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मैं कौन हूँ मैं कहाँ से आया और कँहा मुझे है जाना
मैं कौन हूँ मैं कहाँ से आया और कँहा मुझे है जाना
चारमुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष से रोगों का उपचार करने के तरीके हमारे धर्मग्रंथों और चिकित्सा आधारित ग्रंथों में उल्लेखित हैं। उन्हीं में से कुछ उपाय यहां दिए जा रहे हैं। इन्हें आजमाकर आप स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। हालांकि इसके साथ चिकित्सकीय जांच भी जरूर करवाते रहें।
चारमुखी रुद्राक्ष को दूध में उबालकर सुबह खाली पेट पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है।
सोमवार के दिन त्रिशूल के आकार का लॉकेट धारण करने से बुद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
यदि आपके आमाशय में किसी तरह का विकार हो तो तांबे के किसी पात्र में जल भरकर सिरहाने रखें और उसमें पंचमुखी रुद्राक्ष के पांच दाने डाल दें। सुबह उठकर उस जल को पी लें और अगले दिन पुन: यह करें। जब तक रोग ठीक न हों करते रहें।
रक्तचाप यानी ब्लडप्रेशर की रोगियों को पांचमुखी रुद्राक्ष की माला गले में धारण करना चाहिए। ध्यान रखें यह माला ह्दय के पास तक जानी चाहिए।
किसी भी रोग की औषधि आरंभ करने से पहले उसे पहली बार शिव मंदिर में अर्पित करके भगवान आशुतोष से शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना करें। इससे औषधि रोग का शीघ्र निदान करती है।
अतीत में झांकने की जरूरत
"कठोर मोलभाव"
आज सुबह एक छोटा बालक साईकिल पर ढेर
सारी झाड़ू लेकर बेचने निकला था। मैंने
देखा कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू बेच
रहा था और
बच्चा समझकर लोग उससे उन दस रुपयों में
भी मोलभाव करके, दस रुपए की तीन झाड़ू लेने
पर
आमादा थे मैंने भी उससे दो झाड़ू खरीद लीं,
लेकिन जाते-
जाते
उसे सलाह दे डाली कि वह 10 रुपए की दो झाड़ू
कहने की बजाय 12 रुपए की दो झाड़ू कहकर
बेचे..
और सिर्फ़ एक घंटे बाद जब मैं वापस वहाँ से
गुज़रा तो उस बालक ने मुझे बुलाकर धन्यवाद
दिया.. क्योंकि अब उसकी झाड़ू"10 रुपए में
दो"बड़े
आराम से बिक
रही थी…।
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मित्रों, यह बात काल्पनिक नहीं है…। बल्कि मैं
तो आपसे भी आग्रह करता हूँ
कि दीपावली का समय है, सभी लोग
खरीदारियों में जुटे हैं, ऐसे समय सड़क किनारे
धंधा करने
वाले इन छोटे-
छोटे लोगों से मोलभाव न
करें…। मिट्टी के दीपक, लक्ष्मी जी के पाने,
खील-
बताशे, झाड़ू, रंगोली (सफ़ेद या रंगीन), रंगीन
पन्नियाँ इत्यादि बेचने वालों से क्या मोलभाव
करना??
जब हम टाटा-बिरला-अंबा नी-भारती के
किसी भी उत्पाद में
मोलभाव नहीं करते (कर
ही नहीं सकते), तो दीपावली के समय चार पैसे
कमाने
की उम्मीद में बैठे
इन रेहड़ी-खोमचे-ठे ले वालों से"कठोर
मोलभाव"
करना एक प्रकार
का अन्याय ही है.
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बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"
बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...
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