बेटियाँ...............


बोए जाते है बेटे ,

उग जाती है बेटियाँ.

खाद पानी बेटो को,

और लहलहाती है बेटियाँ.

एवरेस्ट की उचाईयों तक,

धकेले जाते है बेटे.

और चढ़ जाती है बेटियाँ.

रुलाते है बेटे.,

और रोती है बेटियाँ.

कई तरह गिरते है बेटे,

और संभल लेती है बेटियाँ.

सुख के स्वपन दिखाते है बेटे,

जीवन का यथार्थ है बेटियाँ.

जीवन तो बेटो का है,

और मरी जाती है बेटियाँ...............

करवा-चौथ व्रत कथा


एक समय की बात है। पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। किंही कारणों से वे वहीं रूक गये। उधर पांडवों पर गहन संकट आ पड़ा। शोकाकुल, चिंतित द्रौपदी ने श्रीकृष्ण का ध्यान किया। भगवान के दर्शन होने पर अपने कष्टों के निवारण हेतु उपाय पूछा। कृष्ण बोले- हे द्रौपदी! तुम्हारी चिंता एवं संकट का कारण मैं जानता हूँ, उसके लिए तुम्हें एक उपाय बताता हूँ। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आने वाली है, उस दिन तुम करवा चौथ का व्रत रखना। शिव गणेश एवं पार्वती की उपासना करना, सब ठीक हो जाएगा। द्रोपदी ने वैसा ही किया। उसे शीघ्र ही अपने पति के दर्शन हुए और उसकी सब चिंताएं दूर हो गईं। कृष्ण ने दौपदी को इस कथा का उल्लेख किया था:

भगवती पार्वती द्वारा पति की दीर्घायु एवं सुख-संपत्ति की कामना हेतु उत्तम विधि पूछने पर भगवान शिव ने पार्वती से ‘करवा चौथ’ का व्रत रखने के लिए जो कथा सुनाई, वह इस प्रकार है –

एक समय की बात है कि एक करवा नाम की पतिव्रता धोबिन स्त्री अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे के गाँव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। करवा का पति एक दिन नदी के किनारे कपड़े धो रहा था कि अचानक एक मगरमच्छ उसका पाँव अपने दाँतों में दबाकर उसे यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति से कुछ नहीं बन पड़ा तो वह करवा...करवा.... कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।

अपने पति की पुकार सुन जब करवा वहां पहुंची तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुँचाने ही वाला था। करवा ने मगर को कच्चे धागे से बाँध दिया। मगरमच्छ को बाँधकर यमराज के यहाँ पहुँची और यमराज से अपने पति की रक्षा व मगरमच्छ को उसकी धृष्टता का दंड देने का आग्रह करने लगी- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति का पैर पकड़ लिया है। उस मगरमच्छ को उसके अपराध के दंड-स्वरूप आप अपने बल से नरक में भेज दें।

यमराज करवा की व्यथा सुनकर बोले- अभी मगर की आयु शेष है, अतः मैं उसे यमलोक नहीं पहुँचा सकता। इस पर करवा बोली, "अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूँगी।" उसका साहस देखकर यमराज डर गए और उस पतिव्रता करवा के साथ आकर मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु दी। यमराज करवा की पति-भक्ति से अत्यंत प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया कि आज से जो भी स्त्री कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को व्रत रखेगी उसके पति की मैं स्वयं रक्षा करूंगा। उसी दिन से करवा-चौथ के व्रत का प्रचलन हुआ।

दीवाली में दीवाला


देखो देखो दिवाली आयी
रंग बिरंगी रोशनी लाई
ये त्यौहार है खुशियो वाला
महा लक्ष्मी के पूजन वाला

आओ सब मिली खुशी मनाये
आओ जलाये दीपों की माला
लक्ष्मी जी की पूजा करे
हो जाए सब जगह उजाला

लेकिन महंगाई के आलम में तो
सबका हुआ है हाल बेहाला
हम तेल के दीप को तरस रहे
कोई दीप जला रहा घी वाला

अबकी दीवाली तो हो गयी फीकी
आलू - शक्कर ने दम निकला
मंत्री नेता की हो रही दीवाली
और अपना तो निकल गया दीवाला

