मैं और मिसेज खन्ना




मैं और मिसेज खन्ना 
अक्सर चाय पीते है रोजाना शाम को 
उस वक़्त भूल जाते है हर किसी काम को

मौसम बदला वक़्त गुजरा
पर नहीं बदला हमारा चलन 
युही चुसकिया लेते रहे हम 
  एक दिन सहसा मेरा बेटा पास आया 
चाय के वक़्त ही उसने हमें डराया
वह बोला डेडी 
कल चाय के वक़्त मेरी शादी है 
जाना
मै घबराया और पूछा
बता रहा है या बुला रहा है 
बेटा ये कैसा गजब ढाता है 
तू भूल गया मै तेरा पिता 
और ये तेरी माता है 

भला अपनी शादी मै
कोई माँ बाप को ऐसे बुलाता है
तभी मन मै ख्याल आया
जमाना बदल रहा है
 ये तो बुला भी रहा है 
अब तो शायद .......

4 टिप्‍पणियां:

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

कौन हैं आप !

दिगम्बर नासवा ने कहा…

भाई शादी का न्योत मिल गया गनीमत है ....... आयेज आयेज पता नही क्या होने वाला है ........

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना
बहुत बहुत बधाई

shamshad ahamad ने कहा…

होली की हार्दिक शुभ कामनाएं

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