मेरी दीवानगी


जबसे तुमको है अपना बनाये हुए
हम तो अपनों से भी है पराये हुए

होना खफा तुम मेरे प्यार से
जी रहा हूँ तुम्हे दिल में बसाये हुए

नजारों को शिकायत, हम देखे उन्हें
नज़रों में जो तुम हो समाये हुए

मेरी चौखट पे रखोगी तुम कब कदम
एक मुद्दत हुई घर सजाये हुए

बढ़ रही है हर पल मेरी दीवानगी
भड़क उठे शोले दिल में दबाये हुए

गर नही तुमको हमसे मुहब्बत सनम
तोह बुझा दो यहदीपकजलाये हुए

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं


दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है
दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए
मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।
लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है

चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया

छोटी की घटना बड़ी हो गयी
मरी हुई एक बुढ़िया खड़ी हो गयी  
उसे देखकर एक बूढा डर गया
थोडी देर बाद वो मर गया
लाश देखकर एक चिल्लाया
चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया

मैंने पूछा ये चम्पतिया कौन है
वो बोला चम्पतिया को नही जानते
ये वही है जो कभी बिल्ली तो
कभी कुत्ता बन जाती है
कभी भूत बनकर लोगो को डराती है
अंधेरे का फायदा उठाकर
किसी को भी मार जाती है

मैं बोला ये क्या करते हो
क्यो इस बात से डरते हो
चम्पतिया का पता नही
ये तो कोरी बकबास है
एक बूढा जो निपट गया था
ये तो उसकी लाश है

उम्मीदों की नौकाएं


नागफनी आंखों में लेकर, सोना हो पाता है क्या
जज्बातों में उलझ के कोई, चैन कहीं पाता है क्या

सावन के झूले पर उठते ,मीत मिलन के गीत कई
सबकी किस्मत में मिलनेका ,अवसर आपाता है क्या

बीज मोहब्बत के रोपे ,फ़िर छोड़ गए रुसवाई में
दर्द को किसने कैसे भोगा ,कोई समझ पाता है क्या

धूप का टुकडा हुआ चांदनी, खुशबू से लबरेज़ हुआ
चाँद देख कर दूर देश में ,याद कोई आता है क्या

मन के तूफां पर सवार हैं ,,,उम्मीदों की नौकाएं
बनती मिटती लहरें पल-पल, गर्दूं गिन पाता है क्या

ये कैसी महोब्बत



ये कैसी महोबत कहां के फसाने
ये पीने पीलाने के सब है बहाने

वो दामन हो उनका सुमसाम सेहरा
बस हम को तो अब है आंसु बहाने

ये किसने मुझे मस्त नजरों से देखा
लगे खुद-बखुद ही कदम लडखडाने

चलो तुम भी गुमनाम अब मयकदे मे
तुम्हे दफ्न करने है कइ गम पुराने

ये कैसी महोबत कहां के फसाने ....

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