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देखा तो प्यार आया
पत्ता जो खड़का तो
दिल मेरा धड़का
दिल मेरा धड़का तो
शोला सा भड़का
देखा तो प्यार आया
दिल का करार आया
जन-ऐ-बहार आया
मस्ती मैं झूमे फिज़ा
आंखों मैं वो प्यार
जो दीवाना बनाये
महकी वो बहार
जो मस्ताना बनाये
घनी घनी जुल्फों मैं
झुकी झुकी पलकों मैं
राहों मैं गीत गूंजें
शाखों मैं फूल झूमें
कलियों ने पौन चूमें
क़दमों पे हो के फ़िदा
निगाहों से निगाहों का
छेड़ा हे फ़साना
ऐसे मैं मेरे सामने
आए न ज़माना
सजी सजी रहूँ मैं
खुली खुली बहूँ मैं
खुशियों की रात आई
दिल का शुरूर लायी
हाँ वो मुराद पाई
मांगी थी जो दुआ
दिल मेरा धड़का
दिल मेरा धड़का तो
शोला सा भड़का
देखा तो प्यार आया
दिल का करार आया
जन-ऐ-बहार आया
मस्ती मैं झूमे फिज़ा
आंखों मैं वो प्यार
जो दीवाना बनाये
महकी वो बहार
जो मस्ताना बनाये
घनी घनी जुल्फों मैं
झुकी झुकी पलकों मैं
राहों मैं गीत गूंजें
शाखों मैं फूल झूमें
कलियों ने पौन चूमें
क़दमों पे हो के फ़िदा
निगाहों से निगाहों का
छेड़ा हे फ़साना
ऐसे मैं मेरे सामने
आए न ज़माना
सजी सजी रहूँ मैं
खुली खुली बहूँ मैं
खुशियों की रात आई
दिल का शुरूर लायी
हाँ वो मुराद पाई
मांगी थी जो दुआ
मुझे याद रखना
मेरी तुमसे बस इतनी सी है इल्तेज़ा
हमेशा मुझे याद रखना
मेरे साथ जो पल बीते है तुम्हारे
कम से कम उन्हें तो यद् रखना
जो भी प्यार करते है आपको
उनमे मेरा नाम याद रखना
अगर मुश्किल हो याद करना
तो बस एक काम करना
बना लेना कोई और हमसाया
फ़िर उसे ही याद रखना
भूले से भी आजाये याद हमारी
तो ये समझना
की बड़ा मुश्किल है मुझे याद रखना
हमेशा मुझे याद रखना
मेरे साथ जो पल बीते है तुम्हारे
कम से कम उन्हें तो यद् रखना
जो भी प्यार करते है आपको
उनमे मेरा नाम याद रखना
अगर मुश्किल हो याद करना
तो बस एक काम करना
बना लेना कोई और हमसाया
फ़िर उसे ही याद रखना
भूले से भी आजाये याद हमारी
तो ये समझना
की बड़ा मुश्किल है मुझे याद रखना
ऐ चाँद
ऐ चाँद तेरी खूबसूरती के दीवाने सब हैं,
मैं भी हूँ…..
तेरी चाँदनी की तरेह रोशन तो नही पर मशहूर
मैं भी हूँ…..
टू भले ही बैठा होगा पलकों पे सबकी,
पर किसी की आंखों की नूर तो
मैं भी हूँ…..
तेरे बादलों में छिप जाने की अदा क्या गज़ब ढाती है,
जब तेरी चांदनी तुझमें आकर सिमट जाती है,
तू नही जानता वो वक्त, वो मंजर ही कुछ और होता है,
जब सारी दुनिया तेरे एक दीदार को तरस जाती है….
ऐ चाँद तू कुदरत की इनायत है,
मैं भी हूँ….
तुझमें अगर दाग है, तो गुनाहगार
मैं भी हूँ……
तेरी हुकूमत भले ही रात तक सीमित होगी,
पर इस हुकूमत की गुलाम तो
मैं भी हूँ…….
मैं भी हूँ…..
तेरी चाँदनी की तरेह रोशन तो नही पर मशहूर
मैं भी हूँ…..
टू भले ही बैठा होगा पलकों पे सबकी,
पर किसी की आंखों की नूर तो
मैं भी हूँ…..
तेरे बादलों में छिप जाने की अदा क्या गज़ब ढाती है,
जब तेरी चांदनी तुझमें आकर सिमट जाती है,
तू नही जानता वो वक्त, वो मंजर ही कुछ और होता है,
जब सारी दुनिया तेरे एक दीदार को तरस जाती है….
