मेरे टूटे हुए दिल को, सहारा कोन देगा
मेरी तूफ़ान में कश्ती, किनारा कोन देगा
यह केसे मोड़ पे लाइ हें, मुजको जिन्दिगानी
अधूरी सी लिखी गयी हँ, क्यूँ मेरी कहानी
हँ अब किस राह पे चलना, इशारा कोन देगा
मेरे टूटे हुए दिल को. सहारा कौन देगा
मैं हूँ और साथ मेरे, अब मेरी तन्हैया हैं
मेरी तकदीर से मुजको, मिली रुस्वयिया हैं
मेरी आँखों को खुशिओं का, नज़ारा कौन देगा
मेरे टूटे हुए दिल को, सहारा कौन देगा
2 टिप्पणियां:
" behtarin sahi alfaz ka sahi jagah per behtarin upayog "
----eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
भईये अपने ब्लोग पर से लोड कम करो... बहुत समय लेता है खुलने में..इतनी देर तक कोई सब्र नहीं करता... पढने और टिप्पणी की तो बात दूर की है.
वैसे टूटते वही दिल हैं जो दूसरों को सहारा देने की फ़िराक में रहते हैं और अपने मन की कभी कह ही नहीं पाते..फ़िर उन्हें सहारा कौन देगा... अपने पर ही भरोसा करना सीखो ;)
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