रक्षा शुक्ला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
रक्षा शुक्ला लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

घूंघट

उनकी सेवा
करते करते
थकती नहीं वो
दिन से लेकर
रात तक हर रोज़
उनकी स्थिति
उनकी सम्पन्नता
उनका वैभव
दिखाने को
लाद लेती है
भारी भारी गहने
और कपडे
खूब करती है श्रृंगार
प्रसन्न होकर प्रतिदिन
पूछा जाता है जब
परिचय उसका
बताती है वो
गोत्र उन्ही का
संतान भी उसकी
कहलाती है उनकी
घर, ज़मीन , संपत्ति अंहकार
इन सब से जुड़े
उनके अपराधों को
झेलती है वो -
फिर भी उन्हें
ढकने के लिए
छिपा लेती है
अपना ही मुख
घूंघट की ओट में

(रक्षा शुक्ला )

हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

लोकप्रिय पोस्ट