" गांधीजी को किया कैद कागज़ पर "---- हमसे जुडा एक सच |


" गांधीजी "को मारनेवाले हम लोग जब उनकी तारीफ करते है ...तो बड़ा अजीब लगता है , गाँधी की तस्वीर को चाहते है हम, मगर उनके सिद्धांतो को भूल गए है ....और इसी लिए कहेता हु मै की , " गाँधी को मारनेवाले हम लोग ही है "..अगर गाँधी के सिद्धांतो को भूल जाते है हम तो ये गाँधीजी को मारने बराबर ही है "
" सिर्फ़ उनकी याद में उनके जन्म दिन पर दो अच्छी बातें लिखकर गाँधी को याद करने का हक सायद हम भारतवासियों ने खो दिया है उनके ....सिद्धांतो को मारकर कौन करता है उनके सिद्धांतो का पालन ...क्या हम करते है ?..नही ,"क्यों की गाँधी की तस्वीर अच्छी है ,मगर उनके सिद्धांत ये ज़माने में फिट नही बैठ ते "..सायद यही जवाब होगा आप सब का ? गाँधी जयंती आई, चलो याद करे गांधीजी को ....दो फूल ले आओ ,एक माला ले आओ ...दो चार देश भक्ति के गीत गाओ और भूल जाओ "गांधीजी" को , दुसरे दिन वही गांधीजी की तस्वीर तले बैठ कर आराम से "रिश्वत" दो ..क्या यही है गांधीजी का सिद्धांत ? क्या यही सीखे है हम उनके जीवन चरित्र से ? "
" माउन्ट ब्लांक " जैस्सी विदेशी कम्पनी जो " गाँधीजी "से प्रभावित होकर ...२४१ पेन ,जो "व्हाइट गोल्ड" से बनी है मार्केट में लॉन्च कर रही है ...जिसका नाम रखा है " गाँधी " ...मगर हम या हमारी निक्कमी सरकार क्या करते है " गांधीजी " के लिए ? ..जवाब है ...कुछ नही ...करते है तो सिर्फ़ उनके सिद्धांतो को तोड़ने का कार्य ही ..."माउन्ट ब्लांक " कम्पनी को धन्यवाद की उन्होंने हमारे " राष्ट्रपिता गांधीजी " की कद्र की ...भले ही उनके पेन की कीमत ११ लाख ३३ हज़ार हो ..अरे क्या हमारे" गांधीजी "के सिद्धांत भी क्या कम अनमोल थे ? जो पेन सस्ता हो "
" गांधीजी के सिद्धांतो को तोड़नेवाले तमाम भारतीयों को सलाम ....दोस्तों " गांधीजी "को सिर्फ़ कागज़ पर कैद मत करो ....उनके सिद्धांतो को जिन्दा रखो ...ये बात मैंने अपनी पिछली पोस्ट याने " गाँधी तेरा राष्ट्र बिगड़ गया " में भी की थी ,आप सब से गुजारिश है दोस्तों की " गांधीजी की तस्वीर के साथ साथ उनके सिद्धांतो को भी जिन्दा रखो ....."
" गांधीजी के सिद्धांतो को कफ़न पहेनाकर, उनकी तस्वीर को फूलो के हार से मत सजाओ ....उनकी तस्वीर के साथ साथ गांधीजी के सिद्धांत भी हमारे लिए कीमती है गांधीजी की तस्वीर दिल में और उनके सिद्धांत अपने साथ रखो ...यही सच्ची रीत होगी उन्हें याद करने की सायद "
" गाँधी " नाम से जुड़े सिद्धांतो को महत्व देना हम भारतीयों का फ़र्ज़ है .....आओ हम मिलकर कहे आज की, गांधीजी को सिर्फ़ तस्वीर बनाकर नही ,बल्कि तस्वीर के साथ साथ उनके सिद्धांतो को भी हम अपने दिल में जिन्दा रखेंगे "
" जय हिंद "
एकसच्चाई { आवाज़ }

मंज़र यादो का

किसीको गम ने मारा ,
किसीको तक़दीर ने मारा ,
हमको तेरी तस्वीर ने मारा |

क्या हमने पाया,
क्या तुमने पाया
ये खेल है ......
मिलके बिछड़ ने का ........

आओ इस वीराने में बैठकर
चंद बूंद गिराकर अश्को के
बुनले मंज़र यादों का |

किए थे कुछ हमने वादे ,
किए थे कुछ तुमने वादे ,
आओ बुनते है इन्ही से
मंज़र यादो का |

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