भारत निर्माण


सभी देशवासी
तेल बचाये देश बचायें
भारत का   निर्माण करें।
कर्तव्यों से न भागें
भ्रष्टाचार को त्यागें,
शिष्ट आचरण का आव्हान करें
आओ भारत का निर्माण करें।

गृहस्थ
वक्त आ गया सोचें हम
कितना हो परिवार हमारा
बच्चा अब तो एक ही अच्छा
इतना हो परिवार हमारा

नेता
अब न चलायें जूते चप्पल
अब न दें हम गाली
बहुत कर चुके  गलती अब तक
अब लायें खुशहाली

युवा
कितनी और पिओगे दारू
कितना वक्त बर्बाद करोगे
कब तक लूटोगे तुम अस्मत
कित ने युग तुम सुप्त रहोगे

अब तो जागो मेरे भैया 
अब तो सोचो कुछ हो जाये 
अब हम मिलकर तेल बचायें 
आओ मिलकर देश बचायें।


"माँ ” का क़र्ज़


एक बेटा पढ़-लिख कर बहुत बड़ा आदमी बन गया .
पिता के स्वर्गवास के बाद माँ ने
हर तरह का काम करके उसे इस काबिल बना दिया था.

शादी के बाद पत्नी को माँ से शिकायत रहने लगी के
वो उन के स्टेटस मे फिट नहीं है.
लोगों को बताने मे उन्हें संकोच होता है कि
ये अनपढ़ उनकी सास-माँ है...!

बात बढ़ने पर बेटे ने...एक दिन माँ से कहा..

"माँ ”_मै चाहता हूँ कि मै अब इस काबिल हो गयाहूँ कि कोई
भी क़र्ज़ अदा कर सकता हूँ
मै और तुम दोनों सुखी रहें
इसलिए आज तुम मुझ पर किये गए अब तक के सारे
खर्च सूद और व्याज के साथ मिला कर बता दो .
मै वो अदा कर दूंगा...!

फिर हम अलग-अलग सुखी रहेंगे.
माँ ने सोच कर उत्तर दिया...

"बेटा”_हिसाब ज़रा लम्बा है....सोच कर बताना पडेगा मुझे.
थोडा वक्त चाहिए.

बेटे ने कहा माँ कोई ज़ल्दी नहीं है.
दो-चार दिनों मे बता देना.

रात हुई,सब सो गए,
माँ ने एक लोटे मे पानी लिया और बेटे के कमरे मे आई.
बेटा जहाँ सो रहा था उसके एक ओर पानी डाल दिया.
बेटे ने करवट ले ली.
माँ ने दूसरी ओर भी पानी डाल दिया.
बेटे ने जिस ओर भी करवट ली माँ उसी ओर पानी डालती रही.

तब परेशान होकर बेटा उठ कर खीज कर.
बोला कि माँ ये क्या है ?
मेरे पूरे बिस्तर को पानी-पानी क्यूँ कर डाला..?

माँ बोली....

बेटा....तुने मुझसे पूरी ज़िन्दगी का हिसाब बनानें को कहा था.
मै अभी ये हिसाब लगा रही थी कि मैंने कितनी रातें तेरे बचपन मे
तेरे बिस्तर गीला कर देने से जागते हुए काटीं हैं.
ये तो पहली रात है
ओर तू अभी से घबरा गया ..?

मैंने अभी हिसाब तो शुरू
भी नहीं किया है जिसे तू अदा कर पाए...!

माँ कि इस बात ने बेटे के ह्रदय को झगझोड़ के रख दिया.
फिर वो रात उसने सोचने मे ही गुज़ार दी.
उसे ये अहसास हो गया था कि माँ का
क़र्ज़ आजीवन नहीं उतरा जा सकता.

माँ अगर शीतल छाया है.
पिता बरगद है जिसके नीचे बेटा उन्मुक्त भाव से जीवन बिताता है.
माता अगर अपनी संतान के लिए हर दुःख उठाने को तैयार
रहती है.
तो पिता सारे जीवन उन्हें पीता ही रहता है.

हम तो बस उनके किये गए कार्यों को
आगे बढ़ाकर अपने हित मे काम कर रहे हैं.
आखिर हमें भी तो अपने बच्चों से वही चाहिए ना ........!

