पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था. उसने सोचा यह मौका अच्छा है शेर को साड़ी कहानी बता देता हूँ - शेर से दोस्ती हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जाएगा? वोह फटाफट शेर के पीछे भागा. कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गायकी कोई लोचा है. उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया की कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है. शेर ज़ोर से दहाडा, "चल मेरे साथ अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ" और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ़ लपका।
कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसकी तरफ़ पीठ करके बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा, "इस बन्दर को भेजे के १ घंटा हो गया, साला एक शेर फसा कर नही ला सका अभी तक!"
4 टिप्पणियां:
आपकी कहानी का गूढ़ अर्थ बहुत सुन्दर है, हाँ कुछ लेखन की त्रुटियाँ है, उन्हें सुधार दे तो अति उत्तम !
यह कुत्ता तो आज के इंसानों से भी ज्यादा चालाक निकला.
अच्छी प्रस्तुति. बधाई
इतनी छोटी और इतनी अच्छी कहानी मैंने अभी तक नहीं पढ़ी है। कुत्ते का फोटो बदलो तो और अच्छा रहेगा। धन्यवाद
सुमित 'सुजानÓ
अर्थ गहन है...
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