लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है.
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है.
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में.
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो.
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्श का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम.
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
-हरिवंश राय बच्चन
8 टिप्पणियां:
मूल रचनाकार का नाम न देना (न प्रकाशित करना) कवि और पाठकों दोनों के साथ धोखा करना जैसा होता है। इसलिए इस रचना के वास्तविक कवि का नाम भी दीजिए। इतने नामचीन कवि की खूब प्रसिद्ध रचना है यह।
राहुल सिंह जी ने अद्भुत कविता लिखी है. उनकी रचना है, यह जानकार अच्छा लगा. वैसे आपसे अनुरोध है कि आप राहुल सिंह जी को सूचित करें कि उनकी कविता किन्ही बच्चन जी (अमिताभ बच्चन नहीं, ये कोई और बच्चन हैं) ने अपने नाम से छपवा ली थी.
लिंकिंग रोड पकड़कर यहाँ तक पहुंचा तो सोचा कि आपको बता दूँ. फिर मत कहियेगा कि किसी ने बताया नहीं.
आपने टिप्पणी के बाद कम से कम "राहुल सिंह की रचना" का लेबल बदल कर अब "साभार" कर दिया है, सो अच्छा है। कवि का नाम सम्भवत: आप अभी तक खोज नहीं पाए, सो वे हैं - हरिवंश राय बच्चन। अब रचना के शीर्षक के नीचे बोल्ड अक्षरों में कवि का नाम भी अंकित कर दें कृपया।
Sundar rachna.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ye to batayen ki ye kavita kiski hai.. maine kai baar suni hai...
kavitaji
hr koi aapke jitna jankar ho yh aawshyak nahin
prastutkarta ne koi apna naam nahi diya hai
isliye us ki jankaree aap hee badha deejiye aur kavita ke sath zindgi ke mje lijiye
tr
सुन्दर रचना प्रेषित की है।
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