक्टर साहब , मैं तो गाड़ी ठीकठाक चला रहा था। ' ' जी हां ,' इंस्पेक्टर बोला , ' दरअसल , आज हमने फैसला किया कि बेहतरीन ड्राइवर को 2000 रुपए का इनाम दिया जाएगा। आप बहुत बढि़या तरीके से कार चला रहे थे। ये लीजिए 2000 रुपए। लेकिन यह बताइए कि आप इन रुपयों का क्या करेंगे ?' ' जी , मैं यह रकम किसी दलाल को दे कर अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाऊंगा। '

नव संवत्सर

प्रिय साथियों ..........

आज का दिन हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है,

आज ही के दिन हमारा नव संवत्सर प्रारम्भ होता है,

प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक,
सम्राट विक्रमादित्य द्वारा शकों का दमन,
आज के दिन स्वामी दयानंद स्वामीजी ने आर्य समाज की स्थापना की थी !!
नवरात्री स्थापना,
महर्षि गौतम का जन्मदिवस,
संत झुलेलाल का प्रकाश पर्व,
चेती चाँद का त्यौहार,
गुडी पडवा त्यौहार (महराष्ट्र)
उगादी त्यौहार (दक्षिण भारत)

आपको विक्रम संवत 2066 एवं समस्त भारतीय त्योहारों के शुभ अवसर पर शत शत बधाइयाँ.

आदर सहित


!!!!! निर्भय जैन !!!!!
१६९ सिन्धी कालोनी,
लश्कर, ग्वालियर - ४७४००१
९४२५४-०१४१९

शिव भक्त की जिद


एक आदमी ने घनघोर तपस्या की और शिवजी को प्रसन्न कर लिया।
शिवजी बोले - बेटा, मैं तुझसे बहुत खुश हूं। कोई वरदान मांग ।
भक्त बोला - प्रभु, मुझे एक गिटार दे दो।गिटार !
कैसा गधा है। शिवजी ने सोचा ।
कोई गिटार के लिए भी तपस्या करता है।
बोले - बेटा, तूने बड़ी तपस्या की है। कुछ बड़ा मांग। चिन्ता मत कर, सब कुछ मिलेगा।
भक्त बोला - नहीं प्रभु, मुझे तो सिर्फ एक गिटार चाहिए बस !
शिवजी समझाने लगे - बेटा, कुछ ढंग का मांग। मेरी रेपुटेशन का तो खयाल कर। गिटार भी कोई मांगने की चीज है भला।
परंतु भक्त भी जिद पर अड़ा हुआ था, बोला - नहीं प्रभु, अगर देना है तो बस गिटार ही दो !
अब शिवजी को गुस्सा आ गया, बोले - गिटार ! गिटार ! गिटार ! अबे अगर गिटार मेरे पास होता तो मैं ये डमरू क्यों बजाता फिरता ............ ......... ......... .....

अल्हड बीकानेरी की रचना

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiyYK8xzdPjbm7TEVAf5knWg0RqdTRIR5HEq2iO4gcoZR4qSas7LJNM_baQsag69NPoBuC4Sv9FP94jAiiSWJE23nf08rCZvg01Uo98_udTK-mZlqF0BvUFZ8o6kX35yx-9BS9BY_zXj50s/s320/bharat+neta-1.jpg

जो बुड्ढे खूसट नेता हैं, उनको खड्डे में जाने दो ।
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो ।

मेरे भाषण के डंडे से
भागेगा भूत गरीबी का ।
मेरे वकत्तव्य सुनें तो झगडा
मिटे मियां और बीबी का ।

मेरे आश्वासन के टानिक का
एक डोज़ मिल जाए अगर,
चंदगी राम को करे चित्त
पेशेंट पुरानी टी बी का ।

मरियल सी जनता को मीठे, वादों का जूस पिलाने दो,
बस एक बार, बस एक बार, मुझको सरकार बनाने दो ।