ऐ चाँद तू कुदरत की इनायत है,
मैं भी हूँ….
तुझमें अगर दाग है, तो गुनाहगार
मैं भी हूँ……
तेरी हुकूमत भले ही रात तक सीमित होगी,
पर इस हुकूमत की गुलाम तो
मैं भी हूँ…….
दोस्त दोस्ती दोस्ताना
दोस्तों की कमी को पहचानते हैं हम
दुनिया के गमो को भी जानते हैं हम
आप जैसे दोस्तों का सहारा है
तभी तो आज भी हँसकर जीना जानते हैं हम
आज हम हैं कल हमारी यादें होंगी
जब हम ना होंगे तब हमारी बातें होंगी
कभी पलटोगे जिंदगी के ये पन्ने
तब शायद आपकी आंखों से भी बरसातें होंगी
कोई दौलत पर नाज़ करते हैं
कोई शोहरत पर नाज़ करते हैं
जिसके साथ आप जैसा दोस्त हो
वो अपनी किस्मत पर नाज़ करते हैं
हर खुशी दिल के करीब नहीं होती
ज़िंदगी ग़मों से दूर नहीं होती
इस दोस्ती को संभाल कर रखना
क्यूंकि दोस्ती हर किसी को नसीब नहीं होती
रेत पर नाम लिखते नहीं
रेत पर लिखे नाम कभी टिकते नहीं
लोग कहते हैं पत्थर दिल हैं हम
लेकिन पत्थरों पर लिखे नाम कभी मिटते नहीं
दिल से दिल की दूरी नहीं होती
काश कोई मज़बूरी नहीं होती
आपसे अभी मिलाने की तमन्ना है
लेकिन कहते हैं हर तमन्ना पुरी नहीं होती
फूलों से हसीं मुस्कान हो आपकी
चाँद सितारों से ज्यादा शान हो आपकी
ज़िंदगी का सिर्फ़ एक मकसद हो आपका
कि आंसमा से ऊँची उड़ान हो आपकी
जागो चम्पु जागो
परेशान थी चम्पु की वाइफ
Non-happening थी जो उसकी लाइफ
चम्पु को ना मिलता था आराम
ओफिस मैं करता काम ही काम
चम्पु के बॉस भी थे बड़े कूल
परमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नही थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ till nine
चम्पु भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नही करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
Onsite के उम्मीद मैं देता सलामी
दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया चम्पु का हाल
चम्पु को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहेनजी कहता था
आख़िर एक दिन चम्पु को समझ आया
और छोड़ दी उसने Onsite की मोह माया
"तुम क्यों सताते हो ?
"Onsite के लड्डू से बुद्दु बनाते हो"
"परमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"Onsite देने पर भी वापिस ना आऊंगा."
बॉस हंस के बोला "नही कोई बात"
"अभी और भी चम्पु है मेरे पास"
"यह दुनिया चमपुओं से भरी पड़ी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करवाऊंगा"
"तुम्हारी तरह एक और चम्पु बनाऊंगा"
Non-happening थी जो उसकी लाइफ
चम्पु को ना मिलता था आराम
ओफिस मैं करता काम ही काम
चम्पु के बॉस भी थे बड़े कूल
परमोशन को हर बार जाते थे भूल
पर भूलते नही थे वो डेडलाइन
काम तो करवाते थे रोज़ till nine
चम्पु भी बनना चाहता था बेस्ट
इसलिए तो वो नही करता था रेस्ट
दिन रात करता वो बॉस की गुलामी
Onsite के उम्मीद मैं देता सलामी
दिन गुज़रे और गुज़रे फिर साल
बुरा होता गया चम्पु का हाल
चम्पु को अब कुछ याद ना रहता था
ग़लती से बीवी को बहेनजी कहता था
आख़िर एक दिन चम्पु को समझ आया
और छोड़ दी उसने Onsite की मोह माया
"तुम क्यों सताते हो ?
"Onsite के लड्डू से बुद्दु बनाते हो"
"परमोशन दो वरना चला जाऊंगा"
"Onsite देने पर भी वापिस ना आऊंगा."
बॉस हंस के बोला "नही कोई बात"
"अभी और भी चम्पु है मेरे पास"
"यह दुनिया चमपुओं से भरी पड़ी है"
"सबको बस आगे बढ़ने की पड़ी है"
"तुम ना करोगे तो किसी और से करवाऊंगा"
"तुम्हारी तरह एक और चम्पु बनाऊंगा"
अपने दिल से पुचो की क्या ये सच है ?
