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इक लड़की को हो गया है प्यार !


पहले
देख कर छुपाती थी वो 
अबके छुप - छुप कर देखती है 
वोह दौर था बचपन का 
  यह दौर है जवानी का 

मन उसका सुमन तन सुकोमल चहेरा माहताब 
कभी अपने हाथ से अपनी ऊंगलियों को छूती है 
तो कभी आईने में देख खुद को
खुद से ही शर्माती है 
अब तो शाम का रंग बिरंगी आसमान भी 
उसे लुभाने लगा है 

रात को आसमान के तारे गिनती है वो 
जिसे तोड़ लाने की बात कही है 
किसी ने देख चाँद को
चौकती है वोह मुस्कराती है और छुपा लेती है 
अपने आपको रात के आगोश में वो
रात को नींद में तकिये को आगोश में ले लेती है
और फिर अचानक आधी रात को 
नींद खुलते ही देख तकिए को मूस्कुराती है 
फिर इक सुखद नींद में सो जाती है 
इक लड़की को हो गया है प्यार !!!!

ऐ चाँद

ऐ चाँद तेरी खूबसूरती के दीवाने सब हैं,
मैं भी हूँ…..

तेरी चाँदनी की तरेह रोशन तो नही पर मशहूर
मैं भी हूँ…..

टू भले ही बैठा होगा पलकों पे सबकी,
पर किसी की आंखों की नूर तो
मैं भी हूँ…..

तेरे बादलों में छिप जाने की अदा क्या गज़ब ढाती है,
जब तेरी चांदनी तुझमें आकर सिमट जाती है,

तू नही जानता वो वक्त, वो मंजर ही कुछ और होता है,
जब सारी दुनिया तेरे एक दीदार को तरस जाती है….

ऐ चाँद तू कुदरत की इनायत है,
मैं भी हूँ….

तुझमें अगर दाग है, तो गुनाहगार
मैं भी हूँ……

तेरी हुकूमत भले ही रात तक सीमित होगी,
पर इस हुकूमत की गुलाम तो
मैं भी हूँ…….

साँसों की डोर

जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नही देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर
मुझे
रुकने नही देता.....

बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको
चैन
से रोने नही देता......

आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे
टूटकर
बिखरने नही देता.......

शायद जानता है वो भी इन आंखों में आंसुओ का सैलाब है,
जाने क्यूँ फ़िर भी वो इन आंसुओ को गिरने नही देता........

मुझसे कहता है, "मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना" ,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नही देता!!!

ऐ जिंदगी

तुम बिन
जी रहे हैं जिंदगी
कि साँसों में तुम हो ......
जब आँखें बंद करते हैं
तो ख़्वाबों में तुम हो ..........
जब बोलते हैं
तो बातों में तुम हो ......
लिखते हैं कुछ तो
हर लफ्ज़ में तुम हो .......
धड़कता हैं दिल
तो हर धड़कन में तुम हो ........
जी रहे हैं अभी तक
क्यों कि जान तुम हो.....
( शशि ,जयपुर )

दिल चाहता है ..................

दिल चाहता है आज फिर छोटी बच्ची बन जाऊं,
रोज़ सुबह छुट्टी के बहाने बनाऊ
और असेम्बली में आँखें खोल कर प्रयेर गाऊं....

वोह चुपके चुपके क्लास में टिफिन खोलू
और पकड़े जाने पर पेट -दर्द का झूठ बोलूं ...

दिन भर स्कूल में मस्ती मारूं
और बस में जूनियर्स पर रॉब झाडूं .....

वो हर दिन होमवर्क अधुरा रह जाए
और अगले दिन मेरी कॉपी घर पर रह जाए .....

हर रोज़ दोस्तों से रूठ जाऊं
और ज़िन्दगी भर साथ वाला तुम जैसा
एक साथी बनाऊ ......!!!!!!!
- शशि (शेडो ऑफ़ द मून) जयपुर

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