किया बहुत विश्वासघात तुमने जनता के साथ,
आश्वासन देकर दिखलाया अपना डूंडा हाथ,
अपना डूंडा हाथ दिखाया और कहा हम लूले
गद्दी पाकर तुमने अपने सारे वादे भूले,
सारे वादे भूल गये बन बैठे तुम हिरणाक्ष
किये दलाली रिश्वत खोरी मिटा दिये सब साक्ष
मिटा दिये सब साक्ष देश को किया खोखला
स्वार्थ सिद्ध के हेतु दल-बदल हुए दोगला
हुये दोगला और बताया यह दल एकदम खोटा
तुम तो नेता जी निकले 'बिना पेंदी का लोटा'
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हमारे नेताओ की परिभाषा
ख़ामोशी
ख़ामोशी को सुनकर देखो, इसकी भी जुबान होती है
लम्हा लम्हा तनहा-सी, जाने कब कहाँ होती है
ख़ामोशी के आँगन में, तन्हैयाँ जवान होती है,
तन्हाइयों के साए में, सारी खुशियाँ फंना होती है,
ख़ामोशी लगती सपने सी, आती है और जाती है,
पीर रहती है जब तक ये, अपने आप से मिलाती है,
ख़ामोशी में डूब के देखो, अपने आप से मिल पाओगे,
भीड़ से जुदा होकर, हर हक्कीकत को झुट्लाओगे,
ख़ामोशी को सुनकर देखो,इसकी भी जुबान होती है,
लम्हा लम्हा तनहा सी जाने कब कहाँ होती है,...........
- अंजली शर्मा
ज़िन्दगी
बहुत अजीब है ये ज़िन्दगी
कब किस मोड़ पे आकार रुक जाती है
बगैर कोई रुकावट की आगाह किए
लड़खड़ाते…सँभालते
अपने आप को समझाते
कि ये अनुभव भी हमे
कुछ न कुछ तो निश्चित रूप से
सिखलाएगा ही
ह्रदय को निचोडती है कुछ पल
जब खालीपन डट कर बैठ जाता है
शुन्य को केन्द्र बनाये
मन हताश …कौन समझाए!
घड़ी के काँटों को जैसे किसी बलवान ने
दबोच लिया है अपने पूरी शक्ति से
न छत्त रहे हैं उदासीनता के बादल
न ठंडक मिल रही है ह्रदय को
सुबह की ओस की ताजगी से
न उम्मीद झांक रही है
खिलते पंखुड़ियों की तरह
न बसंत आस पास फटक रही है
जैसे की कोई शिकवा हो
बस यही आसरा है कि
ऐसे दिनों का भी अंत होता है
समय मरहम लगता है
और एक दिन गेहेरे घाव भी
एक दाग बन कर रह जाते हैं.
कब किस मोड़ पे आकार रुक जाती है
बगैर कोई रुकावट की आगाह किए
लड़खड़ाते…सँभालते
अपने आप को समझाते
कि ये अनुभव भी हमे
कुछ न कुछ तो निश्चित रूप से
सिखलाएगा ही
ह्रदय को निचोडती है कुछ पल
जब खालीपन डट कर बैठ जाता है
शुन्य को केन्द्र बनाये
मन हताश …कौन समझाए!
घड़ी के काँटों को जैसे किसी बलवान ने
दबोच लिया है अपने पूरी शक्ति से
न छत्त रहे हैं उदासीनता के बादल
न ठंडक मिल रही है ह्रदय को
सुबह की ओस की ताजगी से
न उम्मीद झांक रही है
खिलते पंखुड़ियों की तरह
न बसंत आस पास फटक रही है
जैसे की कोई शिकवा हो
बस यही आसरा है कि
ऐसे दिनों का भी अंत होता है
समय मरहम लगता है
और एक दिन गेहेरे घाव भी
एक दाग बन कर रह जाते हैं.
दोस्त तुमको मेरी कसम
दोस्ती होती नही भूल जाने के लिए
दोस्ती होती नही बिछर जाने के लिए
दोस्ती करके खुश रहोगे इतना
वक्त नही मिलेगा आशु बहाने के लिए
जिन्दगी मैं कई रिश्ते हे जिनको हम निभाते हे
मेरी नजर मैं सबसे अच्छा रिश्ता हे दोस्ती का
सब भूल जाना ऐ ......... .......................दोस्त
पर मुझे न भुलाना 'दोस्त ' तुमको मेरी कसम
गम हो या खुशी उम्र भर साथ निभाना हे दोस्त का
आंधी आए तुफा आए टूटे ना कभी रिश्ता दोस्त का
सब भूल जाना ऐ ....................................... दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम
जब दोस्त मिलते हे जीवन मैं फूल खिलते हे
जब भी एक दूजे के साथ होते हे मन मिलते हे
सब भूल जाना ऐ ...........................दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम ........................................
अमृता जैन
दोस्ती होती नही बिछर जाने के लिए
दोस्ती करके खुश रहोगे इतना
वक्त नही मिलेगा आशु बहाने के लिए
जिन्दगी मैं कई रिश्ते हे जिनको हम निभाते हे
मेरी नजर मैं सबसे अच्छा रिश्ता हे दोस्ती का
सब भूल जाना ऐ ......... .......................दोस्त
पर मुझे न भुलाना 'दोस्त ' तुमको मेरी कसम
गम हो या खुशी उम्र भर साथ निभाना हे दोस्त का
आंधी आए तुफा आए टूटे ना कभी रिश्ता दोस्त का
सब भूल जाना ऐ ....................................... दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम
जब दोस्त मिलते हे जीवन मैं फूल खिलते हे
जब भी एक दूजे के साथ होते हे मन मिलते हे
सब भूल जाना ऐ ...........................दोस्त
पर मुझे ना भूलाना 'दोस्त' तुमको मेरी कसम ........................................
अमृता जैन
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