अपने दिल से पूछो क्या ये सच है ? " दोस्तों जब मैंने ब्लॉग लिखने की सुरुवात की .....और सचाई को सामने रखने की सुरुवात की तो न जाने कई लोगो ने मुझे कहा की " कुछ फायदा नही होगा " मगर आज बहुत सारे ब्लॉगर मुझे साथ दे रहे है अपने अपने ब्लॉग में एक या दुसरे तरीके से सच्चाई को सामने लाने की कोशीस कर रहे है तो दिल को काफी अच्छा लगता है ....की चलो मेरा कार्य सिद्ध हुवा ॥चलो किसी को जगा तो सका "" बेटियाँ अनमोल होती है ....ये मेरी पोस्ट का मैन बेस था .....उस वक्त मेरी पोस्ट ने सायद कई लोगो के दिल तोड़ दिए रहेंगे ....मगर ॥आज न जाने कितनी पोस्ट यही मुद्दे पर बन रही है की जैसे .......1 } औरत पर अत्याचार २} बेटियाँ अनमोल होती है ३} मर रहा है आम आदमी " धन्यवाद् दोस्तों ,की आप सब ने हमारे इसी मुद्दे को एक आवाज़ देने की कोशीस की है ,अगर हम पढेलिखे लोग समज जायेंगे तो वो दिन दूर नही की क औरत पर या बेटी पर अत्याचार नही होगा .......आप सब ने ....किसी ने कविता के जरिये तो किसी ने कहानी के जरिये जो आवाज़ उठाई है ॥उसके लिए आप सबका दिल से सुक्रिया "" मै कमेन्ट देने कहेता था तो सिर्फ़ इसलिए की मुझे पता चले की मेरे मुद्दे आपके दिल तक पहुंचे या नही ? मेरा मकसद पैसा कमाना नही बल्कि किसी "अबला " या " कोई बेटी" को न्याय मिले ...या फ़िर हम..... आम जनता जिन प्रश्नों से परेशां है .....वो सब बातें आपके सामने रखना ही मेरा मकसद था ...ब्लॉग पर आना जाना तो लगा रहेता है मगर दिल गवाही दे ऐसे सवाल हर ब्लॉग में होने चाहिए .... ना ही सिर्फ़ टाइम पास के लिए ब्लॉग लिखा जाए ....ताकि हर विसीटर आपकी पोस्ट पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाए की क्या ये सही है ? "" मेरे कई दोस्तोने मुझे कहा था की आज कल ऐसे आलेख कम पढ़ा जाते है मै भी जानता था की ऐसे आलेख कम पढ़ेंगी ये दुनिया मगर मै लिखता गया क्यों की मुझे पता था ...की जो मेरे आलेख पढेगा वो अन्याय के खिलाफ सवाल उठाने पर मजबूर होजायेगा "" यही मेरे लिए काफी है की अख़बार वालो ने " माँ भी किसी की बेटी थी " पर लिखना चालू कर दिया ....मेरा जलाया दिया आज उन अनपढ़ और पढ़े लिखे लोगो तक पहुंचेगा जो सो रहे है ......अपने पर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाना सीखो दोस्तों ...क्यों की अन्याय करने वाले से अन्याय सहने वाला ज्यादा गुन्हेगार होता है "" ब्लॉग टाइम पास नही है बल्कि जानकारी का दरिया है "" दोस्तों मैंने अपनी दिल की बात कहे दी है ,अगर किसी को बुरा लगे तो माफ़ करना ....मगर मैंने सच्चाई की बात की है ये भी सच है मेरी पोस्ट पर कमेन्ट दे या न दे मुझे कोई फर्क नही पड़ेगा मगर फर्क पड़ेगा उन तमाम लोगो को जिन्हें अन्याय सहेने की आदत पड़ गई है ॥जिन्हें सच्चाई को चाहना गुनाह लगता है .....मै कोई ज़ंग में जाने की बात नही कर रहा ...बात है अपने इमां की ,अपने जमीर की ....बहुत से लोगो ने मुझे ये भी कहा की कौन करेगा सुरुवात ॥तो ये कोई ज़ंग नही है .....बात है तो सिर्फ़ समजदारी की ॥सिर्फ़ सच्चाई की क्यों की आज जो तुम्हारे आसपास अन्याय हो रहा है ...कल आप पर भी हो सकता है ......अभी भी वक्त है ...जागो "----- एकसच्चाई { आवाज़ }
Labels: एकसच्चाई { आवाज़ }
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सच्चाई को चाहता हूँ ...सच..सच को कितना भी दबाओ मगर सच्चाई सामने आ ही जाती है . जो भी समाज में या अपने देश मे अन्याय भरी बात देखता हूँ बस लिख देता हूँ, क्योंकि सच्चाई को चाहता हूँ ... क्या आप भी मेरी तरह सच्चाई को चाहते हो ? अगर हाँ तो फिर आओ मिलकर कुछ कर दिखाएँ ...मैं तो सच्चाई अपने ब्लॉग में लिखता हूँ , यकीन रखना सच्चाई देर से सामने आती है, मगर आती ज़रूर है ... सच्चाई कड़वी भी होती है दोस्त ..