पिटाई के असीमित आनंद



एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा वे पिटे। शान से पिटे।
कई लोगो के लिए पिटाई जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। यह उनकी सफलता का चोर मार्ग भी है। ऐसे लोगो के लिए पिटना नित्यकर्म के समान होता है। वे निरंतर निर्विकार भाव से पिटते रहते है। जिस प्रकार लहर के थपेडे किनारे की गंदगी को दूर कर देते है उसी प्रकार पिटता हुआ व्यक्ति अपनी मनोविकृतियो से शीघ्र मुक्त हो जाता है।
पिटना अद्भुद कला है। इसमें लालित्य के साथ मधुरता घुली मिली होती है। पिटने पर असीमित आनंद की प्राप्ति हेाती है। पिटार्थी (पिटने वाले) को लक्ष्य प्राप्त करने में देरी नहीं लगती। पिटाई भी कई तरह की होती है। एक पिटाई वह है जिसमे किसी पतिवृता को छेड़ दिया और जूते खा लिए। चोरी या जेबकतरी करते हुए पकडे़ गये और बडी बेरहमी से पीटे गये। ट्रेन में बेटिकट पकडे गये और तबियत से धुने गये। इस तरह के पिटने वाले समाज में कोढ़ के समान होते है। दुनियां उन पर थूकती है। चोरी करते, जेबकतरी करते या किसी युवती को छेड़ते पकडे जाने में ग्लानि, निराशा तथा असफलता छिपी होती है। वह पिटाई (जिसका मै समर्थक हूं) उसमें आनंद, श्रद्धा और सम्मान है। पिटने पिटने में फर्क है। जब जी में आये तबियत से पिटे और आनंददायक, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करें। पिटता हुआ व्यक्ति अपने अनुकूल मार्ग स्वयं खोज लेता है। उच्च श्रेणी के पिटने वाले योजनाद्ध तरीके से पिटते है। इसके लिए उन्हें विशेष प्रयास करने पड़ते है। अन्यथा पिटने का सौभाग्य विरलो को ही प्राप्त होता है।
संत कबीर कहते है कि:- लाठी में गुण बहुत है सदा राखिये संग ---- । प्रत्येक बुद्धिजीवी जो स्वंय को छोड़कर दुनियां के बारे में दिनरात चिन्तन कर पगलाता रहता है। उसे एक अच्छी तेल पिलाई हुई लाठी अपने पास रखना चाहिए। ज्येांही कोई पिटाई लायक विचार सूझे तुरंत अपने आप को दो चार लाठी जड़ ले। वह इससे तुरंत अपने अनुकूल परिणाम प्राप्त सकता है। संत कबीर ने लाठी रखने का सुझाव दिया है। किसी और पर प्रहार करने की सलाह तो उन्होने भूलकर भी नही दी है। यदि लाठी का उपयोग दूसरों पर किया गया तो आप पीटने वाले हो गये। इस स्थिति में आपका पतन सुनिश्चित है।
राजनीति, धर्म, समाजसेवा एवं अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऐसे कितने ही लोग है जो पिट कर ही उच्च स्थानों पर आसीन है। यदि वे न पिटे होते तो सड़क पर धक्के खा रहे होते। पिटते समय दुखी रहने वाले मन ही मन प्रसन्न होते होगे कि चलो अच्छा हुआ समय रहते पिट लिए। यदि न पिटते तो शिखर पर कैसे पहुचते। अब्राहिम लिकन जीवन भर पिटते रहे। थपेडे खाते रहे। अंत में सफल हुए। अमेरिका के राष्ट्रपति बने।उन्हें साधारण वकील से राष्ट्रपति जैसा महत्वपूर्ण पद पिटने पर ही प्राप्त हुआ। अतः पिटाई वह कला है जो राष्ट्रनायक बना सकती है। वांछित लक्ष्य तक पहुचा सकती है। सभी मनोकामनाएं समय रहते पूरी कर सकती है।
किसी विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय को छात्रो ने उनके कक्ष में जाकर पीटा। छात्र उन्हे पीट पाट कर भाग गये। कुलपति महोदय ने उन छात्रो की रिपोर्ट करना भी आवश्यक नही समझा। वे रातो रात मीडिया की आंखो का तारा बन गये। छात्रों को क्या मिला? अपयश, बदनामी तथा अंधकारपूर्ण जीवन। दूसरी ओर कुलपति महोदय राज्यपाल बनाकर किसी अन्य राज्य मे पदस्थ कर दिये गये। उन्होने मन ही मन सोचा होगा कि पीटने वालो, उल्लू के पटठो, मैं तो चला राज्यपाल बनकर। तुम लटकते रहो सिटी बसो में, खाते रहो
धक्के जीवन भर। अतः कहा जा सकता है कि पिटना और सफल होना समानुपातिक क्रिया है। जो जितना ज्यादा पिटता है वह उतना ही सफल हो जाता है।
एक देहाती कहावत है “गुरूजी मारे धम्म धम्म विद्या आवै छम्म छम्म”। जिन्होने बचपन में गुरूजी के लात घूसों का स्वाद लिया था वे आज सम्मानजनक पदों पर है। जिस व्यक्ति की बचपन में, स्कूलों में, जितनी अधिक पिटाई हुई वह उतना ही निखरता गया। दूसरी ओर जो बचपन में ऐनकेन प्रकारेण पिटाई से बचते रहे क्या हुआ उनका? कोई नाम लेने वाला भी नहीं है। गूलर के फूल के समान जीवन यापन कर रहे ऐसे लोगो के पास कोई फटकना भी नही चाहता।
पीटने वालो को आम जनता जल्दी भूल जाती है। लेकिन जो पिटता है वह जीवन भर याद रहता है।

