कन्या भ्रूण समस्या का हल

एक स्त्री एक दिन एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ केपास के गई और बोली,
" डाक्टर मैँ एक गंभीर समस्या मेँ हुँ और मेँ
आपकीमदद चाहती हुँ । मैं गर्भवती हूँ,
आप किसी को बताइयेगा नही मैने एक जान
पहचान के सोनोग्राफी लैब से यह जान लिया है
कि मेरे गर्भ में एक बच्ची है । मै पहले से
एकबेटी की माँ हूँ और मैं किसी भी दशा मे
दो बेटियाँ नहीं चाहती ।"
डाक्टर ने कहा ,"ठीक है, तो मेँ
आपकी क्या सहायता कर सकता हु ?"
तो वो स्त्री बोली," मैँ यह चाहती हू कि इस
गर्भ को गिराने मेँ मेरी मदद करें ।"
डाक्टर अनुभवी और समझदार था।
थोडा सोचा और फिर बोला,"मुझे लगता है कि मेरे
पास एक और सरल रास्ता है जो आपकी मुश्किल
को हल कर देगा।" वो स्त्री बहुत खुश हुई..
डाक्टर आगे बोला, " हम एक काम करते है
आप दो बेटियां नही चाहती ना ?? ?
तो पहली बेटी को मार देते है जिससे आप इस
अजन्मी बच्ची को जन्मदे सके और
आपकी समस्या का हल भी हो जाएगा. वैसे
भी हमको एक बच्ची को मारना है तो पहले
वाली को ही मार देते है ना.?"
तो वो स्त्री तुरंत बोली"ना ना डाक्टर.".!!!
हत्या करनागुनाह है पाप है और वैसे भी मैं
अपनी बेटी को बहुत चाहती हूँ । उसको खरोंच
भी आती है तो दर्द का अहसास मुझे होता है
डाक्टर तुरंत बोला, "पहले
कि हत्या करो या अभी जो जन्मा नही
उसकी हत्या करो दोनो गुनाह
है पाप हैं ।"
यह बात उस स्त्री को समझ आ गई । वह स्वयं
की सोच पर लज्जित हुई और पश्चाताप करते हुए
घर चली गई ।

क्या आपको समझ मेँ आयी ?
अगर आई हो तो SHARE करके दुसरे
लोगो को भी समझाने मे मदद कीजिये
ना महेरबानी. बडी कृपा होगी ।
हो सकता है आपका ही एक
shareकिसी की सोच बदल दे..
और एक कन्या भ्रूण सुरक्षित, पूर्ण विकसित
होकर इस संसारमें जन्म ले.....

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

1. सादा जीवन, उच्च विचार:- 

उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.

२. दयालु प्रवृत्ति:- 

ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.

3. नृत्य-संगीत का शौकीन:- 

'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.

4. अनुशासनप्रिय नायक:- 

जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.

5. हास्य-रस का प्रेमी:- 

उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का 'लाफिंग बुद्धा'था.

6. नारी के प्रति सम्मान:- 

बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.

7. भिक्षुक जीवन:- 

उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.

8. सामाजिक कार्य: 

डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना तकलीफ सो ज़ाए.

हे केदारनाथ ! हे भोलेनाथ !




मैंने पूछा
हे केदारनाथ !
भक्तों का
क्यों नहीं
दिया साथ ?
खुद का धाम बचा कर
सबको
कर दिया अनाथ |
वे बोले
मैं सिर्फ मूर्ती
या मंदिर में नहीं
पृथ्वी के कण कण में
बसता हूँ
हर पेड़ हर पत्ती
हर जीव हर जंतु
तुम्हारे
हर किन्तु हर परन्तु में
हर साँस में हर हवा में
हर दर्द में हर दुआ में
में बसा हूँ
तुमने प्रकृति को बहुत छेडा
पेड़ों को काटा पहाड़ों को तोड़ा
मुर्गी के खाए अंडे
कमजोरों को मारे डंडे
खाया पशु पक्षियों का मांस
मेरी हर बार तोड़ी साँस
फिर आ गए मेरे दरबार
मेरा अपमान करके
मेरी मूर्ति का किया सत्कार
हे मूर्ति में भगवान को समेटने वालों
संभल जाओ अधर्म को धर्म कहने वालों
मेरी करते हो हिंसा और फिर पूजा
अहिंसा से बढ़ कर नहीं धर्म दूजा
मेरे नाम पर अधर्म करोगे
तो ऐसा ही होगा
दूसरे जीवों को अनाथ करोगे
मंजर इससे भीषण होगा |

याहू-याहू चिल्लायेंगे.....


