तुम्हारी बहुत याद तड़पाएगी !
जो भी सपने देख्ो हमने
किए तुम्हीं ने पूरे ।
बहुत प्रयास किए लेकिन
अब तक कुछ रहे अधूरे ।
माना नए वर्ष में ये
सपने पूरे हो जाएँगे ।
और हमारी आशाओं के
नए पंख लग जाएँगे ।
किंतु किसी टूटे सपने की
फिर भी याद सताएगी !
जाओ बीते वर्ष,
तुम्हारी बहुत याद तड़पाएगी !
अगर बिछुड़ते हैं कुछ तो
कुछ नए मीत भी मिलते हैं ।
जिनके साथ बैठकर हम
सुख-दुख की बातें करते हैं ।
माना नए मिले साथी भी
मन को भा ही जाएँगे ।
उनके साथ ख्ोल-पढ़ लेंगे
संग-संग मुस्काएँगे ।
किंतु किसी बिछुड़े साथी की
फिर भी याद रुलाएगी !
जाओ बीते वर्ष,
तुम्हारी बहुत याद तड़पाएगी !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें