बिना पेंदी का लोटा

किया बहुत विश्वासघात तुमने जनता के साथ, आश्वासन देकर दिखलाया अपना डूंडा हाथ, अपना डूंडा हाथ दिखाया और कहा हम लूले गद्दी पाकर तुमने अपने सारे वादे भूले, सारे वादे भूल गये बन बैठे तुम हिरणाक्ष किये दलाली रिश्वत खोरी मिटा दिये सब साक्ष मिटा दिये सब साक्ष देश को किया खोखला स्वार्थ सिद्ध के हेतु दल-बदल हुए दोगला हुये दोगला और बताया यह दल एकदम खोटा तुम तो नेता जी निकले 'बिना पेंदी का लोटा'

हमारे नेताओ की परिभाषा

आज के नेता साँपनाथ,
कल आयेंगे नागनाथ

कुर्सी की बाँबीयों में
बस साँप ही रहे
इन्साँ कहे न इनको,
बस नाग ही कहे

नेता बुझा रहे हैं,
खुशहाली का दिया
इनके गरल को देश ने
है कंठ तक पिया
कल रात लगा फांसी
इक वेश्या मरी
किसी मनचले ने उसको
नेता था कह दिया

ख़ामोशी


ख़ामोशी को सुनकर देखो, इसकी भी जुबान होती है
लम्हा लम्हा तनहा-सी, जाने कब कहाँ होती है

ख़ामोशी के आँगन में, तन्हैयाँ जवान होती है,
तन्हाइयों के साए में, सारी खुशियाँ फंना होती है,

ख़ामोशी लगती सपने सी, आती है और जाती है,
पीर रहती है जब तक ये, अपने आप से मिलाती है,

ख़ामोशी में डूब के देखो, अपने आप से मिल पाओगे,
भीड़ से जुदा होकर, हर हक्कीकत को झुट्लाओगे,

ख़ामोशी को सुनकर देखो,इसकी भी जुबान होती है,
लम्हा लम्हा तनहा सी जाने कब कहाँ होती है,...........

- अंजली शर्मा

ज़िन्दगी

बहुत अजीब है ये ज़िन्दगी
कब किस मोड़ पे आकार रुक जाती है
बगैर कोई रुकावट की आगाह किए

लड़खड़ाते…सँभालते
अपने आप को समझाते
कि ये अनुभव भी हमे
कुछ न कुछ तो निश्चित रूप से
सिखलाएगा ही

ह्रदय को निचोडती है कुछ पल
जब खालीपन डट कर बैठ जाता है
शुन्य को केन्द्र बनाये
मन हताश …कौन समझाए!

घड़ी के काँटों को जैसे किसी बलवान ने
दबोच लिया है अपने पूरी शक्ति से
न छत्त रहे हैं उदासीनता के बादल
न ठंडक मिल रही है ह्रदय को
सुबह की ओस की ताजगी से

न उम्मीद झांक रही है
खिलते पंखुड़ियों की तरह
न बसंत आस पास फटक रही है
जैसे की कोई शिकवा हो

बस यही आसरा है कि
ऐसे दिनों का भी अंत होता है
समय मरहम लगता है
और एक दिन गेहेरे घाव भी
एक दाग बन कर रह जाते हैं.

दोस्त तुमको मेरी कसम

दोस्ती होती नही भूल जाने के लिए
दोस्ती होती नही बिछर जाने के लिए
दोस्ती करके खुश रहोगे इतना
वक्त नही मिलेगा आशु बहाने के लिए


जिन्दगी मैं कई रिश्ते हे जिनको हम निभाते हे
मेरी नजर मैं सबसे अच्छा रिश्ता हे दोस्ती का
सब भूल जाना ऐ ......... .......................दोस्त
पर मुझे न भुलाना 'दोस्त ' तुमको मेरी कसम



गम हो या खुशी उम्र भर साथ निभाना हे दोस्त का
आंधी आए तुफा आए टूटे ना कभी रिश्ता दोस्त का
सब भूल जाना ऐ ....................................... दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम



जब दोस्त मिलते हे जीवन मैं फूल खिलते हे
जब भी एक दूजे के साथ होते हे मन मिलते हे
सब भूल जाना ऐ ...........................दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम ........................................