फेसबुक सा फेस है तेरा, गूगल सी हैं आँखें
एंटर करके सर्च करूँ तो बस मुझको ही ताकें

रेडिफ जैसे लाल गाल तेरे हॉटमेल से होंठ
बलखा के चलती है जब तू लगे जिगर पे चोट

सुराही दार गर्दन तेरी लगती ज्यों जी-मेल
अपने दिल के इंटरनेट पर पढ़ मेरा ई-मेल

मैंने अपने प्यार का फारम कर दिया है अपलोड
लव का माउस क्लिक कर जानम कर इसे डाउनलोड

हुआ मैं तेरे प्यार में जोगी, तू बन जा मेरी जोगिन
अपने दिल की वेबसाईट पर कर ले मुझको लोगिन

तेरे दिल की हार्डडिस्क में और कोई न आये
करे कोई कोशिश भी तो पासवर्ड इनवैलिड बतलाये

गली मोहल्ले के वायरस जो तुझ पर डोरे डालें
एन्टी वायरस सा मैं बनकर नाकाम कर दूँ सब चालें

अपने मन की मेमोरी में सेव तुझे रखूँगा
तेरी यादों की पैन ड्राइव को दिल के पास रखूँगा

तेरे रूप के मॉनिटर को बुझने कभी न दूँगा
बनके तेरा यू पी एस मैं निर्बाधित पावर दूँगा

भेज रहा हूँ तुम्हें निमंत्रण फेसबुक पर आने का
तोतों को मिलता है जहाँ मौका चोंच लड़ाने का

फेसबुक की ऑनलाईन पर बत्ती हरी जलाएंगे
फेसबुक जो हुआ फेल तो याहू पर पींग बढ़ायेंगे

एक-दूजे के दिल का डाटा आपस में शेयर करायेंगे
फिर हम दोनों दूर के पंछी एक डाल के हो जायेंगे

की-बोर्ड और उँगलियों जैसा होगा हमारा प्यार
बिन तेरे मैं बिना मेरे तू होगी बस बेकार

फिर हम आजाद पंछी शादी के सी पी यू में बन्ध जायेंगे
इस दुनिया से दूर डिजिटल की धरती पे घर बनाएँगे

फिर हम दोनों प्यासे-प्रेमी नजदीक से नजदीकतर आते जायेंगे
जुड़े हुए थे अब तक सॉफ्टवेयर से अब हार्डवेयर से जुड़ जायेंगे

तेरे तन के मदरबोर्ड पर जब हम दोनों के बिट टकराएँगे
बिट से बाइट्स, फिर मेगा बाइट्स फिर गीगा बाइट्स बन जायेंगे

ऐसी आधुनिक तकनीकयुक्त बच्चे जब इस धरती पर आयेंगे
सच कहता हूँ आते ही इस दुनिया में धूम मचाएंगे

डाक्टर और नर्स सभी दांतों तले उंगली दबाएंगेहोगे
हमारे 3G बच्चे और याहू-याहू चिल्लायेंगे... याहू-याहू चिल्लायेंगे...

क्या खोया और क्या पाया


कुत्तो को घुमाना याद रहा और, 
गाय की रोटी भूल गये
पार्लर का रास्ता याद रहा और, 
लम्बी चोटी भूल गये

फ्रीज़ कूलर याद रहा और , 
पानी का मटका भूल गये
रिमोट तो हमको याद रहा और, 
बिजली का खटका भूल गये

बिसलेरी पानी याद रहा और , 
प्याऊ का पानी भूल गये
टीवी सीरिअल याद रहे और, 
घर की कहानी भूल गये

हेल्लो हाय तो याद रही और, 
नम्र प्रणाम भूल गये
हिल स्टेशन याद रहे और, 
चारो धाम भूल गये

अंकल आंटी याद रहे और, 
चाचा मामा भूल गये
बरमूडा तो याद रहा और, 
फुल पजामा भूल गये

दोस्त यार सब याद रहे और, 
सगे भाई को भूल गये
साली का जन्मदिन याद रहा और 
माँ दवाई भूल गये

अब तुम्ही बतलाओ कि तुमने 
क्या खोया और क्या पाया है 
कुछ पुराना  याद  आया या 
नया जमाना रास आया है .. 


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