डॉ. नरेनद्र नाथ लाहा का चिन्तन

1. जीवन के संध्या में
सुबह का आनन्द लाओ
किताबों से दोस्ती बाँधो
पन्नों में प्यार पाओ
2. साधारण आदमी
दु:खी है परेशान है
बात-बात पर लड़ता है
प्यार के दो शब्द बोलो
उतना ही झुकता है
3. सम्बन्धों की लड़ाई पर
चितायें मत जलाओ
अगर सम्भव हो सके तो
मरने के बाद भी प्यार फैलाओ
4. मुर्गे की बांग पर
एक पीढ़ी जागती है
एक पीढ़ी सोती है
प्रकृति देख रोती है
5. सुन्दरता का दर्द
उसी को मालूम है
जो मेकअप लगाता है
चेहरा छुपाता जाता है

27, ललितपुर कॉलोनी,
डॉ. पी.एन. लाहा मार्ग, ग्वालियर (म.प्र.)

समीर लाल ‘समीर’ का व्यंग्य : सच का सामना

एक नामी चैनल पर कल शाम ’सच का सामना’ देख रहा था.

कार्यक्रम के स्तर और उसमें पूछे जा रहे सवालों पर तो संसद, जहाँ सिर्फ झूठ बोलने वालों का बोलबाला है, में तक बवाल हो चुका है. इतने सारे आलेख इस विवादित कार्यक्रम पर लिख दिये गये कि अब तक जितना ’सच का सामना’ की स्क्रिप्ट लिखने में कागज स्याही खर्च हुआ होगा, उससे कहीं ज्यादा उसकी विवेचना में खर्च हो गया होगा.

खैर, वो तो ऐसा ही रिवाज है. नेता चुनते एक बार हैं और कोसते उन्हें पाँच साल तक हर रोज हैं. अरे, चुना एक बार है तो कोसो भी एक बार. इससे ज्यादा की तो लॉजिकली नहीं बनती है.

बात ’सच का सामना’ कार्यक्रम की चल रही थी.

इतना नामी चैनल कि अगर वादा किया है तो वादा किया है. नेता वाला नहीं, असली वाला. अगर रात १० बजे दिखाना है रोज, तो दिखाना है.

अब मान लीजिये, रोज के रोज शूटिंग हो रही है रोज के रोज दिखाने को और पॉलीग्राफ मशीन खराब हो जाये शूटिंग में. मशीन है तो मौके पर खराब हो जाना स्वभाविक भी है वो भी तब, जब वो भारत में लगी हो. हमेशा की तरह मौके पर मेकेनिक मिल नहीं रहा. रक्षा बंधन की छुट्टी में गाँव चला गया है, अपनी बहिन से मिलने वरना वहाँ ’सच का सामना’ करे कि भईया, अब तुम मुझे पहले जैसा रक्षित नहीं करते. याने एक धागा न बँधे, तो रक्षा करने की भावना मर जाये. धागा न हुआ, ए के ४७ हो गई.

ऐसे में शूटिंग रोकी तो जा नहीं सकती. अतः, यह तय किया गया कि सच तो उगलवाना ही है तो पुलिस वालों को बुलवा लो. इस काम में उनसे बेहतर कौन हो सकता है? वो तो जैसा चाहें वैसा उगलवा लें फिर यहाँ तो सच उगलवाने का मामला है.

प्रोग्राम हमारा है, यह स्टेटमेन्ट चैनल की तरफ से, याने अगर हमने कह दिया कि ’यह सच नहीं है’ तो प्रूव करने की जिम्मेदारी प्रतिभागी की. हमने तो जो मन आया, कह दिया. पैसा कोई लुटाने थोड़े बैठे हैं. जो हमारे हिसाब से सच बोलेगा, उसे ही देंगे.

पहले ६ प्रश्न तो लाईसेन्स, पासपोर्ट और राशन कार्ड आदि से प्रूव हो गये मसलन आपका नाम, पत्नी का नाम, कितने बच्चे, कहाँ रहते हो, क्या उम्र है आदि. लो जीत लो १०००००. खुश. बहल गया दिल.

आगे खेलोगे..नहीं..ठीक है मत खेलो. हम शूटिंग डिलीट कर देते हैं और चौकीदार को बुलाकर तुम्हें धक्के मार कर निकलवा देते है, फिर जो मन आये करना!! मीडिया की ताकत का अभी तुम्हें अंदाजा नहीं है. हमारे खिलाफ कोई नहीं कुछ बोल सकता.

तो आगे खेलो और तब तक खेलो, जब तक हार न जाओ.

प्रश्न ५ लाख के लिए :’ क्या आप किसी गैर महिला के साथ उसकी इच्छा से अनैतिक संबंध बनाने का मौका होने पर भी नाराज होकर वहाँ से चले जायेंगे.’

जबाब, ’हाँ’

एक मिनट- क्या आपको मालूम है कि आज पॉलीग्राफ मशीन के खराब होने के कारण यहाँ उसके बदले दो पुलिस वाले हैं. एक हैं गेंगस्टरर्स के बीच खौफ का पर्याय बन चुके पांडू हवलदार और दूसरे है मिस्टर गंगटोक, एन्काऊन्टर स्पेश्लिस्ट- एक कसूरवार के साथ तीन बेकसूरवार टपकाते हैं. बाई वन गेट थ्री फ्री की तर्ज पर.

जबाब-अच्छा, मुझे मालूम नहीं था जी. मैने समझा था कि पॉलीग्राफ मशीन लगी है. मैं अपना जबाब बदलना चाहता हूँ.

