बाल दिवस पर


शिशुओं की दीजे संस्कार।
भर दो इनमें सुन्दर विचार।।
इनके मन सत्पथ पर मोड़ो,
सद्भावों को इनसे जोड़ो।
इनमें भेद को आने दो,
मन में ईष्र्या लाने दो।
भर दो स्नेह इनमें अपार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
नित इन्हें सुभाषित पढ़वाओ,
वीरों की गाथा सुनवाओ।
हो मातृभूमि से प्रेम इन्हें,
ऐसा सुन्दर दो बोध इन्हें।
ये बनें राष्ट्र के कर्णधार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
बच्चों को दो नित सद्विचार,
अन्त: में भर दो सदाचार।
आलस प्रमाद से दूरे रहें,
कत्र्तव्यों में भरपूर रहें।
शालीन शीलयुत हों उदार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
हो इनमें सेवाभाव सदा,
हो देशभक्ति, सद्भाव सदा।
सब मातृभूमि हित जियें सदा,
कत्र्तव्य सुधा को पियें सदा।
जीवन का सुन्दर यही सार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

रचना के माध्यम से सुन्दर संदेश!!

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