नहले पे दहला


एक लड़का और एक
लड़की की शादी हुई ...
दोनों बहुत खुश थे!
स्टेज पर फोटो सेशन शुरू हुआ!
दूल्हे ने अपने दोस्तों का परिचय
साथ खड़ी अपनी साली से करवाया
" ये है मेरी साली , आधी घरवाली "
दोस्त ठहाका मारकर हंस दिए !
दुल्हन मुस्कुराई और अपने देवर
का परिचय अपनी सहेलियो से करवाया
" ये हैं मेरे देवर ..आधे
पति परमेश्वर "
ये क्या हुआ ....?
अविश्वसनीय ...अकल्पनीय!
भाई समान देवर के कान सुन्न
हो गए!
पति बेहोश होते होते बचा!
दूल्हे , दूल्हे के दोस्तों ,
रिश्तेदारों सहित सबके चेहरे से
मुस्कान गायब हो गयी!
लक्ष्मन रेखा नाम का एक
गमला अचानक स्टेज से नीचे टपक कर
फूट गया!
स्त्री की मर्यादा नाम की हेलोजन
लाईट भक्क से फ्यूज़ हो गयी!
थोड़ी देर बाद एक एम्बुलेंस
तेज़ी से सड़कों पर
भागती जा रही थी!
जिसमे दो स्ट्रेचर थे!
एक स्ट्रेचर पर भारतीय
संस्कृति कोमा में पड़ी थी ...
शायद उसे अटैक पड़ गया था!
दुसरे स्ट्रेचर पर पुरुषवाद
घायल अवस्था में पड़ा था ...
उसे किसी ने सर पर गहरी चोट
मारी थी!
आसमान में अचानक एक तेज़ आवाज़
गूंजी .... भारत
की सारी स्त्रियाँ एक साथ
ठहाका मारकर हंस पड़ी थीं !
_______________ _______________ ______

ये व्यंग ख़ास पुरुष वर्ग के लिए
है जो खुद तो अश्लील व्यंग
करना पसंद करते हैँ पर
जहाँ महिलाओं कि बात आती हैं
वहां संस्कृति कि दुहाई देते
फिरते हैं 
इसे कहते हैं नहले पे दहला


कन्या भ्रूण समस्या का हल

एक स्त्री एक दिन एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ केपास के गई और बोली,
" डाक्टर मैँ एक गंभीर समस्या मेँ हुँ और मेँ
आपकीमदद चाहती हुँ । मैं गर्भवती हूँ,
आप किसी को बताइयेगा नही मैने एक जान
पहचान के सोनोग्राफी लैब से यह जान लिया है
कि मेरे गर्भ में एक बच्ची है । मै पहले से
एकबेटी की माँ हूँ और मैं किसी भी दशा मे
दो बेटियाँ नहीं चाहती ।"
डाक्टर ने कहा ,"ठीक है, तो मेँ
आपकी क्या सहायता कर सकता हु ?"
तो वो स्त्री बोली," मैँ यह चाहती हू कि इस
गर्भ को गिराने मेँ मेरी मदद करें ।"
डाक्टर अनुभवी और समझदार था।
थोडा सोचा और फिर बोला,"मुझे लगता है कि मेरे
पास एक और सरल रास्ता है जो आपकी मुश्किल
को हल कर देगा।" वो स्त्री बहुत खुश हुई..
डाक्टर आगे बोला, " हम एक काम करते है
आप दो बेटियां नही चाहती ना ?? ?
तो पहली बेटी को मार देते है जिससे आप इस
अजन्मी बच्ची को जन्मदे सके और
आपकी समस्या का हल भी हो जाएगा. वैसे
भी हमको एक बच्ची को मारना है तो पहले
वाली को ही मार देते है ना.?"
तो वो स्त्री तुरंत बोली"ना ना डाक्टर.".!!!
हत्या करनागुनाह है पाप है और वैसे भी मैं
अपनी बेटी को बहुत चाहती हूँ । उसको खरोंच
भी आती है तो दर्द का अहसास मुझे होता है
डाक्टर तुरंत बोला, "पहले
कि हत्या करो या अभी जो जन्मा नही
उसकी हत्या करो दोनो गुनाह
है पाप हैं ।"
यह बात उस स्त्री को समझ आ गई । वह स्वयं
की सोच पर लज्जित हुई और पश्चाताप करते हुए
घर चली गई ।

क्या आपको समझ मेँ आयी ?
अगर आई हो तो SHARE करके दुसरे
लोगो को भी समझाने मे मदद कीजिये
ना महेरबानी. बडी कृपा होगी ।
हो सकता है आपका ही एक
shareकिसी की सोच बदल दे..
और एक कन्या भ्रूण सुरक्षित, पूर्ण विकसित
होकर इस संसारमें जन्म ले.....

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

1. सादा जीवन, उच्च विचार:- 

उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

२. दयालु प्रवृत्ति:- 

ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

3. नृत्य-संगीत का शौकीन:- 

'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.

4. अनुशासनप्रिय नायक:- 

जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.

5. हास्य-रस का प्रेमी:- 

उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का 'लाफिंग बुद्धा'था.

6. नारी के प्रति सम्मान:- 

बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.

7. भिक्षुक जीवन:- 

उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.

8. सामाजिक कार्य: 

डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना तकलीफ सो ज़ाए.

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