नहीं, अब नहीं बदल सकते, अब तो ये ही पुलिस के लोग पता करके बतायेंगे कि आपने सच बोला था कि नहीं.

पांडू हवलदार, इनको जरा बाजू के कमरे में ले जाकर पता करो.

सटाक, सटाक की आवाजें और फिर कुछ देर खुसुर पुसुर. फिर शमशान शांति और सीन पर वापसी.

माईक पर एनाउन्समेण्ट: "बंदा सच बोल रहा है."

बधाई, आप ५००००० जीत गये. क्या आप आगे खेलना चाहेंगे?

नहीं..

उसे जाने दिया जाता है. जब प्रशासन (पुलिस वाले) उसके साथ है तो कोई क्या बिगाड़ लेगा. जैसा वो चाहेगा, वैसा ही होगा.

स्टूडियो के बाहर पांडू एवं गंगटोक और प्रतिभागी के बीच २५०००० और २५०००० का ईमानदारी से आपस में बंटवारा हो जाता है और सब खुशी खुशी अपने अपने घर को प्रस्थान करते हैं.

सीख: प्रशासन का हाथ जिस पर हो और जो प्रशासन से सांठ गांठ करने की कला जानता हो, वो ऐसे ही तरक्की करता है. माना कि मीडिया बहुत ताकतवर है लेकिन देखा न!! कहीं न कहीं उन्हें भी दबना ही पड़ता है.

यही है सत्य और यही है 'सच का सामना'!!!!

-समीर लाल 'समीर'

हिंदू हिन्दी हिंदुस्तान



हिंदू हिन्दी हिंदुस्तान 
क्या है भारत की पहचान 
पहले राज किया अंग्रेजों ने 
अब अंग्रेजी के है गुलाम 

देश की आजादी की खातिर 
जाने कितनों ने देदी जान 
हिन्दी को हम भूल रहे है 
अंग्रेजी को समझते शान 

हिन्दी बचाओ के नारे लगाकर 
चला देते हैं हम अभियान 
हालत क्या है हिन्दी की 
इस ओर नहीं है किसी का ध्यान 

अब सब कुछ हिन्दी में होगा 
कहते नेताजी सीना तान 
ख़ुद विदेशी दौरे कर रहे 
छोड़ रहे है अंग्रेज़ी वाण 

उर्दू के खातिर जिन्ना ने 
बना दिया था पकिस्तान 
हिन्दी को हिंगलिश बनाकर 
बोल रहा है हिंदुस्तान 
हिंदू हिन्दी ............. 

विनती सुनलो मातृभूमि की 
ऐ भारत माँ के वीर जवान 
हिन्दी दिवस मनाने से ही 
नहीं बनेगी देश की पहचान 
हिंदू हिन्दी ............. 

हिन्दी आवश्यक भाषा है 
सबको सुना दो ये फरमान 
तभी होगा एक ये भारत 
हिंदू हिन्दी हिंदुस्तान

जय हिन्द !

गुनाह कर के सजा से डरते है


गुनाह कर के सजा से डरते है
ज़हर पीकर दवा से डरते है
हमे दुश्मनों के सितम का खौफ नही
हम तो प्यार की बेवफाई से डरते है.

ज़रूरत नही अल्फाज़ की
प्यार तो चीज़ है एहसास की
पास होते तो बात ही कुछ और थी
दूर से ख़बर है हमे आपकी हर साँस की.

जीते हर बाज़ी तो मशहूर हो गए
आपकी हसी मे हसे तो आसूं दूर हो गए
बस आप जैसे दोस्त की बदोलत हम
कांच से कोहिनूर हो गए.

वो आए उनकी याद आकर वफ़ा कर गई
उनसे मिलने की तमन्ना सुकून तबाह कर गई
आहट हुई सोचा असर दुआ कर गई
दरवाजा खुला तो देखा मज़ाक हमसे हवा कर गई.

यादो की कीमत वोह क्या जाने
जो ख़ुद ही यादों को मिटा दिया करते है
यादों का मतलब तो उनसे पूछो
जो यादों के सहारे ज़िन्दगी बिता दिया करते है

-पूजा, गुडगाँव हरियाणा

चालाक कुत्ता [कहानी]

http://portraitxpress.files.wordpress.com/2008/10/rottie.jpg
एक दिन एक कुत्ता जंगल मैं रास्ता भटक गया? तभी उसाने देखा एक शेर उसकी तरफ़ रहा है? कुत्ते की साँस रूख गई? "आज तो काम तमाम मेरा!" उसने सोचा? फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि? वोह आते हुए शेर की तरफ़ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, "वह! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है. एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी!" और उसने ज़ोर से डकार मारा. इस बार शेर सोच में पड़ गया. उसने सोचा "ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है! जान बचा करा भागो!" और शेर वहां से जान बच्चा के भागा.
पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था. उसने सोचा यह मौका अच्छा है शेर को साड़ी कहानी बता देता हूँ - शेर से दोस्ती हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जाएगा? वोह फटाफट शेर के पीछे भागा. कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गायकी कोई लोचा है. उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया की कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है. शेर ज़ोर से दहाडा, "चल मेरे साथ अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ" और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ़ लपका

http://www.lionking.org/imgarchive/Act_2/RafikisWords.jpg
आप सोच सकते है की अब कुत्ते ने क्या किया होगा......... नही ना......................... चलो आगे देखते है.
कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसकी तरफ़ पीठ करके बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, "इस बन्दर को भेजे के घंटा हो गया, साला एक शेर फसा कर नही ला सका अभी तक!"

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