फिर नज़र से ............


फिर नज़र से पिला दिजीये!
होश मेरे उडा दिजीये...

छोडीये दुश्मनी की रज़िश
अब जरा मुस्कुरा दिजीये..

बात अफसाना बन जायेगी
इस कदर मत हवा दिजीये..

आइए खुल के मिलीए गले
सब तखल्लुक हटा दिजीये..

कब से मुस्ताके दिदार हूं
अब तो जलवा दिखा दिजीये॥

-जगजीत सिंह की 'आयना' से

दोस्त ... जिसे ढूंढ रही थी ...

इस वीरान अँधेरी दुनिया में
अपनी इन पलकों को झपका कर
एक ऐसे साथी को ढूंढ रही थी
जो दिल की हर बात समझ सके
उससे में अपनी हर बात कह सकू
उस पर इतना विश्वास कर सकू
उसको अपना बना सकू
जिसे में जानती नही पहचानती नही
उस स्वप्न की काल्पनिकता को
पलके झपका कर ढूंढ रही हूँ
जब मै उसकी आँखों की तरफ़ देखू
कुआ सा प्यारा लगे वो
बाँट सकू उससे अपने जीवन का हर पहलु

उस दोस्त को जिससे मै कभी मिली भी नही अभी
हर वायदा पूरा करने को हर दूरी मिटा दू
उस ज़िन्दगी में जो इसके रूप में चेतन हो गई है
हर दूरी से दूर जो एक दोस्त मेरा बैठा है
अब वो यहाँ है
मै भी यहाँ हूँ
इस अजनबी दुनिया का करने को आलिंगन
अब ये दुनिया लगती है मुझे सतरंगी
जिसमे है मेरा वो दोस्त अजनबी
हाँ वो तुम्ही हो तुम्ही हो तुम्ही हो
- ममता अग्रवाल

एक मंत्र बस भारत होता


तेरा मेरा कुछ होता, अब कुछ कितना अच्छा होता।
ये सब होता अपना सबका, कोई फिकर न कोई चिंता
एक मंत्र बस भारत होता, तो फ़िर कितना अच्छा होता।।

मेरी बोली तेरी भाषा, मेरा प्रान्त तुम्हारा क्षेत्र
मेरा वेश तुमहारी भूषा, मेरा धर्म तुम्हारी जाती
कोई कहता मेरा तेरा, तो फ़िर कितना अच्छा होता।।
एक मंत्र बस भारत होता, तो फ़िर कितना अच्छा होता।।

एक झण्डे के तले खड़े हो, एक राष्ट्र के प्रेम पगे हो
अपनी अपनी बान भुलाकर, आन पर जान लिये चले हो
एक साथ को अपने खुशियाँ, फ़िर कोई दुखी ना होता
एक मंत्र बस भारत होता, तो फ़िर कितना अच्छा होता।।

समीर में ज्यों गंध घुली हो, नीर क्षीर मिल मित्रता घनी हो
पानी की चंदन से प्रीति, संस्कृतियों की आस मिली हो
अरब दीप मिल बनते भानु, मिलजुल कर सब करना होता
एक मंत्र बस भारत होता, तो फ़िर कितना अच्छा होता।।

आनंद भर के देखिये

जिन्दगी के सफर में आनंद भर के देखिये
सर्जना में कल्पना के छंद भरके देखिये
खिल जाएँगे फिर रेत में संभावना के कमल
अपनी लगन की आप थोंडी गंध भर के देखिए
सारे दुश्मन आपके फिर दोस्त ही बन जाएँगे
प्यार का व्यवहार में मरकंद भर के देखिए
नफरतें इतनी मिलेंगी देश के इतिहास की
आप भूल से ही जयचंद बनके देखिए
सिर्फ घाटे ही मिलेंगे आजकल संबंध में
नए चलन में आप भी अनुबंध बनके देखिए
बहती नदिया कह रही है, जोहड़ों के कान में
आप प्रभु और भक्त का संबंध बनके देखिए।
खुद समंदर आप है, निर्बंध बनके देखिए
बेटा बेटी उम्रभर इज्जत करेगें आपकी
श्रम के आनंद में गुलकंद भरके देखिये

तुम्हारा साथ मिल जाए .................

तुम्हारा साथ मिल जाए तो सब दुःख भूल जाऊँगा ......
वो कहता था तुम्हें हर सूरत में अपना बनाऊंगा .....

न्योछावर खवाब करदूंगा तुम्हारे हर इशारे पर ....
कभी पीपल की छावं में कभी नदिया किनारे पर .....
मुझे तुमसे मोहब्बत है मैं लोगों को बताऊंगा ....
वो कहता था तुम्हें हर सूरत में अपना बनाऊंगा .....

मेरी ठंडी सी तन्हाई सुलगती रात जैसी हो .....
मुझे बस साथ ले जाओ भले बरात जैसी हो .....
तुम्हे सुर्ख जोड़े में मैं दुल्हन बना कर लाऊंगा ...
वो कहता था तुम्हें हर सूरत में अपना बनाऊंगा .....

मैं चहुँगा तुम्हें जाना ...उमंगो से उजालो तक
खुदी के चाह से लेकर हमारे सात जन्मों तक
मुझे तुमसे मोहब्बत है में लोगों को बताऊंगा .....
वो कहता था तुम्हें हर सूरत में अपना बनाऊंगा .....

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