जैसे चुनाव में हारा हुआ नेता तथा उसकी मुख मुद्रा हमेशा याद रहती हैं। आम जनता को आश्वासनों वायदों तथा नारों से पीटने वाला कितने दिन याद रह पाता है? अगली वार वह धूल चाटता हुआ दिखाई देता है। अतः पीटने वाला क्षणभंगुर है। पिटने वाला नश्वर। पीटने वाला पीटते ही मर जाता है। उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है। दूसरी ओर पिटने वाला अमर हो जाता है। दुनियां उसे हर रूप में याद रखना चाहती है।
संस्कृत में श्लोक है -

विद्या ददाति विनयं विनयादृयाति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्रोति धनाद् धर्मम्ततः सुखम।।


विद्या से विनयशीलता लपकती हुई आती है। विनय से व्यक्ति हर प्रकार से योग्य बन जाता है। योग्यता आते ही धन कमाने युक्तियां सूझने लगती है। जिसके पास अनापशनाप धन है वही धर्म कर्म कर सकता है। यदि जाने अनजाने में भी धर्म कर्म किया है तो सुख मिलना सुनिश्चित है। श्लोक के प्रारंभ में विद्या को महत्व दिया गया है। विद्या ही वह कारक है जो विनयशीलता, पात्रता, धन, धर्म तथा सुख का कारण बनती है। लेकिन विद्या किस प्रकार आती है? विद्या बचपन में गुरूजी के हाथों पिटने से आती है। अतः पिटना ही वह कारक हे जिसके बिना सब कुछ असंभव है। जो जीवन मे कभी पिटा नही वह विनम्र्र कैसे हो सकता है?
गांधीजी अफ्रीका में पिटे। भारत में स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो के हाथ कई बार अपमानित किये गये। अंत मे देश को आजाद कराने मे सफल हुए। अनेकों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंगे्रजो की मार खाई। वे सफल रहे। क्या स्वतंत्र भारत की कल्पना उन रणबांकुरो की पिटाई के बिना संभव थी? दूसरी ओर उनका कोई नाम लेने वाला भी नही बचा जिन्होने पीटने वालो (अंग्रेजों) का साथ दिया। पिटने वाले, संघर्ष करने वाले, सर्वत्र नियौछावर कर देने वाले शहीद कहलाये। जिन्होंने पीटने वालो का साथ दिया वे क्षण मात्र के लिए कुकरमुत्ते के समान उदित हुए। फिर हमेशा के लिए नष्ट हो गये।
पिटना हमेशा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। यह स्फूर्ती देता है। इससे वलबीर्य की वृद्धि होती है। पिटने वाले के विकार शरीर से बाहर आ जाते हैं। त्वचा कंचन हो जाती है। पिटना धैर्य मांगता है। यह समय लेता है। इसमें कुछ समय के लिए कष्ट के साथ साथ मानसिक आघात भी सहना पड़ते हैं। पिटने वाले को तत्काल तो पिटाई का स्वाद कडवी कुनैन के समान लगता है। भोजन से अरूचि हो जाती है। लेकिन पिटाई के दीर्घ कालीन फायदों का तो कहना ही क्या? पिटने वाला अच्छा समय आते ही पीटने वालों पर भारी पड़ जाता है। वह स्वच्छ रात्रि में नक्षत्र बनकर चमकता है। धूमकेतु के समान अपनी आभा चारो ओर बिखेरता रहता है।
इसलिए प्रिय पाठको पिटना सीखो। जमकर पिटना सीखो, हॅसकर हॅसकर पिटना सीखो। जितना
अधिक पिटोगे उतनी ही अधिक प्रसिद्धि प्राप्त करोगे। अपने आप को सर्वोच्च शिखर पर स्थापित कर सकोगे।

सासू स्तोत्र

http://www.mantramom.com/uploads/image/prayerpose.jpg

दोहाः मेरे पति की मात हे सदा करव कल्याण..