मेरी दीवानगी
जबसे तुमको है अपना बनाये हुए
हम तो अपनों से भी है पराये हुए
न होना खफा तुम मेरे प्यार से
जी रहा हूँ तुम्हे दिल में बसाये हुए
नजारों को शिकायत, हम न देखे उन्हें
नज़रों में जो तुम हो समाये हुए
मेरी चौखट पे रखोगी तुम कब कदम
एक मुद्दत हुई घर सजाये हुए
बढ़ रही है हर पल मेरी दीवानगी
भड़क उठे न शोले दिल में दबाये हुए
गर नही तुमको हमसे मुहब्बत सनम
तोह बुझा दो यह “दीपक” जलाये हुए
दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
दूरियों से फर्क पड़ता नहीं
बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है
दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है
वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है
दिल से खेलना हमे आता नहीं
इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए
शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें
इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए
मना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,
जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।
नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,
थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।
लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,
कोई करता है तो इल्जाम देते है।
कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,
और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।
भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,
हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,
बात कहके तो कोई भी समझलेता है,
पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है
चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया
छोटी की घटना बड़ी हो गयी
मरी हुई एक बुढ़िया खड़ी हो गयी
उसे देखकर एक बूढा डर गया
थोडी देर बाद वो मर गया
लाश देखकर एक चिल्लाया
चम्पतिया आ गयी, चम्पतिया
मैंने पूछा ये चम्पतिया कौन है
वो बोला चम्पतिया को नही जानते
ये वही है जो कभी बिल्ली तो
कभी कुत्ता बन जाती है
कभी भूत बनकर लोगो को डराती है
अंधेरे का फायदा उठाकर
किसी को भी मार जाती है
मैं बोला ये क्या करते हो
क्यो इस बात से डरते हो
चम्पतिया का पता नही
ये तो कोरी बकबास है
एक बूढा जो निपट गया था
ये तो उसकी लाश है
उम्मीदों की नौकाएं
नागफनी आंखों में लेकर, सोना हो पाता है क्या
जज्बातों में उलझ के कोई, चैन कहीं पाता है क्या
सावन के झूले पर उठते ,मीत मिलन के गीत कई
सबकी किस्मत में मिलनेका ,अवसर आपाता है क्या
बीज मोहब्बत के रोपे ,फ़िर छोड़ गए रुसवाई में
दर्द को किसने कैसे भोगा ,कोई समझ पाता है क्या
धूप का टुकडा हुआ चांदनी, खुशबू से लबरेज़ हुआ
चाँद देख कर दूर देश में ,याद कोई आता है क्या
मन के तूफां पर सवार हैं ,,,उम्मीदों की नौकाएं
बनती मिटती लहरें पल-पल, गर्दूं गिन पाता है क्या
जज्बातों में उलझ के कोई, चैन कहीं पाता है क्या
सावन के झूले पर उठते ,मीत मिलन के गीत कई
सबकी किस्मत में मिलनेका ,अवसर आपाता है क्या
बीज मोहब्बत के रोपे ,फ़िर छोड़ गए रुसवाई में
दर्द को किसने कैसे भोगा ,कोई समझ पाता है क्या
धूप का टुकडा हुआ चांदनी, खुशबू से लबरेज़ हुआ
चाँद देख कर दूर देश में ,याद कोई आता है क्या
मन के तूफां पर सवार हैं ,,,उम्मीदों की नौकाएं
