दीप जलाओ


शिक्षा का शुभ दीप जलाओ।
संस्कृति से अज्ञान भगाओ।।
शिक्षा का सब दीप जलाओ,

ज्ञान प्रकाश सभी फैलाओ।
रहे न कहीं निरक्षरता-तम,
रहे न कोई अशिक्षित, अक्षम।
पढ़ो स्वावलम्बी बन जाओ।
शिक्षा का शुभ दीप जलाओ।।

जग में वही सर्व सुन्दर है,
ज्ञान-ज्योति जिसके अन्दर है।
वही श्रेष्ठ है, वही प्रेष्ठ है, 
जोकि ज्ञान विज्ञान ज्येष्ठ है।
पढ़कर सदा मानधन पाओ।
शिक्षा का शुभ दीप जलाओ।।

जो नर-नारि अपढ़ होते हैं, 
 निज सम्मान सदा खोते हैं।
वे समाज में सुयश न पाते, 
 लज्जित होते हैं लजियाते।
पढ़कर जीवन सफल बनाओ।
शिक्षा का शुभ दीप जलाओ।।

शिक्षित है समाज में ऊँचा, 
उससे बढ़कर कोई न दूजा।
शिक्षित के झण्डे लहराते, 
शिक्षित सदा उच्चपद पाते।
पढ़ो, जगत् में सुयश कमाओ।
शिक्षा का शुभ दीप जलाओ।।

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है जै हिन्दी जै भारत्

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