हाय मेरी किस्मत


स्वर्ग
और नरक के बीच में लटक गया 
क्या करू अब मै जमी पर अटक गया 
निकला था मैं स्वर्ग जाने को मगर 
जाने कैसे रास्ता मैं भटक गया 

किए थे कई पुण्य 
पिछले जन्म मे मैंने 
उनके फल से 
स्वर्ग का टिकट कट गया 

जाने कौनसा पाप 
बीच मे गया 
रस्ते मे ही 
मेरा भेजा सटक गया 

  स्वर्ग जाना था मुझे
 पर ये क्या होगया 
जाने कौन मुझे 
इस धरती पर पटक गया 

शायद स्वर्ग किस्मत को मंज़ूर नही था 
इसलिए मैं 
स्वर्ग और नरक के बीच लटक गया

- निर्भय जैन 

बाल दिवस पर


शिशुओं की दीजे संस्कार।
भर दो इनमें सुन्दर विचार।।
इनके मन सत्पथ पर मोड़ो,
सद्भावों को इनसे जोड़ो।
इनमें भेद को आने दो,
मन में ईष्र्या लाने दो।
भर दो स्नेह इनमें अपार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
नित इन्हें सुभाषित पढ़वाओ,
वीरों की गाथा सुनवाओ।
हो मातृभूमि से प्रेम इन्हें,
ऐसा सुन्दर दो बोध इन्हें।
ये बनें राष्ट्र के कर्णधार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
बच्चों को दो नित सद्विचार,
अन्त: में भर दो सदाचार।
आलस प्रमाद से दूरे रहें,
कत्र्तव्यों में भरपूर रहें।
शालीन शीलयुत हों उदार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।
हो इनमें सेवाभाव सदा,
हो देशभक्ति, सद्भाव सदा।
सब मातृभूमि हित जियें सदा,
कत्र्तव्य सुधा को पियें सदा।
जीवन का सुन्दर यही सार।
शिशुओं को दीजे संस्कार।।

कलयुग में ईश्वर की वन्दना

http://artyzm.com/obrazy/grottger-modlitwa.jpg

हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो,
सिर्फ मैं जीवित रहूँ, तुम और सबको मार दो।
भक्त हूँ मैं अपका अर्जी प्रभु सुन लीजिए,
और जितनी अर्जियाँॅ हो फाड उनको दीजिए।
सी डी लगाकर मैं प्रभु भजन आपके कर रहा,
ब्रत भी हूँ आजकल केवल फलों से पेट भर रहा।
पुष्प, चन्दन, भोग-मेवा आप सब ले लीजिए,
सौ-पाँच सौ के नोट जितने हो मुझे ही दीजिए।
और हमारा कौन है सब कुछ हमारे आप हैं,
आप हमारे बाप क्या बाप के भी माई-बाप हैं।
मुझे अगले जन्म में बेटा बनाना सेठ का,
या प्रभु नेता बनाना मुझे भारत देश का।
भक्त बनकर रक्त जनता का सदा पीता रहूँ,
दो मुझे आशीष डेढ़-दो सौ वर्ष जीता रहूँ।
ब्लैक रिश्वत आदि से जेब को भरता रहूँ,
नोट लेकर, बोट लेकर, चोट भी करता रहूँ।
एक झण्डा, चार गुण्डा, आठ मोटर कार दो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो।
दोस्त ऐसे हों जो कि बुदधिमानी छोड दें,
आँख जो मुझसे मिलाये वो उसी को फोड दें।
देश सारा मेरे हिसाब से चलता रहे,
मुझे ‘हउआ’ जानकर संसार सब डरता रहे।
लिस्ट लम्बी है जरा मैं अभी फैक्स करता हूँ,
साथ में दो किलों देशी घी मिठाई रखता हूँ।
इस समय जरा जल्दी है और प्यास मुझे सता रही,
असल में टी वी पर एक नयी फिल्म आ रही।
कोक पीकर ब्रेक में फिर आउँगा ये वचन है,
आखिर ये मेरी फ्यूचर लाइफ का प्रश्न है।
इस भक्त की अर्जी पर प्रभु प्राथमिकता से विचार हो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो,
हे प्रभु आनन्दमय हमको यही उपहार दो।

हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

मोहब्बत मेरी यह दुआ मांगती है,
तेरे साथ तये हो सफर जिंदगी का....

न दो मुझ को पैगामे तर्क-ऐ-ताल्लुक,
कुछ एहसास करलो मेरी बेबसी का...

मेरा दिल न तोडो ज़रा इतना सोचो,
मुनासीब नही तोड़ना दिल किसी का....

तुम्हे अब तरस मुझ पे आया तो क्या है,
भरोसा नही अब कोई जिंदगी का.....

अभी आप वाकिफ नही दोस्ती से,
न इज़हार फरमाए दोस्ती का....

न आना खुशी उनकी बातों मैं हरगिज़,
नही है जहाँ मैं भरोसा किसी का....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझे पे जबसे किसी का.......

जीवन का आधार

http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2008/06/love_moon_cats1.jpg

जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है

देखता है खुदा भी आसमान से जमीन पर
जब एक दिल दूसरे से बेपनाहा मोहब्बत करता है

सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी
जब कोई आसमान बन के बाहो में पिघलता है

लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए -मोहब्बत
तब कही जा कर अमर-प्रेम लोगो के दिलों में उतरता है!!


प्रेम जीवन का आधार है, इसके बिना इंसान मशीन बन जायेगा। प्रेम ही जीवीत और अजीवीत मे फर्क करता है...

हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

लोकप्रिय पोस्ट