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मस्ती की पाठशाला (चालीसा)

            दोस्तों यह रचना मेने उस वक्त लिखी जब फेसबुक, इंस्टाग्राम, ऑरकुट, starmaker की तरह  Style.fm नाम की सोशल वेबसाइट खूब ज़ोरो पर थी, इस साइट पर सब कुछ था जो शायद अभी किसी साइट पर नहीं है. चाहे कम्युनिटी, सिंगिंग, चैटिंग, ग्रुपिंग गेमिंग सब कुछ था वहाँ। ..... और वह हमारा एक गैंग (CKK) नाम से था, मैंने इस चालीसा के माध्यम से सभी साथियों के नाम व् उनकी प्रोफाइल से कुछ अंश को जोड़ा है जो उनकी पहचान भी है.  इस चित्र में में खुश का नाम इस चालीसा में वर्णन है.
        उनमे से काफी दोस्तों से संपर्क नहीं है अभी लेकिन मुझे विस्वाश है इंटरनेट के माध्यम से वे भी इसे ढूंढ ही लेंगे. 
मस्ती की पाठशाला  (चालीसा)
 
सुरु करो कम्पूटर, लोगिन करो स्टायल 
गाने क्विज़ रेट करो, और करो खूब बात 
        साथ हमेशा ही रहो करत रहो कुछ ख़ास 
        होगा सब कुछ सही सही रखो मन में आस 
जब स्टायल पर हम आयेतब हमने कई दोस्त बनाये 
सबसे पहले शशि जी आई, चाँद की वो परछाई कहाई 
फिर मिल गयी दीदी ममता, उनने दिखाई सब पर समता 
बन गयी वो जगत की बहना, सभी मानता उसका कहना 
फिर यहाँ डॉ सत्या आये, देख नेवी को मन हर्षाये 
डॉ ने जब निगाह गड़ाई, नेवी किन्ही बहुत बढाई 
प्रभा बन गयी सबकी चहेतीसबसे खूब गिफ्ट वो लेती 
जो उसका शुक्रिया करतापांच दिलो की पेनाल्टी भरता 
लिट्टू बना यहाँ महाराजागोल्ड कोइन का वो शहजादा 
सब की खूब फिकर वो करताक्विजो को वो राटिंग करता 
पिंकी दीदी पोयम गातीफिर जाने कहा वो छिप जाती 
अपने प्यारे अली भाईचालीस जैसी काया पाई 
अनम भी फिर क्यों पीछे रहती, अली के पोके वो सहती 
अनम ने अपना वायरस फैलाया, कई बार अकाउंट  उड़ाया 
अपने सुरमय समय सुरेशा, सबकी चिंता करत हमेशा 
जब भी उनने गिटार बजाई, श्यामा दौड़ी चली आई 
फैज़ भी श्यामा के संग आया, उसने अपना जाल बिछाया 
एक दूजे से गिफ्ट वो लेते, हर दम वो लड़ते रहते 
सबकी लाडली मन्नू रानी, मस्ती में वो सबकी नानी 
पोकिंग से वो दिन शुरु करती, सबका चैन सुख वो हरती 
डीपी उसकी सबसे प्यारी, छोटी सी  वो गुडिया हमारी 
सबके दिलो की एक है वो रानी, नटखट सी सना महरानी 
जब भी उसने पोल बनाया, सुभो ने उसका साथ निभाया 
सुभो है उसका पक्का साथी, वो उसको बंगलो है बुलाती 
वो हमेशा सीरियस रहता, सब कामो में आगे रहता 
कोयलिया जब कूक लगाये, तब प्रिया की याद सताए 
लंच करन को रहत उतावल, कहती लाओ छोले चावल 
राजकुमार पकोड़े लाये, बाबा बनकर यहाँ पे छाए 
सबको जी भर डीके दीन्ही, बदले में गिफ्ट ले लीनी 
मिश्रा जी सत्तू ले आये, बाइकर्स की डीपी लगाये 
राणा जी गुड मोर्निंग वाले, लगते है बहुत भोले भाले 
प्रीत फिर से लौट के आई, जब हम सबकी याद सताई 
अंजलि लिखने में माहिर, करती नहीं कभी वो जाहिर 
भाई विनोद बरेली वाले, ठाठ है उनके नवाबो वाले 
चोकलेटी पिंक  के रघुनन्दन, करते सब उनको वंदन 
किर्ती बनी स्माइल फ़ोरेवर, थोड़े तीखे उनके तेवर 
ज़फर फिर डायमंड ले आये, सबके रूम को खूब सजाये 
चन्दन गुलाबी आंखे गए, एंडरसन इक आँख दिखाए 
तभी कही से मिन्गु आई, उसने यहाँ पर आग लगाई 
सबने ने मिलकर उसको घेरा, मिटा दिया उसका डेरा 
जो यह पढ़े स्टायल चालीसा, साथी  पावे इन सब जैसा 
निर्भय हुआ अब CKK  का, तुम क्यों पीछे रहते हमेशा

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