बनती मिटती लहरें पल-पल, गर्दूं गिन पाता है क्या
जिन्ना का जिन्न
गाँधी तेरा राष्ट्र बिगड़ गया |
" गाँधी " तेरा राष्ट्र बिगड़ गया
" आज गांधीजी काफी अच्छे मिजाज में बैठे थे की कुछ स्वतंत्र सेनानी वहां पर आ पहुंचे ,उनके चहेरे पर चिंता दिखाई दे रही थी गांधीजी ने कहा "कैसे आना हुवा सब कुशल मंगल तो हैं ना ? ॥किसीने कुछ जवाब नही दिया ..."आप सब चुप क्यु हो ?"॥चारो तरफ़ एक सन्नाटा सा था कोई कुछ बताता नही था "कुछ बोलो तो सही ? कोई तो कहो की मेरे भारतवासी कुशल तो है ? "" एक स्वतंत्र सेनानी आगे आया, बापू के पास जाकर उसने कहा " बापू, दर्द होता है भारत का नाम सुनकर " बापू जो हमारे "राष्ट्रपिता " है ,वो ये बात सुनकर खामोश हो गए ,उनका चहेरा दर्द से उभर आया बापू के मुह से सिर्फ़ निकला एक अल्फाज़ "मेरा भारत ....",बापू ने अपने चश्मे ठीक किए ...और अपनी लाठी लेकर निकल पड़े ....स्वर्ग की एक छोटीसी खिड़की खोलकर वो "अपना भारत "देखने लगे ""बापू ने देखा की "इश्वर अल्लाह तेरो नाम " कहेनेवाले बापू के देशवासी आज धर्म के नाम पर लड़ रहे है ...एक दुसरे की जान के दुश्मन बन बैठे है तो सिर्फ़ ये देश के नेता के कहने पर ...सायद आज उनके देशवासियोने अपनी आँख पर पट्टी बाँध दी है ...उन्हें सच और झूठ का सायद फासला दिखाई नही देता है ,सायद इस देश के वासियों को सिर्फ़ सुनाई देते है नेता के भाषण .....जगह जगह पर रिश्वत का राज चल रहा है मगर चुप है गाँधी के देशवासी .....जगह जगह गाँधी के पुतले बिठाये है मगर उन पुतलो के पैर के पास रिश्वत भी ली जाती है और बैठकर शराब भी पि जाती है ,कौन रोकता है यहाँ गुनाह करने से ? ....गाँधीजी ने तिन बंदर दिए थे सिख देने के लिए हमे ...मगर बंदर सुधर गए हम बिगड़ते गए ......जगह जगह दिखाई दिया गाँधी को सिर्फ़ बर्बादी का मेला ...दिखाई दिया की बिजली नही है मगर कोई कुछ नही कहेता नेता को ...सायद गुलामी अभी तक गई नही ॥लोगो के दिमाग से ,लोगो के दिल से ....न जा ने कब ये पढ़े लिखे लोग समजेंगे की "भारत का संविधान क्या कहता है ?""गरीबों की हालत देखकर गांधीजी हैरान हो गए उन्होंने अपनी लाठी कसकर पकड़ी ...लम्बी साँस के साथ फ़िर देखने लगे की कैसे मर रहे है गरीब लोग ? सक्कर से लेकर आलू ,आलू से लेकर बिजली ,बिजली से लेकर नेता ...मार रहे है, मगर कुछ न करते भारत के नागरिक को देख रहे थे बापू....सायद,बापू के दिल को दर्द हो रहा था....""क्यु गाँधी दर्द हुवा ?" एक अंग्रेज बोला ,बापू चुप खड़े थे ॥यही सोचते की "क्या मैंने इन लोगो के लिए अपनी छाती पर गोली खाई ? क्या इन लोगो के लिए मैंने सत्याग्रह किया था ,जो अभीभी गुलामी की जंजीरों में कैद है ? जो अपने हक के लिए आवाज़ नही उठा सकते है वैसे लोगो के लिए मैंने किया था जेल भरो आन्दोलन ? " मज़हब नही सिखाता आपस में वैर रखना " ये बात सायद याद नही इनको ,क्या इन्ही लोगो के लिए मैंने कहा था "इश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान " ""गांधीजी को हुवा दर्द उनके चहरे पर साफ़ नजर आ रहा था .....भारत की ये हालत देखकर ॥महान भारत के राष्ट्रपिता ...याने भारत के महान सपूत महात्मा गाँधी के चश्मे के पीछे से एक गरम आंसू सिर्फ़ यही कहके गिरा " हे राम ....""दोस्तों इस कहानी में मैंने कही सारे सवाल उठाये है ....क्या इनका जवाब है आपके पास ....क्या गांधीजी की आँख के आंसू की कीमत आपकी नजरो में कुछ नही ?
