यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?

शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तों तो फ़िर मरना क्या है?

पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है?

सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है?

अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं?
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं?

इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं,
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं.

मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है,
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं?

कब डूबते हुए सुरज को देखा त, याद है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?

तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है?

भैंस चालीसा



महामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
फसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते

कौन बनेगा प्रधानमंत्री


कौन बनेगा प्रधानमंत्री
ये मामला अब सुलझ गया
क्या है जनता का फ़ैसला
परिणामो से जाहिर हो गया
रेस मैं थे जो भी नेता
जनता की बात समझ गए
देश को चाहिए कमजोर पीएम
ये बात सब मान गए
कौन बनेगा प्रधानमंत्री
नतीजो से सब जान गए

मजेदार शायरी


कोई पत्थर से न मारे मेरे दीवाने को ........ 
न्यूक्लियर का ज़माना है , बोम्ब से उड़ा दो साले को .......!!! 

वो आई थी मेरी कब्र पर, दिया बुझा कर चली गई 
बाकि बचा था तैल, सर पैर लगा कर चली गई 

तुम्हारी सालगिरह पे जाने क्या भेजूं , अपनी जान भेजूं की अपना दिल भेजूं , 
फिर सूचता हूँ क्यो न , तुम्हारे लिए की हुई शौपिंग का बिल भेजूं 

आहट सी कोई ए तो लगता है की तुम हो . 
हवा कोई लहराई तो लगता है की तुम हो . 
अब तुम ही बताओ , क्या तुम किसी भूत से कम हो ? 

इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो .. 
इतना कातिल कैसे शर्मा लेते हो .. 
कितनी आसानी से जान ले लेते हो .. 
किसने सिखाया है , या बचपन से ही कमीने हो !! 

 गम वोह चीज है ... गम वोह चीज़ है ... 
जिससे पेपर चिपकाया जाता है . 

 तुम आ गए हो , नूर आ गया है 
चलो तीनो पिक्चर चलें ..... 

 तुमसा कोई दूसरा ज़मीन पर हुआ तो रब से शिकायत होगी .... 
एक तो झेला नही जाता , दूसरा आगया तो क्या हालत होगी !!! 

अच्छा हुआ कि में वफादार नही 
अच्छा हुआ कि में वफादार नही 
वफादार तो कुत्ते होते हैं 

शाम होते ही ये दिल उदास होता है 
टूटे ख्वाबू के सिवा कुछ न पास होता है 
तुम्हरी याद ऐसे वक्त बोहत आती है
बन्दर जब कोई आस -पास होता है .. 

 क्या आँखें हैं आपकी , क्या बातें हैं आपकी .. 
उस खुदा ने कुछ ऐसा आपको बनाया है ...
 मानो ..."श श श श.............कोई है ........

काश दुनिया कंप्यूटर होती

काश ये दुनिया कंप्यूटर होती
जिसमें डू को अन्डू करते

सुख के लम्हे सेव हो जाते
दुःख के लम्हे डिलीट करते

मर्ज़ी की मनचाही विन्डोज़
जब चाहे हम ओपन करते

मुस्तकबिल के ताने बने
अपनी चाह से ख़ुद ही बनते

ख्वाहिसों की होती फाइल
जिसमें कट और कॉपी करते

जब भी होती वायरस पीडा
दुनिया को रिफोर्मेट करते

खुशियों के रगों को लेकर
फीके लम्हे रंगीन करते

काश ये दुनिया कंप्यूटर होती
तो मज़े मज़े मैं दुनिया जीते

निर्भय जैन

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