हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझ पे जब से किसी का.....

मोहब्बत मेरी यह दुआ मांगती है,
तेरे साथ तये हो सफर जिंदगी का....

न दो मुझ को पैगामे तर्क-ऐ-ताल्लुक,
कुछ एहसास करलो मेरी बेबसी का...

मेरा दिल न तोडो ज़रा इतना सोचो,
मुनासीब नही तोड़ना दिल किसी का....

तुम्हे अब तरस मुझ पे आया तो क्या है,
भरोसा नही अब कोई जिंदगी का.....

अभी आप वाकिफ नही दोस्ती से,
न इज़हार फरमाए दोस्ती का....

न आना खुशी उनकी बातों मैं हरगिज़,
नही है जहाँ मैं भरोसा किसी का....

अजब हाल है मेरे दिल की खुशी का,
हुआ है करम मुझे पे जबसे किसी का.......

जीवन का आधार

http://p4poetry.com/wp-content/uploads/2008/06/love_moon_cats1.jpg

जब एक प्रेम का धागा जुड़ता है,
दिल का कमल तब ही खिलता है

देखता है खुदा भी आसमान से जमीन पर
जब एक दिल दूसरे से बेपनाहा मोहब्बत करता है

सुलगने लगता है तब धरती का सीना भी
जब कोई आसमान बन के बाहो में पिघलता है

लिखी जाती है तब एक दस्तान-ए -मोहब्बत
तब कही जा कर अमर-प्रेम लोगो के दिलों में उतरता है!!


प्रेम जीवन का आधार है, इसके बिना इंसान मशीन बन जायेगा। प्रेम ही जीवीत और अजीवीत मे फर्क करता है...

गजल

http://www.bau-xi.com/dynamic/images/display/Jude_Griebel_The_lonely_painting_12128_38.jpg

आप लोगों की दी हुई,
मोहब्बत पर इठलाता हूँ।
मैं इतने दिलों में रहता हूँ,
कि घर का पता भूल जाता हूँ।।

नहीं हुनर किसी में मेरे जैसा,
मैं लोगों को ऊंगलियों पर नचाता हूँ।।

कुछ लोग मुझे फरिश्ता कहते हैं,
मैं नफरत के स्कूलों में मोहब्बत पढ़ाता हूँ।।

खुशियों के बाजार में मेरी भी दुकान सजी है,
मैं आवाज लगा-लगाकर सौदागरों को बुलाता हूँ।।

नहीं यकीं तो तू भी मुझसे मिलकर देख,
देख किस तरह मैं तुझे अपना बनाता हूँ।।

गीत

[ss.jpg]

ह्रदय योग कर दे ,हमें मीत कर दे
चलो कोई ऐसा ,लिखें गीत, गायें।
सूखी पडी है, नहर नेह रस की
पतित पावनी गीत गंगा बहायें

दृग्वृत पे मन के दिवाकर जी डूबे
उचटते हुए प्रीत बंधन हैं ऊबे
कुसुम चाव के ,घाव खाए पड़े हैं
गीत संजीवनी कोई इनको सुनाएँ
ह्रदय योग कर दे ......

चकाचोंध चारों तरफ़ ,फ़िर भी कोई
तिमिर के घटाटोप पे आँख रोई
कहींपर निबलता कहीं भूख बिखरी
इन्हे ज्योति के गीत देकर जगाएं
ह्रदय योग कर दे ......

घटाओं को तृप्ति बरस कर ही मिलती
हमीं पड़ गए संचयों में अधिकतम
इसी से हुए प्राण बेसुध विकल कृष
गीत अमृत इन्हें आज जी भर पिलायें
ह्रदय योग कर दे ........

तेरे बिन




तनहा तनहा रात गुजारी, 
तनहा तनहा दिन 
खयालो में ही खोया रहता हूँ, 
सारा सारा दिन 

नहीं सह सकता विरह की पीडा 
हर पल छिन 
अब तो आजा ओ हरजाई, 
नहीं लगता दिल तेरे बिन

हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

लोकप्रिय पोस्ट