अबके छुप - छुप कर देखती है
वोह दौर था बचपन का
यह दौर है जवानी का
मन उसका सुमन
तन सुकोमल चहेरा माहताब
कभी अपने हाथ से अपनी
ऊंगलियों को छूती है
तो कभी आईने में देख खुद को;
खुद से ही शर्माती है
अब तो शाम का रंग बिरंगी आसमान भी
उसे लुभाने लगा है
रात को आसमान के तारे गिनती है वो
जिसे तोड़ लाने की बात कही है
किसी ने
देख चाँद को;
चौकती है वोह
मुस्कराती है और छुपा लेती है
अपने आपको रात के आगोश में वो
रात को नींद में तकिये को
आगोश में ले लेती है,
और फिर
अचानक आधी रात को
नींद खुलते ही
देख तकिए को मूस्कुराती है
फिर इक सुखद नींद में सो जाती है
इक लड़की को हो गया है प्यार !!!!
6 टिप्पणियां:
Very Good...
nice poem ..like it
kya kahne. ladki se pyar ho gaya.
लगा कि यश चोपड़ा के फिल्म दृश्य में पृष्ठभूमि से आवाज आ रही हो.
ohho..kya baat hai1
क्या बात है ......!!
बेहद खूबसूरत .....!!
@ जिसे तोड़ लाने की बात कही है किसी ने .....
@ देख तकिये को मुस्कुराती है वो ......
अद्भुत .....!!
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