मुझे याद रखना

मेरी तुमसे बस इतनी सी है इल्तेज़ा
हमेशा मुझे याद रखना
मेरे साथ जो पल बीते है तुम्हारे
कम से कम उन्हें तो यद् रखना
जो भी प्यार करते है आपको
उनमे मेरा नाम याद रखना
अगर मुश्किल हो याद करना
तो बस एक काम करना
बना लेना कोई और हमसाया
फ़िर उसे ही याद रखना
भूले से भी आजाये याद हमारी
तो ये समझना
की बड़ा मुश्किल है मुझे याद रखना

ऐ चाँद

ऐ चाँद तेरी खूबसूरती के दीवाने सब हैं,
मैं भी हूँ…..

तेरी चाँदनी की तरेह रोशन तो नही पर मशहूर
मैं भी हूँ…..

टू भले ही बैठा होगा पलकों पे सबकी,
पर किसी की आंखों की नूर तो
मैं भी हूँ…..

तेरे बादलों में छिप जाने की अदा क्या गज़ब ढाती है,
जब तेरी चांदनी तुझमें आकर सिमट जाती है,

तू नही जानता वो वक्त, वो मंजर ही कुछ और होता है,
जब सारी दुनिया तेरे एक दीदार को तरस जाती है….

ऐ चाँद तू कुदरत की इनायत है,
मैं भी हूँ….

तुझमें अगर दाग है, तो गुनाहगार
मैं भी हूँ……

तेरी हुकूमत भले ही रात तक सीमित होगी,
पर इस हुकूमत की गुलाम तो
मैं भी हूँ…….

दोस्त दोस्ती दोस्ताना


दोस्तों की कमी को पहचानते हैं हम
दुनिया के गमो को भी जानते हैं हम
आप जैसे दोस्तों का सहारा है
तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम

आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने
तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी

कोई दौलत पर नाज़ करते हैं
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं

हर खुशी दिल के करीब नहीं होती
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती
इस दोस्ती को संभाल कर रखना
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती

रेत पर नाम लिखते नहीं
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं
लोग कहते हैं पत्थर दिल हैं हम
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं

दिल से दिल की दूरी नहीं होती
काश कोई मज़बूरी नहीं होती
आपसे अभी मिलाने की तमन्ना है
लेकिन कहते हैं हर तमन्ना पुरी नहीं होती

फूलों से हसीं मुस्कान हो आपकी
चाँद सितारों से ज्यादा शान हो आपकी
ज़िंदगी का सिर्फ़ एक मकसद हो आपका
कि आंसमा से ऊँची उड़ान हो आपकी

उसे क्या फर्क पड़ता है


हवा बन कर बिखरने से, उसे क्या फर्क पड़ता है
मेरे जीने या मरने से, उसे क्या फर्क पड़ता है
उसे तो अपनी खुशियों से , ज़रा भी फुर्सत नही मिलती
मेरे ग़म के उभरने से, उसे क्या फर्क पड़ता है
उस शख्स की यादों में, मैं चाहे रोती रहू लेकिन
तुम्हारे ऐसा करने से, उसे क्या फर्क पड़ता है

जागो चम्पु जागो

परेशान थी चम्पु की वाइफ
Non-happening थी जो उसकी लाइफ
चम्पु को ना मिलता था आराम
ओफिस मैं करता काम ही काम

चम्पु के बॉस भी थे बड़े कूल
परमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नही थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ till nine

चम्पु भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नही करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
Onsite के उम्मीद मैं देता सलामी

दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया चम्पु का हाल
चम्पु को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहेनजी कहता था

आख़िर एक दिन चम्पु को समझ आया
और छोड़ दी उसने Onsite की मोह माया
"तुम क्यों सताते हो ?
"Onsite के लड्डू से बुद्दु बनाते हो"

"परमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"Onsite देने पर भी वापिस ना आऊंगा."
बॉस हंस के बोला "नही कोई बात"
"अभी और भी चम्पु है मेरे पास"

"यह दुनिया चमपुओं से भरी पड़ी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करवाऊंगा"
"तुम्हारी तरह एक और चम्पु बनाऊंगा"

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