मजेदार शायरी


कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को ........ 
न्यूक्लियर का ज़माना है , बोम्ब से उड़ा दो साले को .......!!! 

वो आई थी मेरी कब्र पर, दिया बुझा कर चली गई 
बाकि बचा था तैल, सर पैर लगा कर चली गई 

तुम्हारी सालगिरह पे जाने क्या भेजूं , अपनी जान भेजूं की अपना दिल भेजूं , 
फिर सूचता हूँ क्यो न , तुम्हारे लिए की हुई शौपिंग का बिल भेजूं 

आहट सी कोई ए तो लगता है की तुम हो . 
हवा कोई लहराई तो लगता है की तुम हो . 
अब तुम ही बताओ , क्या तुम किसी भूत से कम हो ? 

इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो .. 
इतना कातिल कैसे शर्मा लेते हो .. 
कितनी आसानी से जान ले लेते हो .. 
किसने सिखाया है , या बचपन से ही कमीने हो !! 

 गम वोह चीज है ... गम वोह चीज़ है ... 
जिससे पेपर चिपकाया जाता है . 

 तुम आ गए हो , नूर आ गया है 
चलो तीनो पिक्चर चलें ..... 

 तुमसा कोई दूसरा ज़मीन पर हुआ तो रब से शिकायत होगी .... 
एक तो झेला नही जाता , दूसरा आगया तो क्या हालत होगी !!! 

अच्छा हुआ कि में वफादार नही 
अच्छा हुआ कि में वफादार नही 
वफादार तो कुत्ते होते हैं 

शाम होते ही ये दिल उदास होता है 
टूटे ख्वाबू के सिवा कुछ न पास होता है 
तुम्हरी याद ऐसे वक्त बोहत आती है
बन्दर जब कोई आस -पास होता है .. 

 क्या आँखें हैं आपकी , क्या बातें हैं आपकी .. 
उस खुदा ने कुछ ऐसा आपको बनाया है ...
 मानो ..."श श श श.............कोई है ........

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