"नोंध : इस कहानी से अगर किसीका दिल दुखता है तो हम उनकी माफ़ी मांगते है ...मगर सोचना ...ये सवालो में सचाई है आपकी कीमती टिप्पणियों के साथ हमे बताओ की इस समस्या पर हम क्या कर सकते है ? ....धन्यवाद्
------ एकसच्चाई { आवाज़ }
" आज गांधीजी काफी अच्छे मिजाज में बैठे थे की कुछ स्वतंत्र सेनानी वहां पर आ पहुंचे ,उनके चहेरे पर चिंता दिखाई दे रही थी गांधीजी ने कहा "कैसे आना हुवा सब कुशल मंगल तो हैं ना ? ॥किसीने कुछ जवाब नही दिया ..."आप सब चुप क्यु हो ?"॥चारो तरफ़ एक सन्नाटा सा था कोई कुछ बताता नही था "कुछ बोलो तो सही ? कोई तो कहो की मेरे भारतवासी कुशल तो है ? "" एक स्वतंत्र सेनानी आगे आया, बापू के पास जाकर उसने कहा " बापू, दर्द होता है भारत का नाम सुनकर " बापू जो हमारे "राष्ट्रपिता " है ,वो ये बात सुनकर खामोश हो गए ,उनका चहेरा दर्द से उभर आया बापू के मुह से सिर्फ़ निकला एक अल्फाज़ "मेरा भारत ....",बापू ने अपने चश्मे ठीक किए ...और अपनी लाठी लेकर निकल पड़े ....स्वर्ग की एक छोटीसी खिड़की खोलकर वो "अपना भारत "देखने लगे ""बापू ने देखा की "इश्वर अल्लाह तेरो नाम " कहेनेवाले बापू के देशवासी आज धर्म के नाम पर लड़ रहे है ...एक दुसरे की जान के दुश्मन बन बैठे है तो सिर्फ़ ये देश के नेता के कहने पर ...सायद आज उनके देशवासियोने अपनी आँख पर पट्टी बाँध दी है ...उन्हें सच और झूठ का सायद फासला दिखाई नही देता है ,सायद इस देश के वासियों को सिर्फ़ सुनाई देते है नेता के भाषण .....जगह जगह पर रिश्वत का राज चल रहा है मगर चुप है गाँधी के देशवासी .....जगह जगह गाँधी के पुतले बिठाये है मगर उन पुतलो के पैर के पास रिश्वत भी ली जाती है और बैठकर शराब भी पि जाती है ,कौन रोकता है यहाँ गुनाह करने से ? ....गाँधीजी ने तिन बंदर दिए थे सिख देने के लिए हमे ...मगर बंदर सुधर गए हम बिगड़ते गए ......जगह जगह दिखाई दिया गाँधी को सिर्फ़ बर्बादी का मेला ...दिखाई दिया की बिजली नही है मगर कोई कुछ नही कहेता नेता को ...सायद गुलामी अभी तक गई नही ॥लोगो के दिमाग से ,लोगो के दिल से ....न जा ने कब ये पढ़े लिखे लोग समजेंगे की "भारत का संविधान क्या कहता है ?""गरीबों की हालत देखकर गांधीजी हैरान हो गए उन्होंने अपनी लाठी कसकर पकड़ी ...लम्बी साँस के साथ फ़िर देखने लगे की कैसे मर रहे है गरीब लोग ? सक्कर से लेकर आलू ,आलू से लेकर बिजली ,बिजली से लेकर नेता ...मार रहे है, मगर कुछ न करते भारत के नागरिक को देख रहे थे बापू....सायद,बापू के दिल को दर्द हो रहा था....""क्यु गाँधी दर्द हुवा ?" एक अंग्रेज बोला ,बापू चुप खड़े थे ॥यही सोचते की "क्या मैंने इन लोगो के लिए अपनी छाती पर गोली खाई ? क्या इन लोगो के लिए मैंने सत्याग्रह किया था ,जो अभीभी गुलामी की जंजीरों में कैद है ? जो अपने हक के लिए आवाज़ नही उठा सकते है वैसे लोगो के लिए मैंने किया था जेल भरो आन्दोलन ? " मज़हब नही सिखाता आपस में वैर रखना " ये बात सायद याद नही इनको ,क्या इन्ही लोगो के लिए मैंने कहा था "इश्वर अल्लाह तेरो नाम सबको सम्मति दे भगवान " ""गांधीजी को हुवा दर्द उनके चहरे पर साफ़ नजर आ रहा था .....भारत की ये हालत देखकर ॥महान भारत के राष्ट्रपिता ...याने भारत के महान सपूत महात्मा गाँधी के चश्मे के पीछे से एक गरम आंसू सिर्फ़ यही कहके गिरा " हे राम ....""दोस्तों इस कहानी में मैंने कही सारे सवाल उठाये है ....क्या इनका जवाब है आपके पास ....क्या गांधीजी की आँख के आंसू की कीमत आपकी नजरो में कुछ नही ?
