जागो चम्पु जागो

परेशान थी चम्पु की वाइफ
Non-happening थी जो उसकी लाइफ
चम्पु को ना मिलता था आराम
ओफिस मैं करता काम ही काम

चम्पु के बॉस भी थे बड़े कूल
परमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नही थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ till nine

चम्पु भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नही करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
Onsite के उम्मीद मैं देता सलामी

दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया चम्पु का हाल
चम्पु को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहेनजी कहता था

आख़िर एक दिन चम्पु को समझ आया
और छोड़ दी उसने Onsite की मोह माया
"तुम क्यों सताते हो ?
"Onsite के लड्डू से बुद्दु बनाते हो"

"परमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"Onsite देने पर भी वापिस ना आऊंगा."
बॉस हंस के बोला "नही कोई बात"
"अभी और भी चम्पु है मेरे पास"

"यह दुनिया चमपुओं से भरी पड़ी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करवाऊंगा"
"तुम्हारी तरह एक और चम्पु बनाऊंगा"

अपने दिल से पुचो की क्या ये सच है ?

अपने दिल से पूछो क्या ये सच है ? " दोस्तों जब मैंने ब्लॉग लिखने की सुरुवात की .....और सचाई को सामने रखने की सुरुवात की तो न जाने कई लोगो ने मुझे कहा की " कुछ फायदा नही होगा " मगर आज बहुत सारे ब्लॉगर मुझे साथ दे रहे है अपने अपने ब्लॉग में एक या दुसरे तरीके से सच्चाई को सामने लाने की कोशीस कर रहे है तो दिल को काफी अच्छा लगता है ....की चलो मेरा कार्य सिद्ध हुवा ॥चलो किसी को जगा तो सका "" बेटियाँ अनमोल होती है ....ये मेरी पोस्ट का मैन बेस था .....उस वक्त मेरी पोस्ट ने सायद कई लोगो के दिल तोड़ दिए रहेंगे ....मगर ॥आज न जाने कितनी पोस्ट यही मुद्दे पर बन रही है की जैसे .......1 } औरत पर अत्याचार २} बेटियाँ अनमोल होती है ३} मर रहा है आम आदमी " धन्यवाद् दोस्तों ,की आप सब ने हमारे इसी मुद्दे को एक आवाज़ देने की कोशीस की है ,अगर हम पढेलिखे लोग समज जायेंगे तो वो दिन दूर नही की क औरत पर या बेटी पर अत्याचार नही होगा .......आप सब ने ....किसी ने कविता के जरिये तो किसी ने कहानी के जरिये जो आवाज़ उठाई है ॥उसके लिए आप सबका दिल से सुक्रिया "" मै कमेन्ट देने कहेता था तो सिर्फ़ इसलिए की मुझे पता चले की मेरे मुद्दे आपके दिल तक पहुंचे या नही ? मेरा मकसद पैसा कमाना नही बल्कि किसी "अबला " या " कोई बेटी" को न्याय मिले ...या फ़िर हम..... आम जनता जिन प्रश्नों से परेशां है .....वो सब बातें आपके सामने रखना ही मेरा मकसद था ...ब्लॉग पर आना जाना तो लगा रहेता है मगर दिल गवाही दे ऐसे सवाल हर ब्लॉग में होने चाहिए .... ना ही सिर्फ़ टाइम पास के लिए ब्लॉग लिखा जाए ....ताकि हर विसीटर आपकी पोस्ट पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाए की क्या ये सही है ? "" मेरे कई दोस्तोने मुझे कहा था की आज कल ऐसे आलेख कम पढ़ा जाते है मै भी जानता था की ऐसे आलेख कम पढ़ेंगी ये दुनिया मगर मै लिखता गया क्यों की मुझे पता था ...की जो मेरे आलेख पढेगा वो अन्याय के खिलाफ सवाल उठाने पर मजबूर होजायेगा "" यही मेरे लिए काफी है की अख़बार वालो ने " माँ भी किसी की बेटी थी " पर लिखना चालू कर दिया ....मेरा जलाया दिया आज उन अनपढ़ और पढ़े लिखे लोगो तक पहुंचेगा जो सो रहे है ......अपने पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखो दोस्तों ...क्यों की अन्याय करने वाले से अन्याय सहने वाला ज्यादा गुन्हेगार होता है "" ब्लॉग टाइम पास नही है बल्कि जानकारी का दरिया है "" दोस्तों मैंने अपनी दिल की बात कहे दी है ,अगर किसी को बुरा लगे तो माफ़ करना ....मगर मैंने सच्चाई की बात की है ये भी सच है मेरी पोस्ट पर कमेन्ट दे या न दे मुझे कोई फर्क नही पड़ेगा मगर फर्क पड़ेगा उन तमाम लोगो को जिन्हें अन्याय सहेने की आदत पड़ गई है ॥जिन्हें सच्चाई को चाहना गुनाह लगता है .....मै कोई ज़ंग में जाने की बात नही कर रहा ...बात है अपने इमां की ,अपने जमीर की ....बहुत से लोगो ने मुझे ये भी कहा की कौन करेगा सुरुवात ॥तो ये कोई ज़ंग नही है .....बात है तो सिर्फ़ समजदारी की ॥सिर्फ़ सच्चाई की क्यों की आज जो तुम्हारे आसपास अन्याय हो रहा है ...कल आप पर भी हो सकता है ......अभी भी वक्त है ...जागो "----- एकसच्चाई { आवाज़ }






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मेरी दीवानगी


जबसे तुमको है अपना बनाये हुए
हम तो अपनों से भी है पराये हुए

होना खफा तुम मेरे प्यार से
जी रहा हूँ तुम्हे दिल में बसाये हुए

नजारों को शिकायत, हम देखे उन्हें
नज़रों में जो तुम हो समाये हुए

मेरी चौखट पे रखोगी तुम कब कदम
एक मुद्दत हुई घर सजाये हुए

बढ़ रही है हर पल मेरी दीवानगी
भड़क उठे शोले दिल में दबाये हुए

गर नही तुमको हमसे मुहब्बत सनम
तोह बुझा दो यहदीपकजलाये हुए

दूरियों से फर्क पड़ता नहीं


दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है
दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए
मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।
लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है

चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया

छोटी की घटना बड़ी हो गयी
मरी हुई एक बुढ़िया खड़ी हो गयी  
उसे देखकर एक बूढा डर गया
थोडी देर बाद वो मर गया
लाश देखकर एक चिल्लाया
चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया

मैंने पूछा ये चम्पतिया कौन है
वो बोला चम्पतिया को नही जानते
ये वही है जो कभी बिल्ली तो
कभी कुत्ता बन जाती है
कभी भूत बनकर लोगो को डराती है
अंधेरे का फायदा उठाकर
किसी को भी मार जाती है

मैं बोला ये क्या करते हो
क्यो इस बात से डरते हो
चम्पतिया का पता नही
ये तो कोरी बकबास है
एक बूढा जो निपट गया था
ये तो उसकी लाश है

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