"कठोर मोलभाव"

आज सुबह एक छोटा बालक साईकिल पर ढेर
सारी झाड़ू लेकर बेचने निकला था। मैंने
देखा कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू बेच
रहा था और
बच्चा समझकर लोग उससे उन दस रुपयों में
भी मोलभाव करके, दस रुपए की तीन झाड़ू लेने
पर
आमादा थे मैंने भी उससे दो झाड़ू खरीद लीं,
लेकिन जाते-
जाते
उसे सलाह दे डाली कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू
कहने की बजाय 12 रुपए की दो झाड़ू कहकर
बेचे..
और सिर्फ़ एक घंटे बाद जब मैं वापस वहाँ से
गुज़रा तो उस बालक ने मुझे बुलाकर धन्यवाद
दिया.. क्योंकि अब उसकी झाड़ू"10 रुपए में
दो"बड़े
आराम से बिक
रही थी…।
===============
मित्रों, यह बात काल्पनिक नहीं है…। बल्कि मैं
तो आपसे भी आग्रह करता हूँ
कि दीपावली का समय है, सभी लोग
खरीदारियों में जुटे हैं, ऐसे समय सड़क किनारे
धंधा करने
वाले इन छोटे-
छोटे लोगों से मोलभाव न
करें…। मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी जी के पाने,
खील-
बताशे, झाड़ू, रंगोली (सफ़ेद या रंगीन), रंगीन
पन्नियाँ इत्यादि बेचने वालों से क्या मोलभाव
करना??
जब हम टाटा-बिरला-अंबा नी-भारती के
किसी भी उत्पाद में
मोलभाव नहीं करते (कर
ही नहीं सकते), तो दीपावली के समय चार पैसे
कमाने
की उम्मीद में बैठे
इन रेहड़ी-खोमचे-ठे ले वालों से"कठोर
मोलभाव"
करना एक प्रकार
का अन्याय ही है.

भारत निर्माण


सभी देशवासी
तेल बचाये देश बचायें
भारत का   निर्माण करें।
कर्तव्यों से न भागें
भ्रष्टाचार को त्यागें,
शिष्ट आचरण का आव्हान करें
आओ भारत का निर्माण करें।

गृहस्थ
वक्त आ गया सोचें हम
कितना हो परिवार हमारा
बच्चा अब तो एक ही अच्छा
इतना हो परिवार हमारा

नेता
अब न चलायें जूते चप्पल
अब न दें हम गाली
बहुत कर चुके  गलती अब तक
अब लायें खुशहाली

युवा
कितनी और पिओगे दारू
कितना वक्त बर्बाद करोगे
कब तक लूटोगे तुम अस्मत
कित ने युग तुम सुप्त रहोगे

अब तो जागो मेरे भैया 
अब तो सोचो कुछ हो जाये 
अब हम मिलकर तेल बचायें 
आओ मिलकर देश बचायें।


"माँ ” का क़र्ज़


एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन गया .
पिता के स्वर्गवास के बाद माँ ने
हर तरह का काम करके उसे इस काबिल बना दिया था.

शादी के बाद पत्नी को माँ से शिकायत रहने लगी के
वो उन के स्टेटस मे फिट नहीं है.
लोगों को बताने मे उन्हें संकोच होता है कि
ये अनपढ़ उनकी सास-माँ है...!

बात बढ़ने पर बेटे ने...एक दिन माँ से कहा..

"माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब इस काबिल हो गयाहूँ कि कोई
भी क़र्ज़ अदा कर सकता हूँ
मै और तुम दोनों सुखी रहें
इसलिए आज तुम मुझ पर किये गए अब तक के सारे
खर्च सूद और व्याज के साथ मिला कर बता दो .
मै वो अदा कर दूंगा...!

फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे.
माँ ने सोच कर उत्तर दिया...

"बेटा”_हिसाब ज़रा लम्बा है....सोच कर बताना पडेगा मुझे.
थोडा वक्त चाहिए.

बेटे ने कहा माँ कोई ज़ल्दी नहीं है.
दो-चार दिनों मे बता देना.

रात हुई,सब सो गए,
माँ ने एक लोटे मे पानी लिया और बेटे के कमरे मे आई.
बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक ओर पानी डाल दिया.
बेटे ने करवट ले ली.
माँ ने दूसरी ओर भी पानी डाल दिया.
बेटे ने जिस ओर भी करवट ली माँ उसी ओर पानी डालती रही.

तब परेशान होकर बेटा उठ कर खीज कर.
बोला कि माँ ये क्या है ?
मेरे पूरे बिस्तर को पानी-पानी क्यूँ कर डाला..?

माँ बोली....

बेटा....तुने मुझसे पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें को कहा था.
मै अभी ये हिसाब लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें तेरे बचपन मे
तेरे बिस्तर गीला कर देने से जागते हुए काटीं हैं.
ये तो पहली रात है
ओर तू अभी से घबरा गया ..?

मैंने अभी हिसाब तो शुरू
भी नहीं किया है जिसे तू अदा कर पाए...!

माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय को झगझोड़ के रख दिया.
फिर वो रात उसने सोचने मे ही गुज़ार दी.
उसे ये अहसास हो गया था कि माँ का
क़र्ज़ आजीवन नहीं उतरा जा सकता.

माँ अगर शीतल छाया है.
पिता बरगद है जिसके नीचे बेटा उन्मुक्त भाव से जीवन बिताता है.
माता अगर अपनी संतान के लिए हर दुःख उठाने को तैयार
रहती है.
तो पिता सारे जीवन उन्हें पीता ही रहता है.

हम तो बस उनके किये गए कार्यों को
आगे बढ़ाकर अपने हित मे काम कर रहे हैं.
आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए ना ........!

नहले पे दहला


एक लड़का और एक
लड़की की शादी हुई ...
दोनों बहुत खुश थे!
स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ!
दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय
साथ खड़ी अपनी साली से करवाया
" ये है मेरी साली , आधी घरवाली "
दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !
दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर
का परिचय अपनी सहेलियो से करवाया
" ये हैं मेरे देवर ..आधे
पति परमेश्वर "
ये क्या हुआ ....?
अविश्वसनीय ...अकल्पनीय!
भाई समान देवर के कान सुन्न
हो गए!
पति बेहोश होते होते बचा!
दूल्हे , दूल्हे के दोस्तों ,
रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से
मुस्कान गायब हो गयी!
लक्ष्मन रेखा नाम का एक
गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर
फूट गया!
स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन
लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी!
थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस
तेज़ी से सड़कों पर
भागती जा रही थी!
जिसमे दो स्ट्रेचर थे!
एक स्ट्रेचर पर भारतीय
संस्कृति कोमा में पड़ी थी ...
शायद उसे अटैक पड़ गया था!
दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद
घायल अवस्था में पड़ा था ...
उसे किसी ने सर पर गहरी चोट
मारी थी!
आसमान में अचानक एक तेज़ आवाज़
गूंजी .... भारत
की सारी स्त्रियाँ एक साथ
ठहाका मारकर हंस पड़ी थीं !
_______________ _______________ ______

ये व्यंग ख़ास पुरुष वर्ग के लिए
है जो खुद तो अश्लील व्यंग
करना पसंद करते हैँ पर
जहाँ महिलाओं कि बात आती हैं
वहां संस्कृति कि दुहाई देते
फिरते हैं 
इसे कहते हैं नहले पे दहला


हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

लोकप्रिय पोस्ट