हिन्दुस्तानी हो, हिन्दुस्तानी बनो!


कई दशाब्दियों से रेलगाडी यात्रा मेरे लिये जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है. इन यात्राओं के दौरान कई खट्टेमीठे अनुभव हुए हैं, जिनमें मीठे अनुभव बहुत अधिक हैं. इसके साथ साथ कई विचित्र बाते देखने मिलती हैं जिनको देखकर अफसोस होता है कि लोग किस तरह से विरोधाभासों को पहचान नहीं पाते हैं.
उदाहरण के लिये निम्न प्रस्ताव को ले लीजिये:- 
बी इंडियन, बाई इंडियन. यह प्रस्ताव अंग्रेजी में या हिन्दी में अकसर दिख जाता है. अब सवाल यह है कि इसे सीधे सीधे भारतीय अनुवाद में क्यों नहीं दे दिया जाता है. 
“हिन्दुस्तानी हो, हिन्दुस्तानी बनो” (जो इस अंग्रेजी वाक्य का भावार्थ है) हिन्दी में कहने में हमें तकलीफ क्यों होती है. हिन्दुस्तानियों को हिन्दुस्तानी बनाने के लिये एक विलायती भाषा की जरूरत क्यों पडती हैं?
दूसरी ओर, जब “बी इंडियन, बाई इंडियन” लिखा दिखता है तो कोफ्त होती है कि यह किसके लिये लिखा गया है? अंग्रेजीदां लोग तो इसे पढने से रहे क्योंकि उनकी नजर में तो हिन्दी केवल नौकरों गुलामों की भाषा है. आम हिन्दी भाषी जब इसे पढता है तो उसके लिये इसका भावार्थ समझना आसान नहीं है. उसे लगता है कि यहां खरीद फरोख्त की बात (Buy) हो रही है.
जरा अपने आसापास नजर डालें. कितने विरोधाभास हैं इस तरह के
कम से कम दोचार को सही करने की कोशिश करें!

दिल का दर्द




अपने ज़ख्म ज़माने  को दिखता रहा हू मैं
सीने में एक दर्द को छिपाता रहा हू मैं
ज़ालिम ने दिल के बदले दर्द क्यों दिया
छिप छिप के आँसू बहाता रहा हू मैं 

आयेगी वो कभी लौटकर यही आस लिए 
अपने  दिल  को हरपल समझाता रहा हू मैं 
मालूम था मुझे  कि  संगदिल है वो तो 
फिर भी जाने क्यू उसे ही चाहता रहा हू मैं 

गर्व से कहो हम हिंदी है




सबसे सरल जानी पहचानी 
राष्ट्र भाषा वो हिंदी है 
लोकप्रिय हो रही विश्व में 
भारत की गरिमा हिंदी है 


हाहाकार क्यों हिंदी को लेकर 
धर्मो का मंथन हिंदी है 
पैदा हुई संस्कृत की कोख से
भाषा की बड़ी बहन हिंदी है


दुनिया मै डंका बजा दिया
अंग्रेजी का दावा झुठला दिया
अस्तित्व को चुनौती दे करके 
अपना साम्राज्य फैला ही लिया


भाषा तो कई मौजूद यहाँ 
अपनी पहचान तो हिंदी है
भाषा के भेदभाव छोड़कर
गर्व से कहो हम हिंदी है 

इक लड़की को हो गया है प्यार !


पहले
देख कर छुपाती थी वो 
अबके छुप - छुप कर देखती है 
वोह दौर था बचपन का 
  यह दौर है जवानी का 

मन उसका सुमन तन सुकोमल चहेरा माहताब 
कभी अपने हाथ से अपनी ऊंगलियों को छूती है 
तो कभी आईने में देख खुद को
खुद से ही शर्माती है 
अब तो शाम का रंग बिरंगी आसमान भी 
उसे लुभाने लगा है 

रात को आसमान के तारे गिनती है वो 
जिसे तोड़ लाने की बात कही है 
किसी ने देख चाँद को
चौकती है वोह मुस्कराती है और छुपा लेती है 
अपने आपको रात के आगोश में वो
रात को नींद में तकिये को आगोश में ले लेती है
और फिर अचानक आधी रात को 
नींद खुलते ही देख तकिए को मूस्कुराती है 
फिर इक सुखद नींद में सो जाती है 
इक लड़की को हो गया है प्यार !!!!

मेरी प्रेम कहानी


आज वही बस स्टॉप था, जिसके इस पार हम और उस पार वो खड़ी थी
हम भी नज़रें झुकाए खड़े थे और वो भी कुछ शरमाई लग रही थी
मेरी सोच एक उलझान में पड़ी थी,बोल ही दूंगा दिल की हर बात आज
ये हिम्मत काफी देर से दिल के साथ झगड़ रही थी

इतने में देखा एक आंटी जी ,हमारे सामने खड़ी थी
पूछने लगी बेटा पहचाना मुझे, मेरी मुंडी के इशारे में मुड़ी थी
बोली तेरी चचेरी मौसी हु मैं,ये कहते ही उनके चेहरे
की मुस्कान इंच और बड़ी थी

पर हमारा दिल तो उनक पीछे कड़ी उस लड़की के लिए धड़क रहा था
मौसी की हर बात इस धड़कन के शोर में गुम हो रही थी
इतने में मौसी जी बोली उस लड़की से, पीछे मत खड़े हो
आगे आओ अपने चचेरे भाई से मिलो

मौसी जी की इस बात को सुनकर ४४० वोल्ट का झटका लगा
प्यार का महल जो कुछ देर पहले बना था वो टूट गया
ऐसा लगा दो प्यार के पंछी मिलने से पहले बिछड़ गए
दिल रोया पर होठों पर मुस्कान खिल रही थी,
इतने में बस आई और वो दोनों चले गए

तभी हमारी नज़र उसी जगह पे पड़ी जहा कुछ
देर पहले हमारी पहली मोहब्बत खड़ी थी
अभी वहा एक और सुंदरी खड़ी थी
दिल में प्यार की नई कली खिल रही थी
दिल की ख़ुशी मुस्कान बनकर चेहरे पे खिल रही थी,
एक नई प्रेम कहानी करवट ले रही थी

आज वही बस स्टॉप था, जिसके इस पार हम और
उस पार वो खड़ी थी


-रिमी शर्मा

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