गज़ब हो गया


चाँदनी रात मे चाँद के सामने ,
चेहरे से पर्दा हटाना गज़ब हो गया.

चाँदनी छुप गयी चाँद शर्मा गया ,
आप का मुस्कुराना गज़ब हो गया .

दिल की धडकने अब तेज़ होने लगी,
रात आंखो मे कांटे चुभोने लगी .

इस पुरी रात मे बातोंही बातों मे,
रूठ जाना आप का गज़ब हो गया.

अपने तो हिस्से मे तुफानो से जंग़ है,
मौजे का भी अब ना हमे सहारा है

डुब जाने का हमे गम नही ,
पर उस का साहिल पे आ जाना गज़ब हो गया.

चहरे से पर्दा हटाना गज़ब हो गया,
धीरे से मुस्कुराना गज़ब हो गया .

वास्तव में शिव मंदिर है?


श्री पुरुशोत्तामानागेश ओके ने कई बार हिन्दू धर्म की दूसरे धर्मों पर श्रेष्ठता प्रमाणित करने का प्रयास किया है। साथ ही, यह तथ्य भी प्रमाणित करने का प्रयास किया है, कि भारतीय इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है, व उसमें से कई महत्वपूर्ण अंश काट छांट कर या बदल कर बताये बये हैं। उनके दुर्भाग्य से, वे इसे ढंग से पूरा नहीं कर पाये। व वे तथ्य उनके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों से भी सर्वोच्चान्यायालय को मान्य नहीं रहे। शायद इनके पीछे कोई अन्य छिपे (राजनीतिक) कारण भी रहे हों।

ताजमहल का अस्तित्व

पी.एन. ओक अपनी पुस्तक "ताज महल इस अ हिन्दू टेम्पल" देखिये द ट्रू स्टॊरी ऑफ ताजमहल में 100 से भी अधिक प्रमाण एवं तर्क देकर दावा करते हैं कि क्या ताजमहल वास्तव में शिव मंदिर है? जिसका असली नाम तेजो महालय है|

श्री पी।एन. ओक के तर्कों और प्रमाणों के अलावा और भी तथ्य छायाचित्रों के साथ प्रस्तुत है यहाँ पर ताजमहल का असली में तेजो महालय होने का समर्थन करने वाले ये वेबसाइट्स भी हैं
श्री ओक ने कई वर्ष पहले ही अपने इन तथ्यों और प्रमाणों को प्रकाशित कर दिया था पर दुःख की बात तो यह है कि आज तक उनकी किसी भी प्रकार से अधिकारिक जाँच नहीं हुई| यदि ताजमहल के शिव मंदिर होने में सच्चाई है तो भारतीयता के साथ बहुत बड़ा अन्याय है| विद्यार्थियों को झूठे इतिहास की शिक्षा देना स्वयं शिक्षा के लिये अपमान की बात है|

क्या कभी सच्चाई सामने आ पायेगी?

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

बिना पेंदी का लोटा

किया बहुत विश्वासघात तुमने जनता के साथ, आश्वासन देकर दिखलाया अपना डूंडा हाथ, अपना डूंडा हाथ दिखाया और कहा हम लूले गद्दी पाकर तुमने अपने सारे वादे भूले, सारे वादे भूल गये बन बैठे तुम हिरणाक्ष किये दलाली रिश्वत खोरी मिटा दिये सब साक्ष मिटा दिये सब साक्ष देश को किया खोखला स्वार्थ सिद्ध के हेतु दल-बदल हुए दोगला हुये दोगला और बताया यह दल एकदम खोटा तुम तो नेता जी निकले 'बिना पेंदी का लोटा'

हमारे नेताओ की परिभाषा

आज के नेता साँपनाथ,
कल आयेंगे नागनाथ

कुर्सी की बाँबीयों में
बस साँप ही रहे
इन्साँ कहे न इनको,
बस नाग ही कहे

नेता बुझा रहे हैं,
खुशहाली का दिया
इनके गरल को देश ने
है कंठ तक पिया
कल रात लगा फांसी
इक वेश्या मरी
किसी मनचले ने उसको
नेता था कह दिया

ख़ामोशी


ख़ामोशी को सुनकर देखो, इसकी भी जुबान होती है
लम्हा लम्हा तनहा-सी, जाने कब कहाँ होती है

ख़ामोशी के आँगन में, तन्हैयाँ जवान होती है,
तन्हाइयों के साए में, सारी खुशियाँ फंना होती है,

ख़ामोशी लगती सपने सी, आती है और जाती है,
पीर रहती है जब तक ये, अपने आप से मिलाती है,

ख़ामोशी में डूब के देखो, अपने आप से मिल पाओगे,
भीड़ से जुदा होकर, हर हक्कीकत को झुट्लाओगे,

ख़ामोशी को सुनकर देखो,इसकी भी जुबान होती है,
लम्हा लम्हा तनहा सी जाने कब कहाँ होती है,...........

- अंजली शर्मा

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