दोस्ती होती नही भूल जाने के लिए
दोस्ती होती नही बिछर जाने के लिए
दोस्ती करके खुश रहोगे इतना
वक्त नही मिलेगा आशु बहाने के लिए
जिन्दगी मैं कई रिश्ते हे जिनको हम निभाते हे
मेरी नजर मैं सबसे अच्छा रिश्ता हे दोस्ती का
सब भूल जाना ऐ ......... .......................दोस्त
पर मुझे न भुलाना 'दोस्त ' तुमको मेरी कसम
गम हो या खुशी उम्र भर साथ निभाना हे दोस्त का
आंधी आए तुफा आए टूटे ना कभी रिश्ता दोस्त का
सब भूल जाना ऐ ....................................... दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम
जब दोस्त मिलते हे जीवन मैं फूल खिलते हे
जब भी एक दूजे के साथ होते हे मन मिलते हे
सब भूल जाना ऐ ...........................दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम ........................................
अमृता जैन
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मेरा दिल करता है
मेरा दिल करता हे की मैं भी चिडिया बन जाऊ
उपर आस्मां मैं उड़ जाऊ बदलो मैं छूप जाऊ
सबकी नजरो से छूप जाऊ किसी को नजर न आंऊ
अपने प्यारे से बचपन को याद करके खुश हो जाऊ
इस मतलबी दुनिया से दूर ही रहू
जादू करना सिख जाऊ छड़ी घुमाऊ और
अमीरों की तिजोरी से कुछ पैसा गरीबो को दे आऊं
मिलावट करने वालो को खूब रूलाऊ
अमृता जैन
उपर आस्मां मैं उड़ जाऊ बदलो मैं छूप जाऊ
सबकी नजरो से छूप जाऊ किसी को नजर न आंऊ
अपने प्यारे से बचपन को याद करके खुश हो जाऊ
इस मतलबी दुनिया से दूर ही रहू
जादू करना सिख जाऊ छड़ी घुमाऊ और
अमीरों की तिजोरी से कुछ पैसा गरीबो को दे आऊं
मिलावट करने वालो को खूब रूलाऊ
अमृता जैन
आज की नारी कहा गई साड़ी
आज की नारी कहा गई साड़ी
छोर शर्म और पी रही पानी
कहते थे अबला जिसको हम
आज जाने कहा से आगया हें इसमे दम
आज की नारी ........................
पहनती हें मर्दों जेसे कपड़े
रोड पर करती हे झगडे
करती हे मन मानी
कहलाती हे कलयुग की रानी
आज की नारी ..............................
केसा आजकल का पहनावा हे
लड़को को ख़ुद देती बढावा हे
लड़के देखकर मरते हे सेटी
आखो मैं अ़ब नही शर्म का पानी
आज की नारी ...........
छोर शर्म और पी रही पानी
कहते थे अबला जिसको हम
आज जाने कहा से आगया हें इसमे दम
आज की नारी ........................
पहनती हें मर्दों जेसे कपड़े
रोड पर करती हे झगडे
करती हे मन मानी
कहलाती हे कलयुग की रानी
आज की नारी ..............................
केसा आजकल का पहनावा हे
लड़को को ख़ुद देती बढावा हे
लड़के देखकर मरते हे सेटी
आखो मैं अ़ब नही शर्म का पानी
आज की नारी ...........
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