चारमुखी रुद्राक्ष

  रोगों के उपचार के लिए चिकित्सा शास्त्र में कई औषधियों का वर्णन मिलता है। इनमें से एक है रुद्राक्ष। रुद्राक्ष वैसे तो भगवान शिव के लिए प्रिय है, लेकिन ये बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि इससे कई रोगों का निदान भी संभव है।

रुद्राक्ष से रोगों का उपचार करने के तरीके हमारे धर्मग्रंथों और चिकित्सा आधारित ग्रंथों में उल्लेखित हैं। उन्हीं में से कुछ उपाय यहां दिए जा रहे हैं। इन्हें आजमाकर आप स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। हालांकि इसके साथ चिकित्सकीय जांच भी जरूर करवाते रहें।


चारमुखी रुद्राक्ष को दूध में उबालकर सुबह खाली पेट पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है।

सोमवार के दिन त्रिशूल के आकार का लॉकेट धारण करने से बुद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

यदि आपके आमाशय में किसी तरह का विकार हो तो तांबे के किसी पात्र में जल भरकर सिरहाने रखें और उसमें पंचमुखी रुद्राक्ष के पांच दाने डाल दें। सुबह उठकर उस जल को पी लें और अगले दिन पुन: यह करें। जब तक रोग ठीक न हों करते रहें।

रक्तचाप यानी ब्लडप्रेशर की रोगियों को पांचमुखी रुद्राक्ष की माला गले में धारण करना चाहिए। ध्यान रखें यह माला ह्दय के पास तक जानी चाहिए।

किसी भी रोग की औषधि आरंभ करने से पहले उसे पहली बार शिव मंदिर में अर्पित करके भगवान आशुतोष से शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना करें। इससे औषधि रोग का शीघ्र निदान करती है।

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