गर्व से कहो हम हिंदी है




सबसे सरल जानी पहचानी 
राष्ट्र भाषा वो हिंदी है 
लोकप्रिय हो रही विश्व में 
भारत की गरिमा हिंदी है 


हाहाकार क्यों हिंदी को लेकर 
धर्मो का मंथन हिंदी है 
पैदा हुई संस्कृत की कोख से
भाषा की बड़ी बहन हिंदी है


दुनिया मै डंका बजा दिया
अंग्रेजी का दावा झुठला दिया
अस्तित्व को चुनौती दे करके 
अपना साम्राज्य फैला ही लिया


भाषा तो कई मौजूद यहाँ 
अपनी पहचान तो हिंदी है
भाषा के भेदभाव छोड़कर
गर्व से कहो हम हिंदी है 

इक लड़की को हो गया है प्यार !


पहले
देख कर छुपाती थी वो 
अबके छुप - छुप कर देखती है 
वोह दौर था बचपन का 
  यह दौर है जवानी का 

मन उसका सुमन तन सुकोमल चहेरा माहताब 
कभी अपने हाथ से अपनी ऊंगलियों को छूती है 
तो कभी आईने में देख खुद को
खुद से ही शर्माती है 
अब तो शाम का रंग बिरंगी आसमान भी 
उसे लुभाने लगा है 

रात को आसमान के तारे गिनती है वो 
जिसे तोड़ लाने की बात कही है 
किसी ने देख चाँद को
चौकती है वोह मुस्कराती है और छुपा लेती है 
अपने आपको रात के आगोश में वो
रात को नींद में तकिये को आगोश में ले लेती है
और फिर अचानक आधी रात को 
नींद खुलते ही देख तकिए को मूस्कुराती है 
फिर इक सुखद नींद में सो जाती है 
इक लड़की को हो गया है प्यार !!!!

मेरी प्रेम कहानी


आज वही बस स्टॉप था, जिसके इस पार हम और उस पार वो खड़ी थी
हम भी नज़रें झुकाए खड़े थे और वो भी कुछ शरमाई लग रही थी
मेरी सोच एक उलझान में पड़ी थी,बोल ही दूंगा दिल की हर बात आज
ये हिम्मत काफी देर से दिल के साथ झगड़ रही थी

इतने में देखा एक आंटी जी ,हमारे सामने खड़ी थी
पूछने लगी बेटा पहचाना मुझे, मेरी मुंडी के इशारे में मुड़ी थी
बोली तेरी चचेरी मौसी हु मैं,ये कहते ही उनके चेहरे
की मुस्कान इंच और बड़ी थी

पर हमारा दिल तो उनक पीछे कड़ी उस लड़की के लिए धड़क रहा था
मौसी की हर बात इस धड़कन के शोर में गुम हो रही थी
इतने में मौसी जी बोली उस लड़की से, पीछे मत खड़े हो
आगे आओ अपने चचेरे भाई से मिलो

मौसी जी की इस बात को सुनकर ४४० वोल्ट का झटका लगा
प्यार का महल जो कुछ देर पहले बना था वो टूट गया
ऐसा लगा दो प्यार के पंछी मिलने से पहले बिछड़ गए
दिल रोया पर होठों पर मुस्कान खिल रही थी,
इतने में बस आई और वो दोनों चले गए

तभी हमारी नज़र उसी जगह पे पड़ी जहा कुछ
देर पहले हमारी पहली मोहब्बत खड़ी थी
अभी वहा एक और सुंदरी खड़ी थी
दिल में प्यार की नई कली खिल रही थी
दिल की ख़ुशी मुस्कान बनकर चेहरे पे खिल रही थी,
एक नई प्रेम कहानी करवट ले रही थी

आज वही बस स्टॉप था, जिसके इस पार हम और
उस पार वो खड़ी थी


-रिमी शर्मा

एक मजेदार कहानी


मेरे 4 दोस्त है 
उनK नाम Bरेन्द्र, G तेन्द्र, Kलाश और राJन्द्र है। 
एक दिन हम Uरोप गए। 
वहां G तेन्द्र का घर था 
उसK पिताG और भाEसाहब Aटा गए थे 
वहां हमने अ4 से रोT खाE फिर बाज़ार गए। 
बाजार से Dनर K लिA मैंने Kला, Bरेन्द्र ने Iस्क्रीम, 
Kलाश ने पPता और Gतेन्द्र ने Oरेंज खरीदे। 
घर आते समय रास्ते में हमे Aक मंदिर मिला 
वहां बोर्ड पर लिखा था - G, O और G ने 2 

एक नाज़ुक सी लड़की


एक
नाज़ुक सी लड़की 
नर्म सा एक दिल था 
शर्म उसका सिंगार था 
कर्म मैं ही जीवन था 
धर्म मैं मिलता सकून था 

एक नाज़ुक सी लड़की 
आँखों मैं सपने थे 
आशाओं के गुल्दास्ते थे 
सब को खुश रखने के अरमान थे 
आस्मां को चुहने के इज़हार थे 
 
एक नाज़ुक सी लड़की 
सच का रास्ता ही अपना था 
हर इंसान रब का ही तो रूप था 
मुश्किलों से डरना नही था 
काली घटा मैं भी दीखता सूरज था 

एक नाज़ुक सी लड़की 
जालिमों को नही दिखा उसका प्यार 
बेदर्दी से करदिया वजूद को पार 
दिल मैं थी बोहोत सारी झंकार 
लेकिन ज़िन्दगी ने दिया उसे मार 
  
एक नाज़ुक सी लड़की 
अब कहाँ है उसकी मंजिल 
वो तो होगा ही बे महफ़िल
बस एक ही बात बोले ज़ख़्मी दिल 
ओह मेरे रब--नूर मुझसे मिल.......

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