आज़ादी का गीत


हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल। 
चाँदी सोने हीरे मोती से सजती गुड़ियाँ। 
इनसे आतंकित करने की बीत गई घड़ियाँ 
इनसे सज धज बैठा करते जो हैं कठपुतले 
हमने तोड़ अभी फेंकी हैं बेड़ी हथकड़ियाँ 
परंपरा गत पुरखों की हमने जाग्रत की फिर से 
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम किरीट उज्जवल 
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल। 
चाँदी सोने हीरे मोती से सजवा छाते 
जो अपने सिर धरवाते थे वे अब शरमाते 
फूलकली बरसाने वाली टूट गई दुनिया 
वज्रों के वाहन अंबर में निर्भय घहराते 
  इंद्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से 
ओटे छत्र हमारा निर्मित करते 
साठ कोटि करतल हम ऐसे 
आज़ाद हमारा झंडा है बादल। 
 - हरिवंश राय बच्चन

गद्दी के कद्दू होशियार


टी वी दर्शन आपके स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है

जर्नल आफ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार गद्दी पर बैठ प्रतिदिन प्रत्येक घन्टे टी वी देखने वाले को हृदय की रक्त वाहिनियो के रोगो से मृत्यु का खतरा बढता जाता है।
आस्ट्रेलियाई अनुसंधानियो ने ८८०० वयस्को के जीवन शैली का अवलोकन किया और पाया कि टी वी के सामने बिताए गए प्रत्येक घन्टे ने उनके सभी बीमारियो से पैदा मृत्यु के खतरे को ११ % बढाया, और् कैन्सर से मृत्यु के खतरे को ९ %, तथा हृदय की रक्त वाहिनियो के रोगो से मृत्यु के खतरे को १८ % बढाया। अर्थात टीवी दर्शन न केवल हृदय की रक्त वाहिनियो के रोगो को बढाता है वरन अन्य सभी रोगो के खतरे को भी बढाता है!!
प्रतिदिन दो घन्टे से कम देखने वालो की तुलना में ४ घन्टे देखने वालो को सभी कारणो से मृत्युका खतरा ४६ % अधिक था, और हृदय की रक्त वाहिनियो के रोगो से खतरा ८० % अधिक था!! और् ऐसा भी पाया कि उपरोक्त खतरे का बढना हृदय की रक्त वाहिनियो के रोगो के अन्य कारणो जैसे सिगरेट पीने, उच्च रक्त चाप, जंक भोजन, तोद और व्यायाम आदि से प्रभावित नहीं था, अर्थात यह दोनो कार्य एक दूसरे से स्वतंत्र होकर कार्य करते हैं।
उपरोक्त अवलोकन यह भी इंगित करते हैं कि कोई भी लम्बे बैठे- बैठे किए गए दैनिक कार्य, जैसे कम्प्यूटर पर कार्य, स्वास्थ्य पर खतरा बढा सकते हैं। विक्टोरिया (आस्ट्रेलिया) में एक हृदय एवं मधुमेह संस्थान है, उसमें उपापचय (मेटाबोलिज़म) तथा मोटापा विभाग है, जिसके शारीरिक गतिविधि अनुभाग के प्रोफ़ैसर एवं अध्यक्ष तथा डा (पीएचडी) डेविड डन्स्टन का कहना है कि मानव शरीर का विकास लम्बे समय तक बैठने के लिये नहीं वरन गतिशील रहने के लिये हुआ है।
उस लेख के प्रथम लेखक डन्स्टन ने कहा कि प्रौद्योगिकी, सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तनो के फ़लस्वरूप अब मनुष्य को अपनी पेशियां का उपयोग करने का अवसर कम मिलता है।अधिकांश मनुष्य तो एक कुर्सी से दूसरी कुर्सी, एक कार से दूसरी कार – बल्कि कार की सीट से टीवी के सामने की कुर्सी तक ही हिलते डोलते है।

उन्होने कहा कि, “यदि कोई व्यक्ति स्वस्थ्य है, और उसका वजन ठीक है, वह भी यदि लम्बे समय तक बैठे ठाले कार्य करता है तब उसके शरीर की रक्त शर्करा तथा वसा पर बुरा असर पडता है!!

