क्या करू अब मै जमी पर अटक गया
निकला था मैं स्वर्ग जाने को मगर
जाने कैसे रास्ता मैं भटक गया
किए थे कई पुण्य
पिछले जन्म मे मैंने
उनके फल से
स्वर्ग का टिकट कट गया
जाने कौनसा पाप
बीच मे आ गया
रस्ते मे ही
मेरा भेजा सटक गया
स्वर्ग जाना था मुझे,
पर ये क्या होगया
जाने कौन मुझे
इस धरती पर पटक गया
शायद स्वर्ग किस्मत को मंज़ूर नही था
इसलिए मैं
स्वर्ग और नरक के बीच लटक गया
- निर्भय जैन