तुम्हरी सेवा में न कमी रहू हरदम रखूं ध्यान//

जय जय जय सासू महरानी हरदम बोलो मीठी वाणी.

तुम्हरी हरदम करवय सेवा फल पकवान खिलाउब मेवा//

हम पर ज्यादा करो न रोष हम तुमका देवय न दोष.

तुम्हरी बेटी जैसी लागी तुम्हारी सेवा म हम जागी//

रूखा-सूखा मिल के खाबय करय सिकायत कहू न जावय

पति देव खुश रहे हमेशा उनके तन न रहे क्लेशा.

इतना वादा कय लिया माई फिर केथऊ कय चिंता नाही//

जीवन अपना चम-चम चमके फूल हमरे आंगन म गमके.

जैसी करनी वैसी भरनी तुम जानत हो मेरी जननी//

संस्कार कय रूप अनोखा कभौ न होय हमसे धोखा.

हसी खुशी जिनगी बीत जाये सुख दुख तो हरदम आये//

दोहाः रोग दोष न लगे ई तन मा.जाता रहे कलेश

सासू मॉ की सेवा जो करे खुशी रहे महेश..

बोलो सासू माता की जै,,


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वीरेन्द्र जैन की व्यंग्य कविता

जय हो!

http://kakarun2000.blog.co.in/files/2009/02/jai-ho1.jpg

जय हो, जय हो, जय हो, जय हो, जय हो जय हो

लूट मार के बाद सभी का अपना हिस्‍सा तय हो

जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो

दल बदलू वोटों की जय हो

संसद में नोटों की जय हो

लोकतंत्र की इस चौपड़ में

अमरीकी गोटों की जय हो

सीनाजोरी करता फिरता हर दलाल निर्भय हो

जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो

सच पर प्रतिबंधों की जय हो

जाँचों के अन्‍धों की जय हो

लोकतंत्र के नाम चल रहे

सब काले धंधों की जय हो

मतलब तो सीधा सपाट पर पेंचदार आशय हो

जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो

पंजों की कमलों की जय हो

कांटों के गमलों की जय हो

कन्‍याओं पर राम नाम की

सेना के हमलों की जय हो

गूंगी जनता बहरा शासन अंधा न्‍यायालय हो

जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो जय हो

खुश रहो

खुश रहो
जिंदगी है चोटी , हर पल में खुश रहो ...

ऑफिस में खुश रहो

घर में खुश रहो

आज पनीर नही है ,

दाल में ही खुश रहो

आज जिम जाने का समय नही

दो कदम चल के ही खुश रहो


आज दोस्तों का साथ नही

टीवी देख के ही खुश रहो

घर जा नही सकते तो फ़ोन कर के ही खुश रहो

आज कोई नाराज़ है , उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो ....

जिसे देख नही सकते उसकी आवाज़ में ही खुश रहो ...

जिसे पा नही सकते उसकी याद में ही खुश रहो

लैपटॉप न मिला तो क्या

डेस्कटॉप में ही खुश रहो

बिता हुआ कल जा चुका है , उससे मीठी यादें है , उनमे ही खुश रहो ...



आने वाले पल का पता नही ... सपनो में ही खुश रहो



हस्ते हस्ते ये पल बीतेंगे , आज में ही खुश रहो
जिंदगी है चोटी , हर पल में खुश रहो

हलवाई ने कविता लिखी

तुम्हारे रूप की चाशनी में

मन को डुबोया है

माखन सा शरीर

मलाई सा रंग है

मन "खोया खोया" है

गुलाबजामुन सी लग रही हो

जैसे रस मैं डुबोया है

मन "खोया खोया" है

मन "खोया खोया" है




तीन सयाने


एक पुलिस ऑफिसर तीन 'सयानों' से बात कर रहा था जो कि 'जासूसी' का प्रशिक्षण ले रहे थे। व्यक्ति विशेष को पहचानने के उनके कौशल कै परीक्षा लेने के लिए उसने पहले 'सयाने' को एक तस्वीर 5 सेकण्ड तक दिखायी और फिर उसे हटा लिया। "ये संदेहास्पद व्यक्ति है। आप इसे कैसे पहचानेंगे।"