इस शोध में ग्लूकोज़-सह्यता की मौखिक तथा रक्त के नमूनो की रासायनिक जांच की गई है।उऩ्होने कहा कियद्यपि यह शोध आस्ट्रेलियाई वयक्तियो पर की गई है, तथापि यह सभी मनुष्यो पर लगती है।आस्ट्रेलियाई औसतन तीन घन्टे प्रतिदिन टीवी देखता है और अमरीकी आठ घन्टे; अमेरिका में अधिक वजन तथा मोटापे से पीडित लोगो का अनुपात दो तिहाई है।
उनका निष्कर्ष सीधा साधा है - “ अधिक बैठना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है"।

-विश्व् मॊहन तिवारी

साभार - कल्किओंन.कॉम


तुम गए तो.....


तुम गए तो गए बस इतना कहकर जाते
कब आवोगे तुम हमसे मिलने इतना तो बताते.
बोल नहीं सकते तो एक ख़त ही लिख कर छोड़ जाते
तुम गए तो गए बस इतना कहकर जाते.
कब तक करूँगा तुम्हारा दीदार ये समझ में नहीं रहा
अब तो बस तुम्हारे आने काही इन्तेजार रहा
अगर तुम्हारी कोई मज़बूरी है तो ख़त लिखकर ही भिजवाते
हमे अकेला इस हाल में छोड़कर इस कदर सताते
तुम गए तो गए बस इतना कहकर जाते
कब आवोगे तुम हमसे मिलाने इतना तो बताते.
तुम किस हाल में हो ये भी नहीं बता रहे
हम तो हर पल तुमको याद करते है बस इतना ही तुमको जाता रहे
तुम गए तो गए बस इतना कहकर जाते
कब आवोगे तुम हमसे मिलाने इतना तो बताते.

अन्धयारी गलियां


काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 
जब अपनों को ही भूल गई मैं 
भूल भुलायिया क्या जानू 
ये धरती मेरा बिस्तर है 
और अम्बर मेरी चादर है 
मैं खेल रही तूफानों से 
मेरा अपना जीवन पतझड़ है 
टुकड़ों पर पलने वाली हूँ 
मैं दुध मलाई क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 

अपना दुखमय जीवन बिता 
इन अंधियारी गलियों में 
आज तलक मैं रही हूँ वंचित 
दुनिया की रंग रालिओं से 
परहित में अर्पित तन मन धन 
मैं ता-ता थैया क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू 

जीवन से सिखा है मैंने 
आंसू पीना मुह को सीना 
सीख लिया दुनिया से मैंने 
घुट-घुट कर जीना 
मैं गुरु चरणों मैं लीन रही 
मैं राम रम्या क्या जानू 
काँटों पैर चलने वाली हूँ 
फूलो की सय्या क्या जानू

गज़ब हो गया


चाँदनी रात मे चाँद के सामने ,
चेहरे से पर्दा हटाना गज़ब हो गया.

चाँदनी छुप गयी चाँद शर्मा गया ,
आप का मुस्कुराना गज़ब हो गया .

दिल की धडकने अब तेज़ होने लगी,
रात आंखो मे कांटे चुभोने लगी .

इस पुरी रात मे बातोंही बातों मे,
रूठ जाना आप का गज़ब हो गया.

अपने तो हिस्से मे तुफानो से जंग़ है,
मौजे का भी अब ना हमे सहारा है

डुब जाने का हमे गम नही ,
पर उस का साहिल पे आ जाना गज़ब हो गया.

चहरे से पर्दा हटाना गज़ब हो गया,
धीरे से मुस्कुराना गज़ब हो गया .

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