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हाय ! किस्मत


इस कदर हम पे हुआ था, असर उसके प्यार का
ख़बर ख़ुद की थी हमको, होश था संसार का

उसको देखें तो दिल को चैन मिलता कहीं
रोज ही हम ढूंढते थे बहाना दीदार का

अब कहेंगे, तब कहेंगे सोचते थे हर घड़ी
सका फिर भी हम को हौसला इज़हार का

हमने माना उसको पाना काम ये आसन नही
इम्तेहान देना पड़ेगा हमको दरया पार का

कहने को तो कह भी देते हाले दिल उनसे मगर
डर हमे था सह पाते दर्द हम इनकार का

करके हिम्मत एक दिन चले हम, देर पर इतनी हुई
गैर के हाथों में देखा हाथ उस दिन यार का

मेरी दीवानगी


जबसे तुमको है अपना बनाये हुए
हम तो अपनों से भी है पराये हुए

होना खफा तुम मेरे प्यार से
जी रहा हूँ तुम्हे दिल में बसाये हुए

नजारों को शिकायत, हम देखे उन्हें
नज़रों में जो तुम हो समाये हुए

मेरी चौखट पे रखोगी तुम कब कदम
एक मुद्दत हुई घर सजाये हुए

बढ़ रही है हर पल मेरी दीवानगी
भड़क उठे शोले दिल में दबाये हुए

गर नही तुमको हमसे मुहब्बत सनम
तोह बुझा दो यहदीपकजलाये हुए

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