हाय ! किस्मत


इस कदर हम पे हुआ था, असर उसके प्यार का
ख़बर ख़ुद की थी हमको, होश था संसार का

उसको देखें तो दिल को चैन मिलता कहीं
रोज ही हम ढूंढते थे बहाना दीदार का

अब कहेंगे, तब कहेंगे सोचते थे हर घड़ी
सका फिर भी हम को हौसला इज़हार का

हमने माना उसको पाना काम ये आसन नही
इम्तेहान देना पड़ेगा हमको दरया पार का

कहने को तो कह भी देते हाले दिल उनसे मगर
डर हमे था सह पाते दर्द हम इनकार का

करके हिम्मत एक दिन चले हम, देर पर इतनी हुई
गैर के हाथों में देखा हाथ उस दिन यार का

कुछ लिखना है कुछ कहना है




कुछ लिखना है कुछ कहना है
पर शब्द नहीं मिल पाते है
कलम हाथ में लेकर भी
हम कुछ भी लिख न पाते है

कुछ जहन में है कुछ दिल में है
फ़िर भी कुछ कह नही पाते है
मिलने की कोशिश करते है
पर उनसे मिल नही पाते है

कुछ सोच लिया कुछ बोल दिया
वो कुछ न समझ पाते है
हम कोशिश करते रहते है
वो किसी और से मिलने जाते है

कुछ ठेस लगी कुछ घाव हुए
पर दवा लगा नही पाते है
ऐसे जख्मो पर तो शायद
हकीम भी काम ना आते है

कुछ मजनू थे कुछ राँझा थे
हम कौन है समझ न पाते है
एकतरफा चाहने वालो को
सब पागल पागल बुलाते है

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