अब तो फांसी देदो जनाब

हां मैंने ही बरसाई मौत चुप्पी तोड़ बोला कसाब क़बूल कर लिया अपना गुनाह अब तो फांसी देदो जनाब बहुत खेल लिया मौत का खेल अब नहीं रहना मुझको जेल ऊपर जाकर देना है खुदा को अपने कर्मो का हिसाब अब तो फांसी देदो जनाब अब मुझसे सहन नहीं होती ये रोज रोज की रिमांड बार बार इस पूछताछ से हो गया है दिमाग ख़राब अब तो फांसी देदो जनाब जो कुछ था सब बता दिया है अब क्या है मेरे पास बहुत हो गई मुकदमा बाजी बंद करो ये मेरी किताब अब तो फांसी देदो जनाब क़बूल कर लिया अपना गुनाह अब तो फांसी देदो जनाब

ऐ जिंदगी

तुम बिन
जी रहे हैं जिंदगी
कि साँसों में तुम हो ......
जब आँखें बंद करते हैं
तो ख़्वाबों में तुम हो ..........
जब बोलते हैं
तो बातों में तुम हो ......
लिखते हैं कुछ तो
हर लफ्ज़ में तुम हो .......
धड़कता हैं दिल
तो हर धड़कन में तुम हो ........
जी रहे हैं अभी तक
क्यों कि जान तुम हो.....
( शशि ,जयपुर )

मेरा दिल कब से भटक रहा है


अधि शूली पर लटक रहा है
मेरा दिल कब से भटक रहा है
पवन समां से जल न जाये
गिर्द ह्रदय से मटक रहा है
वजूद मेरा भी फनी है क्या
सवाल बर्षो से खटक रहा है
और ये दुनिया अजीब जगह है
पर दिल क्यों इसको झटक रहा है
- रश्मि सरावगी (काठमांडू)

मौत का खेल .. (६ अगस्त १९४५ नागासाकी)

सहसा हुआ एक धमाका....
सोते से वे सब जगे,
उगता आग का गोला देखा..
पर कुछ पलो के लिए.
अचानक गर्मी बढ़ी.
झुलश गए सब चेहरे..
वे चिल्लाये
पर कुछ पलो के लिए..
"लिटिल बॉय" ने कर दिखाया कमाल,
६ अगस्त कि रात को बना दिया शमसान..
लाखो कि चिता जली,
गल गए हड्डी मांस,
कुछ पलो के बाद हो गया सब समाप्त,
बचा सिर्फ एक निशान...
हैवान सिर्फ हैवान....
पल में लाख कॉल के गाल समाये
पर इन अतातइयो को दया नहीं आई.
९ अगस्त कि रात को किया फिर कमाल...
लाख फिर घबराए,चीखे और चिल्लाये,
पर कुछ पलो के लिए,
फिर वे भी बन गए मौत के ग्रास..
हो गयी चारो तरफ शांति...
क्यूकि,
शोर के लिए चाहिए जान....
जो तब हो चुकी थी समाप्त
जो तब हो चुकी थी समाप्त।!!
- ममता अग्रवाल

दिल चाहता है ..................

दिल चाहता है आज फिर छोटी बच्ची बन जाऊं,
रोज़ सुबह छुट्टी के बहाने बनाऊ
और असेम्बली में आँखें खोल कर प्रयेर गाऊं....

वोह चुपके चुपके क्लास में टिफिन खोलू
और पकड़े जाने पर पेट -दर्द का झूठ बोलूं ...

दिन भर स्कूल में मस्ती मारूं
और बस में जूनियर्स पर रॉब झाडूं .....

वो हर दिन होमवर्क अधुरा रह जाए
और अगले दिन मेरी कॉपी घर पर रह जाए .....

हर रोज़ दोस्तों से रूठ जाऊं
और ज़िन्दगी भर साथ वाला तुम जैसा
एक साथी बनाऊ ......!!!!!!!
- शशि (शेडो ऑफ़ द मून) जयपुर

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