"नोंध : इस कहानी से अगर किसीका दिल दुखता है तो हम उनकी माफ़ी मांगते है ...मगर सोचना ...ये सवालो में सचाई है आपकी कीमती टिप्पणियों के साथ हमे बताओ की इस समस्या पर हम क्या कर सकते है ? ....धन्यवाद्
------ एकसच्चाई { आवाज़ }
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एकसच्चाई { आवाज़ }
सच्चाई को चाहता हूँ ...सच..सच को कितना भी दबाओ मगर सच्चाई सामने आ ही जाती है . जो भी समाज में या अपने देश मे अन्याय भरी बात देखता हूँ बस लिख देता हूँ, क्योंकि सच्चाई को चाहता हूँ ... क्या आप भी मेरी तरह सच्चाई को चाहते हो ? अगर हाँ तो फिर आओ मिलकर कुछ कर दिखाएँ ...मैं तो सच्चाई अपने ब्लॉग में लिखता हूँ , यकीन रखना सच्चाई देर से सामने आती है, मगर आती ज़रूर है ... सच्चाई कड़वी भी होती है दोस्त ..
साँसों की डोर
जाने क्यूँ वो साँसों की डोर टूटने नही देता,
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर
मुझे रुकने नही देता.....
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको
चैन से रोने नही देता......
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे
टूटकर बिखरने नही देता.......
शायद जानता है वो भी इन आंखों में आंसुओ का सैलाब है,
जाने क्यूँ फ़िर भी वो इन आंसुओ को गिरने नही देता........
मुझसे कहता है, "मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना" ,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नही देता!!!
बस दो कदम और चलने का वास्ता देकर
मुझे रुकने नही देता.....
बात कहता है वो मुझसे हंस हंस कर जी लेने की,
अजीब शख्स है मुझको
चैन से रोने नही देता......
आज हौसला देता है मुझे चाँद सितारों को छू लेने का,
वो प्यारा सा चेहरा मुझे
टूटकर बिखरने नही देता.......
शायद जानता है वो भी इन आंखों में आंसुओ का सैलाब है,
जाने क्यूँ फ़िर भी वो इन आंसुओ को गिरने नही देता........
मुझसे कहता है, "मैं तो मर जाऊंगा तुम्हारे बिना" ,
मैं जिंदा हूँ अब तक के वो मुझे मरने नही देता!!!
क्या पाया
आत्म वंचना करके किसने क्या पाया
कुंठा और संत्रास लिए मन कुह्साया
इतना पीसा नमक झील खारी कर डाली
जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली
नहीं सहेजे सुमन न मधु का पान किया
सर से ऊपर चढ़ी धूप तो अकुलाया
सूर्या रश्मियाँ अवहेलित कर ,निशा क्रयित की
अप्राकृतिक आस्वादों पर रूपायित की
अपने ही हाथों से अपना दिवा विदा कर
निज सत्यों को नित्य निरंतर झुठलाया
पागल की गल सुन कर गलते अहंकार को
पीठ दिखाई ,मृदुता शुचिता संस्कार को
प्रपंचताओं के नागों से शृंगार किया
अविवेकी अतिरेकों को अधिमान्य बनाया
कुंठा और संत्रास लिए मन कुह्साया
इतना पीसा नमक झील खारी कर डाली
जल राशिः में खड़ा पियासा वनमाली
नहीं सहेजे सुमन न मधु का पान किया
सर से ऊपर चढ़ी धूप तो अकुलाया
सूर्या रश्मियाँ अवहेलित कर ,निशा क्रयित की
अप्राकृतिक आस्वादों पर रूपायित की
अपने ही हाथों से अपना दिवा विदा कर
निज सत्यों को नित्य निरंतर झुठलाया
पागल की गल सुन कर गलते अहंकार को
पीठ दिखाई ,मृदुता शुचिता संस्कार को
प्रपंचताओं के नागों से शृंगार किया
अविवेकी अतिरेकों को अधिमान्य बनाया
शीर्षक बताइये (प्रतियोगिता)
