अन्धयारी गलियां


काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 
जब अपनों को ही भूल गई मैं 
भूल भुलायिया क्या जानू 
ये धरती मेरा बिस्तर है 
और अम्बर मेरी चादर है 
मैं खेल रही तूफानों से 
मेरा अपना जीवन पतझड़ है 
टुकड़ों पर पलने वाली हूँ 
मैं दुध मलाई क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 

अपना दुखमय जीवन बिता 
इन अंधियारी गलियों में 
आज तलक मैं रही हूँ वंचित 
दुनिया की रंग रालिओं से 
परहित में अर्पित तन मन धन 
मैं ता-ता थैया क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 

जीवन से सिखा है मैंने 
आंसू पीना मुह को सीना 
सीख लिया दुनिया से मैंने 
घुट-घुट कर जीना 
मैं गुरु चरणों मैं लीन रही 
मैं राम रम्या क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू

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