हलवाई ने कविता लिखी

तुम्हारे रूप की चाशनी में

मन को डुबोया है

माखन सा शरीर

मलाई सा रंग है

मन "खोया खोया" है

गुलाबजामुन सी लग रही हो

जैसे रस मैं डुबोया है

मन "खोया खोया" है

मन "खोया खोया" है




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