एक मजेदार कहानी


मेरे 4 दोस्त है 
उनK नाम Bरेन्द्र, G तेन्द्र, Kलाश और राJन्द्र है। 
एक दिन हम Uरोप गए। 
वहां G तेन्द्र का घर था 
उसK पिताG और भाEसाहब Aटा गए थे 
वहां हमने अ4 से रोT खाE फिर बाज़ार गए। 
बाजार से Dनर K लिA मैंने Kला, Bरेन्द्र ने Iस्क्रीम, 
Kलाश ने पPता और Gतेन्द्र ने Oरेंज खरीदे। 
घर आते समय रास्ते में हमे Aक मंदिर मिला 
वहां बोर्ड पर लिखा था - G, O और G ने 2 

एक नाज़ुक सी लड़की


एक
नाज़ुक सी लड़की 
नर्म सा एक दिल था 
शर्म उसका सिंगार था 
कर्म मैं ही जीवन था 
धर्म मैं मिलता सकून था 

एक नाज़ुक सी लड़की 
आँखों मैं सपने थे 
आशाओं के गुल्दास्ते थे 
सब को खुश रखने के अरमान थे 
आस्मां को चुहने के इज़हार थे 
 
एक नाज़ुक सी लड़की 
सच का रास्ता ही अपना था 
हर इंसान रब का ही तो रूप था 
मुश्किलों से डरना नही था 
काली घटा मैं भी दीखता सूरज था 

एक नाज़ुक सी लड़की 
जालिमों को नही दिखा उसका प्यार 
बेदर्दी से करदिया वजूद को पार 
दिल मैं थी बोहोत सारी झंकार 
लेकिन ज़िन्दगी ने दिया उसे मार 
  
एक नाज़ुक सी लड़की 
अब कहाँ है उसकी मंजिल 
वो तो होगा ही बे महफ़िल
बस एक ही बात बोले ज़ख़्मी दिल 
ओह मेरे रब--नूर मुझसे मिल.......

चुटकियाँ


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पाकिस्तानी क्रिकेट को करारा झटका
सात खिलाडिय़ों को बाहर पटका
देकर इनको बड़ी बुरी सजा
पीसीबी ने शर्मनाक प्रदर्शन गटका
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सचिन को मिले भारत रत्न
हर कोई कर रहा है प्रयत्न
संसद में भी अब उठी है मांग
नेताओं को मिला काम का प्रश्न
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आईपीएल की गिरी कमाई
आयोजकों ने जुगाड़ भिड़ाई
गंभीर,सचिन,गांगुली पे लगा जुर्माना
कर ली एक झटके मे कमाई
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भारतीय लोकतंत्र
तेरी किस्मत
कितनी खोटी है
पहले होती थी राजनीति
वोटों पर
अब नोटों पर होती है
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सुमित ‘सुजान’, ग्वालियर

नव संवत्सर ...


नव संवत्सर के शुभ अवसर पर शत शत बधाइयाँ.
प्रिय साथियों ..........  
 आज का दिन हम सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है,  आज ही के दिन हमारा नव संवत्सर प्रारम्भ होता है,  प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक,  सम्राट विक्रमादित्य द्वारा शकों का दमन,  आज के दिन स्वामी दयानंद स्वामीजी ने आर्य समाज की स्थापना की थी !!  नवरात्री स्थापना,  महर्षि गौतम का जन्मदिवस,  संत झुलेलाल का प्रकाश पर्व,  चेती चाँद का त्यौहार,  गुडी पडवा त्यौहार (महराष्ट्र)  उगादी त्यौहार (दक्षिण भारत)  आपको विक्रम संवत  एवं समस्त भारतीय त्योहारों के शुभ अवसर पर शत शत बधाइयाँ.  आदर सहित  
-निर्भय जैन

मैं और मिसेज खन्ना




मैं और मिसेज खन्ना 
अक्सर चाय पीते है रोजाना शाम को 
उस वक़्त भूल जाते है हर किसी काम को

मौसम बदला वक़्त गुजरा
पर नहीं बदला हमारा चलन 
युही चुसकिया लेते रहे हम 
  एक दिन सहसा मेरा बेटा पास आया 
चाय के वक़्त ही उसने हमें डराया
वह बोला डेडी 
कल चाय के वक़्त मेरी शादी है 
जाना
मै घबराया और पूछा
बता रहा है या बुला रहा है 
बेटा ये कैसा गजब ढाता है 
तू भूल गया मै तेरा पिता 
और ये तेरी माता है 

भला अपनी शादी मै
कोई माँ बाप को ऐसे बुलाता है
तभी मन मै ख्याल आया
जमाना बदल रहा है
 ये तो बुला भी रहा है 
अब तो शायद .......

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