अमृता जैन

कंप्यूटर प्रयोक्ताओं के लिए नेत्र देखभाल

सूचना प्रोद्योगिकी के इस युग में कम्प्युटर तथा सूचना तकनीकी से जुड़े अधिकतर लोग लगातार कई घंटों तक कम्युटर पर कार्य करते रहते हैं, बहुत एसे भी हैं जो शौकिया या व्यसनी तौर पर ही सही घंटों कम्प्युटर के सामने बैठे रहते हैं और बड़ी चाव से मॉनिटर को निहारते रहते हैं| सही तौर पर कहें तो हम कम्युटर के इतने आदी हो गए हैं की एक बार कम्युटर के सामने बैठ गए तो फिर वहां से हटने का ख्याल ही नहीं आता और घंटो आँखे गड़ाए बस मोनिटर को निहारते हुए कार्य करते रहते हैं| यह हमारी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन गया है, आज हम कम्युटर पर कार्य किये बिना दिन नहीं बिता सकते| कुछ न कुछ कार्य लगा ही रहता है, यदि कोई विशेष कार्य नहीं तो बस मौज मस्ती ही सही और हम जुट जाते हैं इन्टरनेट पर मटरगस्ती करने के लिए और जो एक बार इन्टरनेट की रह पकडी तो फिर अंत कहाँ!!! कुछ और नहीं तो कम्युटर पर विडियो गेम ही खेलने में मसगुल हो जाते हैं.... जो लोग कम्प्युटर के कार्य से जुड़े हैं जैसे की सॉफ्टवेर प्रोग्रामर तथा बीपीओ एवं कॉलसेंटर में कार्य करने वाले लोग तो १२-१५ घंटे कम्युटर मोनिटर से आँखे दो-चार करते रहते हैं...
लगातार कई घंटों तक कम्युटर को देखने से हमारी आँखों पर इसका बेहद ही बुरा प्रभाव पड़ता है जिसके परिणाम स्वरूप हमारी आँखे कमजोर हो सकती हैं जिससे हमारी आँखों पर नंबर वाले चश्में लगाना अनिवार्य हो जाता है| लगातार एक-टक मॉनिटर को निहारते रहने से हमारी आँखों को जरूरी विश्राम नहीं मिल पता तथा हमारी आँखों की पुतली सुखाने लगती है जो हमारी आँखों के स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है| बस हमें कम्युटर पर कार्य करते समय नियमित रूप से थोडी थोडी अंतराल पर आँखों के सुरक्षा के लिए कुछ उपाय करते रहने चाहिए जो हमारी आँखों को रहत पहुँचाने के आलावा उनके स्वास्थ्य रहने में भी काफी कारगर सिद्ध होता है| कुछ उपाय जो हमारी आँखों को कमजोर पड़ने से बचायेंगे निम्नलिखित हैं, इनका पालन करके bahut हद तक आँखों को सुरक्षित रखा जा सकता है:
क्या करें:
  1. कभी भी मॉनिटर को लगातार घूर-घूर कर नहीं देखना चाहिए, समय समय पर अपनी पलकों को झपकते रहना चाहिए|
  2. हर १५-२० मिनट पर मॉनिटर की तरफ से अपनी नजर हटा कर कमसे कम २-३ मिनट के लिए किसी २०-२५ फीट दूर जगह पर ध्यान ले जाएँ और उस दौरान अपने गरदन को दायें-बाएँ घुमाते रहे|
  3. हर ४०-५० मिनट पर अपने हाथों की हथेली को आपस में अच्छी तरह से रगड़ कर आँखों को हथेली से करीब १ मिनट तक ढके रहे इससे आँखों को काफी राहत मिलती है|
  4. हर घंटे-दो-घंटे में अपने चहरे एवं आँखों पर पानी के छींटे मारें इससे आपको न सिर्फ ताजगी मिलेगी अपितु आपकी आँखों को भी राहत महसूस होगा और वे तरोताजा रहेंगे|
  5. हर दो-घंटे के उपरांत कम से कम ५ मिनट के लिए कहीं टहलने के लिए निकल जाये इससे आप की आँखों को कुछ समय के लिए राहत मिला जायेगा| साथ ही साथ ऐसा करनें से आपके कमर, कंधे एवं रीढ़ की हड्डी का भी कसरत हो जायेगा|
  6. कम्प्युटर पर कार्य करते वक्त हो सके तो हर संभव एंटीग्लेअर चश्मा जरूर ही पहनें, इससे मॉनिटर से निकलने वाली विकिरणों से हमारे आँखों की सुरक्षा होती है|
  7. अपनें भोजन में एसे फल एवं सब्जिओं का प्रयोग करे जिससे आँखों को पोषण मिल सके, जैसे की रोज कम से कम एक गाजर जरुर खाएं|
  8. हफ्ते में एक बार आँखों में सुरमा या काजल लगायें इससे आँखों को काफी राहत मिलाता है| आप आँखों में शुद्ध शहद या नेत्रप्रभा भी लगा सकते हैं| आँखों में कोई भी दवा लगाते समय सफाई का ध्यान देना बेहद आवश्यक है|
  9. आँखों में लगातार ज्यादा दर्द, जलन या चुभन हो तो तुंरत ही नेत्र विशेषज्ञ से मिलें| वैसे भी समय समय पर आँखों की जांच करवाते रहना चाहिए|

