दूर दृष्टि

गुरू गुढ़ और चेला शक्कर
गुरू-तुम भारत का नक्शा बनाकर लाए?
शिष्य- (सिर हिलाकर)नहीं गुरू जी।
गुरूजी - (गुस्से में) क्यों
शिष्य- जी, कल प्रधानमंत्री कह रहे थे कि वह इस देश का नक्शा ही बदल देगें, जो मैंने सोचा कि पहले नक्शा बदल जाए, उसके बाद बना लूंगा।
गुरू से फायदा-
एक महिला एक गुरू जी के योग शिविर में गांव से अपनी सांस के साथ आई थी। जब वह गुरूजी को उनके द्वारा बताए प्रणायाम से जो फायदा हुआ था, उसके साथ गांव से और कोन आया था। तब उस महिला ने बताया कि उसकी सास साथ आयी थी।
वह कहां है? स्वमी जी ने पूछा। उन्हें बाहर रोक कर आयी हूँ स्वामी ने पूछा। क्यों? आप ही ने तो कहा था कि सांस को बाहर रोकने से बहुत फायदा होता है

राष्ट्रकविश्री मैथिलीशरण गुप्त के प्रति श्रद्धा सुमन

प्राण न पागल हो तुम यों, पृथ्वी पर वह प्रेम कहाँ..

मोहमयी छलना भर है, भटको न अहो अब और यहाँ..

ऊपर को निरखो अब तो बस मिलता है चिरमेल वहाँ..

स्वर्ग वहीं, अपवर्ग वहीं, सुखसर्ग वहीं, निजवर्ग जहाँ..


आप मानवता के आधार
दयामय द्वान्दातीत विचार
न कोई जाति, न वर्ग अशेष,
सभी को एक मात्र संदेश,
हृदय से दिया यही उपदेश,
उठाओ ऊँचा अपना देश।
देश के हित में जीना सार।
आप मानवता के आधार।।

पढ़ाया सबको निज साकेत,
काव्य में किया यही संकेत,
स्वार्थ का बने न कोई निकेत,
अरे मानवता के आधार।।
मनुज! बन जाओ सरल सती,
सुकवि की कहती पंचवटी।
शान्ति सुख पाता है सुकृती,
यशस्वी होता सत्यव्रती।
काम है बन्ध, मुक्ति उपकार,
आप मावनता के आधार।।

सुकविकी कृतियों का यह सार,
मनुज! तू बन करूणा आगार।
चित्र में धार्यसत्य आचार ,
हृदय में रामनाम को धार ।
नमन हे सुकवि, संत साकार
आप मानवता के आधार ।।

-डा. रामेश्वर प्रसाद गुप्त, दतिया

कैसा ये रिश्ता है ?


ख्वाब और हकीकत में
इश्क और नजाकत में
दिल और दिमाग में
कागज़ और किताब में
फूल और खुशबू में
दिल की धुकधुक में
एक अजीब सा रिश्ता है
एक के बिना दूसरा अधूरा है
एक चलता है एक रुकता है
एक बढ़ता है एक झुकता है
क्यों ख्वाब हकीकत बनना चाहता है
क्यों इश्क में नज़ाक़त होती है
क्यों दिल पैर दिमाग हावी है
क्यों कागज़ बिना किताब बेभावी है
क्यों फूल ही खुशबु देता है
महबूब के छूटे ही
क्यों दिल धुकधुक करता है
कैसा ये रिश्ता है ?
बोल ममता बोल
कैसा ये रिश्ता है ?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी


मचो गोकुल में है त्यौहार, भयो नन्द लाल
खुशिया छाई है अपरम्पार, भयो नन्द लाल

मात यशोदा का है दुलारा,
सबकी आँखों का है तारा
अपनों गोविन्द मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल

मात यशोदा झूम रही है
कृष्णा को वो चूम रही है
झूले पलना मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल

देख के उसकी भोली सुरतिया
बोल रही है सारी सखिया
कितनो सुंदर है मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल


-जय श्री कृष्णा

१३ अगस्त विश्व लेफ्ट हेडर्स डे पर विशेष


तात्रिकों का कहना है कि-
जादू का घर बंगाला, बायां हाथ छिनाला
अपने घर को कर रीता, बांया हाथ पलीता
बंगाल जादूगरों का घर है। बाएं हाथ के आदमी से रहस्मयी ज्ञान या अन्य कुछ छीन पाना मुश्किल है। ये भावुक हो समर्पित भाव से सब कुछ त्याग, दान-धर्म कर अपने घर को खाली कर देते हैं।

बाएं हाथ की हस्तियां
अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, रितीक रोशन, चार्ली चेप्लन, फाईटर जोन सिना, पैले, प्रिंस चाल्र्स (राजकुमार ब्रिटेन), जिम कैरी, आइंसटीन, बराक ओबामा, बिल क्लिटन, जार्ज बुश, क्वीन विक्टोरिया, नेपोलियन वोनापार्ट, एलेक्जेन्डर दी ग्रेट, वेंजामिन इस्राइली, जूलियस सीजर, रोम।
हेलन केलर जो अन्धी, गंूगी, बहरी थी फिर भी एडव्होकेट बनी। ऐन्जलीना जौली, जेम्स विलियम सिकन्दर, जोन ऑफ आर्क, माइकल एंजिलों जैसे विश्व विख्यात व्यक्ति भी बाएं थे।
पूना में लेफ्ट हेडर्स की एक संस्था है- जिसका नाम है। ऐसासिएशन ऑफ लेफ्ट हेन्डर्स 10, गीताजंली अपार्टमेन्ट,द तनाजीवाडी, शिवाजी नगर पूणे - 4 11005 महाराष्ट्र इन्डिया इसकी वार्षिक सदस्यता शूल्क 200 प्रतिवर्ष और आजीवन 2000 रूपये है।
दुनिया में अगर कोई खेल है जिसमेें लेफ्ट हेंडर्स की चर्चा सर्वाधिक होती है, तो वह क्रिकेट पर पूरी जरह ध्यान रखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ओपनिंग जोड़ी की सफलता के लिए राइट हेंडर्स व लेफ्ट हेडर्स की अच्छी खासी संख्या रही है। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब राइट हेडर्स की तुलना में लेफ्ट हेंडर्स की संख्या अधिक रही।
भारत के सफलतम पूर्व कप्तान सोरभ गंागुली लेफट हेंडर्स ही हैं।
1. विश्व टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले ब्रयान लारा है
2. वनडे मेच में सर्वाधिक 196रन बनाने वाले सईद अनवर
3. सदा संकट मोचन की भूमिका में खरे उतरते युवराज सिंह।
4. सचिन तेंदुलकर केवल क्रिकेट दाएं हाथ से खेलते हैं।
खेल का मैदान हो या विज्ञान, सादगी और साधना हो या ध्यान रंगमंच हो, दांव- पेंच से भरी राजनीति या फिर कोई अन्य क्षेत्र बांए हाथ ने हर जगह खेल दिखाया है, कामयाबी के झण्डे गाढ़े हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये लोग हाथ भले ही उल्टा चलाते हो लेकिन इनका दिमाग सीधा काम करता है। बाम हाथ वाले सुबह से शाम तक सिर्फ काम में तल्लीन रहते हैं। अधिकांश लेफ्टीज ताम झााम और जाम (शराब) तथा आराम से दूर रहकर बिना विराम उन्नति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।


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बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

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