पहले ने जवाब दिया "ये तो आसान है। हम उसे पकड़ लेंगे क्योंकि उसकी केवल एक आंख है।"

पुलिस ऑफिसर ने कहा "अरे वो तो ऐसा इसलिए दिख रहा है क्योंकि तस्वीर इस ढंग से ली गयी है।"

इस ऊटपटांग जवाब से थोड़ा निराश और गु.स्से में आकर उसने वो तस्वीर 5 सेकण्ड दूसरे 'सयाने' को दिखायी और फिर पूछा "ये आपका सन्देहास्पद व्यक्ति है। आप इसे कैसे पहचानोगे।"

दूसरे सयाने ने हंसते हुए कहा "इसे पकड़ना तो बहुत ही आसान है क्योंकि इसका केवल एक ही कान है।"

पुलिस ऑफिसर ने ग़ुस्से में आकर कहा "तुम दोनों के साथ दिक्कत क्या है। ठीक है इस इस तस्वीर में केवल एक कान और एक आंख दिख रही है मगर ऐसा इसलिए है क्योंकि ये तस्वीर बगल से खींची गयी है। क्या यही तुम्हारी सोच है।"

बेहद हताश से पुलिस ऑफिसर ने तीसरे 'सयाने' को तस्वीर दिखायी और अपने को शांत बनाये रखते हुए पूछा "यह तुम्हारा अपराधी है। तुम इसे कैसे पहचानोगे।"

और उसने तुरंत जोड़ा "बेवकूफाना जवाब देने से पहले अच्छी तरह सोचो।"

तीसरे सयाने ने एक क्षण के लिए तस्वीर को देखा और कहा "हूं . . . . . अपराधी कॉन्टेक्ट लेन्स पहनता है।"

पुलिस ऑफिसर स्तब्ध और विस्मित सा हो गया क्योंकि उसे खुद पता नहीं था कि वो कॉन्टेक्ट लेन्स पहने है या नहीं। "ये एक अच्छा जवाब है . . . . । कुछ देर यहीं रूकना तब तक मैं इसकी फाइल की जांच करके मालूम करता हूं। वह अपने ऑफिस गया और कम्प्यूटर पर उस व्यक्ति की फाइल देखी और एक बड़ी सी मुस्कान लिए वापस आया। "वाह। मैं तो विश्वास न्हीं कर पा रहा हूं। यह सही है। अपराधी वास्तव में कॉन्टेक्ट लेन्स पहनता है। बहुत अच्छे। इतना अच्छे निष्कर्ष का तुमने कैसे अनुमान लगाया।"

'ये तो बहुत आसान है।' सयाने ने जवाब दिया। 'वो सामान्य लोगों की तरह चश्मा तो पहन नहीं सकता क्योंकि उसकी केवल एक आंख है और एक कान।"

हुल्लड मुरादाबादी की रचना

ज़िन्दगी़ में मिल गया कुरसियों का प्यार है
अब तो पांच साल तक बहार ही बहार है
कब्र में है पांव पर
फिर भी पहलवान हूँ
अभी तो मैं जवान हूँ


सोयी है तक़दीर ही जब पीकर के भांग
मंहगाई की मार से टूट गयी है टांग
तुझे फोन अब नहीं करूंगा
पी सी ओ से हांगकांग
मुझसे पहले सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग


तू पहले ही है पिटा हुआ ऊपर से दिल नाशाद न कर
जो गयी जमानत जाने दे वह जेल के दिन अब याद न कर
तू रात फोन पर डेढ़ बजे विस्की रम की फरियाद न कर
तेरी लुटिया तो डूब चुकी ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर


इक चपरासी को साहब ने कुछ ख़ास तरह से फटकारा
औकात न भूलो तुम अपनी यह कह कर चांटा दे मारा
वह बोला कस्टम वालों की जब रेड पड़ेगी तेरे घर
सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा

राहत इंदौरी की रचना

दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राए ली जाए

मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में
अब कहां जा के सांस ली जाए

बस इसी सोच में हूं डूबा हुआ
ये नदी कैसे पार की जाए

मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे
आज फिर कोई भूल की जाए

बोतलें खोल के तो पी बरसों
आज दिल खोल के भी पी जाए

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कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं

रात के साथ गई बात मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहां
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं

आंसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो
मैं ने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं

जाने कुआ टूटा है पैमाना दिल है मेरा
बिखरे बिखरे हैं ख़यालात मुझे होश नहीं

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चेहरों की धूप आंखों की गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया

डूबे हुए जहाज़ पे क्या तब्सरा करें
ये हादसा तो सोच की गहराई ले गया

हालांकि बेज़ुबान था लेकिन अजीब था
जो शख़्स मुझसे छीन के गोयाई ले गया

इस वक़्त तो मैं घर से निकलने ना पाऊंगा
बस इक कमीज़ थी जो मेरा भाई ले गया

झूठे क़सीदे लिखे गए उस की शान में
जो मोतियों से छीन के सच्चाई ले गया

यादों की एक भीड़ में साथ छोड़ कर
क्या जाने वो कहां मेरी तन्हाई ले गया

अब असद तुम्हारे लिए कुछ नहीं रहा
गलियों के सारे संग तो सौदाई ले गया

अब तो खुद अपनी सांसे भी लगती हैं बोझ सी
उम्रों का देव सारी तन्हाई ले गया

डॉ कुमार विश्वास की रचना

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है
ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है !!!


समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आसुँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता ,
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता !!!


मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं
जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है !!!



भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का
मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

शायरी

आंसुओ को लाया मत करो,
दिल की बात बताया मत करो,
लोग मुठ्ठी मे नमक लिये फिरते है,
अपने जख्म किसी को दिखाया मत करो।


लम्हो मे जो कट जाए वो क्या जिंदगी,
ऑसुओ मे जो बह जाए वो क्या जिंदगी,
जिंदगी का फलसफां हि कुछ और है,
जो हर किसी को समझ आए वो क्या जिंदगी ।

सूरज पास न हो, किरने आसपास रहती है,
दोस्त पास हो ना हो, दोस्ती आसपास रहती है,
वैसे ही आप पास हो ना हो लेकिन,
आपकी यादें हमेशा हमारे पास रहती है.

सोचते थे हर मोड पर आप का इंतेज़ार करेंगे..
पर, पर, पर, पर, पर, पर, पर, पर, पर,
कम्भाकत सड़क ही सीधी निकली...

हम ने माँगा था साथ उनका,
वो जुदाई का गम दे गए,
हम यादो के सहारे जी लेते,
वो भुल जाने की कसम दे गए!

आपके दिल में बस्जयेंगे एस एम एस की तरह.,.,
दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह.,.,
दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह.,.,
सिर्फ आप बीजी ना रहना नेटवोर्क की तरह.....

खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नहीं था,
खिड़की से देखा तो रस्ते पे कोई नहीं था,
रस्ते पे जा के देखा तो खिड़की पे कोई नहीं था...

बिहार का बेटा

बेचारे गाँधी जी

तीन महापुरुष एक साथ घूम रहे थे जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं: -
महात्मा गाँधी, अमिताभ बच्चन, और जवाहर लाल. 
इन सबको संडास जाना था और इन सबके पास एक रेडियो था. इन लोगो ने एक-दूसरे से कहा की…. जब एक संडास जाएगा तो रेडियो मैं उसके लिये.. एक गाना चलाया जाएगा……. 

अब सबसे पहले अमिताभ बच्चन गए.. और जब वो बाहर आये तो बहुत खुश थे. बाकी दोनो ने उनसे उनकी खुशी का कारन पूछा तो उन्होंने बताया की उनकी बरी में “आशीक बनाया अपने” गाना बजा और उन्होंने बड़े मेज़ से संडास कीया…………………………………………. 

अब दुसरे नम्बर पर जवाहर लाल संडास को जाते हैं ……………………………………………………. और वो भी जब बाहर आये तो बहुत खुश थे. बाकी दोनो ने भी उनसे उनकी खुशी का कारन पूछा तो उन्होंने बताया की उनकी बरी में “भीगे होठ तेरे” गाना बजा और उन्होंने बड़े मेज़ से संडास कीया………

अब गाँधी जी की बारी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, वो भी संडास को गए………………………………. लेकीन जब वो संडास से वापस आये तो…………… बड़े गुस्से में थे……………………………………… जब बाकी दोनो ने उनसे पूछा की वो इतने गुस्से में क्यों हैं………………………………………………… तब उन्होंने गुस्से में बताया की मेरी बारी में…….. राष्ट गान कीसने लगाया………………………….. हा हा हा हा हा हा हा हा हा अह आहा हा हा हा हा