क्या न करें:
  1. आँखों में दर्द होने पर या आँखों में कुछ गिर जाने पर कभी भी आँखों को जोर जोर से न रगडें, बल्कि अपनी पलकों को तेजी से झपकें इससे आँखों में अंशु आ जायेंगे जो आँखों के लिए अमृत से कम नहीं हैं, आँशु आने से आँखों में पड़ी गन्दगी भी आँशु के साथ बह कर निकल जायेगी|
  2. घुर-घुर कर या टक- टकी लगाकर एवं लम्बे समय तक मॉनिटर को न देखें|
  3. बिना साफ़ किये हाथों या कपडे से आँखों को न पोछें|
  4. बिना विशेषज्ञ के परामर्श के आँखों में कोई भी दवा या आई-ड्राप न डालें|
  5. आँखों को धुल-मिटटी के संपर्क में आने से बचाएं|

हाय मेरी किस्मत


स्वर्ग
और नरक के बीच में लटक गया 
क्या करू अब मै जमी पर अटक गया 
निकला था मैं स्वर्ग जाने को मगर 
जाने कैसे रास्ता मैं भटक गया 

किए थे कई पुण्य 
पिछले जन्म मे मैंने 
उनके फल से 
स्वर्ग का टिकट कट गया 

जाने कौनसा पाप 
बीच मे गया 
रस्ते मे ही 
मेरा भेजा सटक गया 

  स्वर्ग जाना था मुझे
 पर ये क्या होगया 
जाने कौन मुझे 
इस धरती पर पटक गया 

शायद स्वर्ग किस्मत को मंज़ूर नही था 
इसलिए मैं 
स्वर्ग और नरक के बीच लटक गया

- निर्भय जैन 

बाल दिवस पर


शिशुओं की दीजे संस्कार।
भर दो इनमें सुन्दर विचार।।
इनके मन सत्पथ पर मोड़ो,
सद्भावों को इनसे जोड़ो।
इनमें भेद को आने दो,
मन में ईष्र्या लाने दो।
भर दो स्नेह इनमें अपार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
नित इन्हें सुभाषित पढ़वाओ,
वीरों की गाथा सुनवाओ।
हो मातृभूमि से प्रेम इन्हें,
ऐसा सुन्दर दो बोध इन्हें।
ये बनें राष्ट्र के कर्णधार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
बच्चों को दो नित सद्विचार,
अन्त: में भर दो सदाचार।
आलस प्रमाद से दूरे रहें,
कत्र्तव्यों में भरपूर रहें।
शालीन शीलयुत हों उदार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
हो इनमें सेवाभाव सदा,
हो देशभक्ति, सद्भाव सदा।
सब मातृभूमि हित जियें सदा,
कत्र्तव्य सुधा को पियें सदा।
जीवन का सुन्दर यही सार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।

