मन का मन का मीत





मीत मिला ना मन का 
मन का मिला ना मीत 
छेड़ो राग प्यार का 
गाओ ख़ुशी के गीत 


किसी मोड़ पर मिल जायेगा 
गर होगी सच्ची प्रीत 
हार से मत घबरा प्यारे
हार के आगे ही है जीत 

मिलना है तो मिल जायेगा 
यही है दुनिया की रीत 
मिल जायेगा मिल जायेगा
सबको मन का मीत 

2 टिप्‍पणियां:

S.N SHUKLA ने कहा…

सार्थक सृजन , बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.

संजय भास्‍कर ने कहा…

तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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