मजेदार चुटकले


लड़का: तुम गाना बहुत अच्छा गाती हो. 
लडकी: नहीं, में तो सिर्फ बाथरूम सिंगर हूँ. 
लड़का: तो बुलाओ ना कभी, महफिल जमाते हैं।

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जय वीरू से: तू बहुत दिन से नौकरी तलाश रहा है, जल्दी से अपना प्रार्थना पत्र हच कंपनी को भेज दे. बहुत अच्छी आफर दे रहे हैं.
वीरू: वहां क्या काम करना पडेगा. 
जयः कुछ नहीं, उनका कुत्ता मर गया है और अब वे विज्ञापन में कुत्ते की जगह बंदर की तलाश कर रहे हैं.
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एक औरत दुसरी से: जब तेरा तलाक हुवा था तब तो एक ही बच्चा था और अब ३ कैसे? 
दुसरी बोली: वो कभी कभी माफ़ी मँगाने आ जाते थे… 

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श्याम ने अपने दोस्त सुरजीत से पूछा, सुरजीत भाई, अपने घर के बाहर खडे क्यो हो और यह चोटे कैसे लगी ? सुरजीत: हुआ यूं कि…। 
श्याम: कितनी बार कहा कि लोगों से झगडा मत किया करो। कमब्खत ने मार कर तेरा बुरा हाल कर दिया। बुरा हो उस का किडे पडे उसे..। 
सुरजीत: बस बस मै अपनी पत्‍नी के बारे मे और गलत बातें नही सुन सकता।

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एक आदमी की कई सालों बाद पुराने मित्र से भेंट हुई ।
मित्र ने पूछा - ''कहो, दाम्पत्य जीवन सुखी तो है ?'' 
''सुखी तो नहीं कह सकता, पर मनोरंजक अवश्य है'' - आदमी ने बताया। 
''वह कैसे ?'' - मित्र ने प्रश्न किया। 
''यार, हम लड़ते हैं और पड़ोसियों का मनोरंजन होता है।'' - आदमी ने कहा।

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1 दोस्त दूसरे दोस्त से कहता है 
1 दोस्त : ओह यार मैं बड़ी मुश्किल में हूँ … मेरी बीवी मुझसे एक पप्पी का एक रुपया लेती है ..! 
2 दोस्त : ओह यार तू बड़ा खुश्नाशीब है औरों से तो वो 5 रूपये लेती है .

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संता अपनी खूबसूरत बीबी के साथ कार में बैठा। ड्राइवर ने शीशा इस तरह सेट किया कि उसकी बीबी उसमें नजर आने लगी।
संता यह देखकर ग़ुस्से में बोलाः बदमाश, मेरी बीबी को देखता है... ...पीछे बैठ... कार मैं चलाऊंगा!

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तीन गुना लगान



कुछ बाते हमसे किया करो


कुछ बातें हम से सुना करो,
कुछ बातें हम से किया करो ।


मुझे दिल की बात बता दो,
तुम होंठ न अपने सिया करो ।


जो बात लबों तक न आए,
वो आँखों से कह दिया करो ।


कुछ बातें कहना मुश्किल हैं,
तुम चेहरे से पढ़ लिया करो ।


जब तनहा तनहा होते हो,
अवाज मुझे तुम दिया करो ।


हर धरकन मेरे नाम करो,
हर साँस मुझको दिया करो ।


जो खुशियाँ तेरी चाहत हैं,
मेरे दामन से चुन लिया करो ।


कुछ बाते हमसे किया करो
यू होठों को न सिया करो।

पत्नी चालीसा

नमो-नमो पत्नी महारानी, 
तुम्हारी महिमा कोई ना जानी ... || 1 || 

हमने समझा तुम अबला हो , 
पर तुमतो सबसे बड़ी बाला हो ... || 2 || 

जिस दिन हाथ में बेलन आवे , 
उस दिन पति खूब चिल्लावे .... || 3 || 

सारे बिस्तर पर पत्नी सोवे , 
पति बैठ फर्श पर रोवे .... || 4 || 

तुमसे ही घर मथुरा काशी, 
और तुमसे ही घर सत्यानाशी ... . || 5 || 

पत्नी चालीसा जो नर गावे , 
सब सुख छोड़ परम दुःख पावे .... || 6 ||

बोलो पत्नी महारानी की ........ 

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बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

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