कलयुग में ईश्वर की वन्दना

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हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो,
सिर्फ मैं जीवित रहूँ, तुम और सबको मार दो।
भक्त हूँ मैं अपका अर्जी प्रभु सुन लीजिए,
और जितनी अर्जियाँॅ हो फाड उनको दीजिए।
सी डी लगाकर मैं प्रभु भजन आपके कर रहा,
ब्रत भी हूँ आजकल केवल फलों से पेट भर रहा।
पुष्प, चन्दन, भोग-मेवा आप सब ले लीजिए,
सौ-पाँच सौ के नोट जितने हो मुझे ही दीजिए।
और हमारा कौन है सब कुछ हमारे आप हैं,
आप हमारे बाप क्या बाप के भी माई-बाप हैं।
मुझे अगले जन्म में बेटा बनाना सेठ का,
या प्रभु नेता बनाना मुझे भारत देश का।
भक्त बनकर रक्त जनता का सदा पीता रहूँ,
दो मुझे आशीष डेढ़-दो सौ वर्ष जीता रहूँ।
ब्लैक रिश्वत आदि से जेब को भरता रहूँ,
नोट लेकर, बोट लेकर, चोट भी करता रहूँ।
एक झण्डा, चार गुण्डा, आठ मोटर कार दो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो।
दोस्त ऐसे हों जो कि बुदधिमानी छोड दें,
आँख जो मुझसे मिलाये वो उसी को फोड दें।
देश सारा मेरे हिसाब से चलता रहे,
मुझे ‘हउआ’ जानकर संसार सब डरता रहे।
लिस्ट लम्बी है जरा मैं अभी फैक्स करता हूँ,
साथ में दो किलों देशी घी मिठाई रखता हूँ।
इस समय जरा जल्दी है और प्यास मुझे सता रही,
असल में टी वी पर एक नयी फिल्म आ रही।
कोक पीकर ब्रेक में फिर आउँगा ये वचन है,
आखिर ये मेरी फ्यूचर लाइफ का प्रश्न है।
इस भक्त की अर्जी पर प्रभु प्राथमिकता से विचार हो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो।

हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

मोहब्बत मेरी यह दुआ मांगती है,
तेरे साथ तये हो सफर जिंदगी का....

न दो मुझ को पैगामे तर्क-ऐ-ताल्लुक,
कुछ एहसास करलो मेरी बेबसी का...

मेरा दिल न तोडो ज़रा इतना सोचो,
मुनासीब नही तोड़ना दिल किसी का....

तुम्हे अब तरस मुझ पे आया तो क्या है,
भरोसा नही अब कोई जिंदगी का.....

अभी आप वाकिफ नही दोस्ती से,
न इज़हार फरमाए दोस्ती का....

न आना खुशी उनकी बातों मैं हरगिज़,
नही है जहाँ मैं भरोसा किसी का....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझे पे जबसे किसी का.......

जीवन का आधार

http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2008/06/love_moon_cats1.jpg

जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है

देखता है खुदा भी आसमान से जमीन पर
जब एक दिल दूसरे से बेपनाहा मोहब्बत करता है

सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी
जब कोई आसमान बन के बाहो में पिघलता है

लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए -मोहब्बत
तब कही जा कर अमर-प्रेम लोगो के दिलों में उतरता है!!


प्रेम जीवन का आधार है, इसके बिना इंसान मशीन बन जायेगा। प्रेम ही जीवीत और अजीवीत मे फर्क करता है...

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बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

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