आजकल पैसे (धन-दौलत) के लिए प्रत्येक पुरूष पाप प्रवृत्ति हैं। वैसे भी प्रकाशवान (ख्याति) होने के लिए पैसे के पावर में वृद्धि के लिए प्रथम प्रयास करना भी चाहिए लेकिन पापा (पिताश्री) पुत्रों के लिए पाप रहित एकत्रित करें तो इस पुण्य का फल आने वाली पीढ़ी के पुत्रों को भी मिलेगा और हमारे पूर्वज भी प्रसन्न होगें। परमात्मा की प्रतिदिन, प्रतिपल, परम-पवित्र कृपा पीढिय़ों तक परिवार पर बनी रहेगी। परिवार पथभ्रष्ट होने से बचा रहेगा और प्राण त्यागते समय हमें किसी प्रकार का प्रायश्चित भी नहीं करना पड़ेगा।
प्राणी पाप रहित जीवन व्यतीत कर पुरूष से परमहँस की पदवी पाते हैं। पूज्यनीय हो जाते हैं। पारे से निर्मित शिवलिंग की पूजा से पापों का क्षय होता है। पैसा और पावर की वृद्धि होती हैं। पति-पत्नि एक दूसरे को पीडि़त कर परमात्मा शिव के अर्घनारीश्वर स्वरूप को खंडित करने का प्रयास करते हैं उन्हें इससे बचना चाहिये। परमार्थ और प्रेम से बड़ी पूजा सृष्टि से अन्य नहीं हैं। परिवर्तन संसार का नियम है यह भगवान श्री कृष्ण का उद्घोष है। पहले पापा (पिता) बनने की चाह सभी में रहती थी। किन्तु अब पैसे के लिए पापी बनने में कोई कमी नहीं छोड़ते पूर्वकाल में पुराने पूर्वज (बुजुर्ग) कहा करते थे कि परेशारियां हम स्वयं ही पैदा करते हैं। पूरी सृष्टि पंचतत्व पंचमहाभूतों से निर्मित, खण्डित और चलाएमान रहती हैं। प्रेमी, प्रेमिका में परमहित देख रहा है पिता के प्रवचन उसे सिरदर्द लगते है। प्रवचन कर्ता अब प्रथ्वी में परमात्मा की तरह पुज रहे हैं।
पूजा पाठ तो व्यर्थ की बात हो गई है ईमानदारी का पैमाना बदल चुका है। पति प्राणनाथ की जगह साढऩाथ हो रहे हैं। पत्ता (जुआ) और पाखण्ड से धरती लबालब है। परमहितेषी मित्र और प्यार-दुलार करने वाले बुजुर्ग घट रहे है। चारों तरफ, चारों पहर पाप पनप रहा है। पुलिस रक्षक नहीं अब भक्षक हो चुकी है। पापियों को पुरुस्कार और पुण्यात्माओं का धिक्कार मिल रहा है। पृथ्वी से पानी कम, और युवाओं की जवानी अब खत्म होती जा रही हैं।
पत्नी जो सदा रहे तनी और पति जिनकी हो गई है भ्रष्ट मती। प्रत्येक परिवार में ऐसी परिस्थितियाँ बन रही हैं। जो पिता पुत्र को प्रारंभ में प्रभु प्रार्थना कराते थे, वे परम्पराऐं छोड़कर अब पिज्जा खिला रहे हैं। बच्चे पुत्र-पुत्रियाँ पिताजी को प्रणाम की जगह हाय डेड कहने लगे हैं। पवन पुत्र हनुमान की जगह अब प्रवचन करने वाले पंडितों का जय-जयकार हो रही हैं। पसंद की प्रेमिकाऐं पत्नी का पद पा रही हैं। पुरुषार्थ पर अब कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं। पौरुष दौर्बल्यता दूर करने वाली औषधियों के अत्याधिक प्रयोग से व्यक्ति पुरुषहीन हो रहा हैं। परनारी और परायेधन पर सबकी दृष्टि हैं। पुस्तकों का प्रकाशन और परहित धर्म केवल पैसा या नाम कमाने के लिए किया जा रहा है। पीडि़त लोग प्रश्नों के उत्तर प्राप्ती हेतु दर-दर भटक रहे हैं। कालसर्प-पितृदोष पैसा कमाने का एक आसान तरीका बन चुका हैं। प्रदूषण युक्त वातावरण के कारण पेट की पाचन शक्ति पूर्णत: खराब हो चुकी हैं।
प्राणी पाप रहित जीवन व्यतीत कर पुरूष से परमहँस की पदवी पाते हैं। पूज्यनीय हो जाते हैं। पारे से निर्मित शिवलिंग की पूजा से पापों का क्षय होता है। पैसा और पावर की वृद्धि होती हैं। पति-पत्नि एक दूसरे को पीडि़त कर परमात्मा शिव के अर्घनारीश्वर स्वरूप को खंडित करने का प्रयास करते हैं उन्हें इससे बचना चाहिये। परमार्थ और प्रेम से बड़ी पूजा सृष्टि से अन्य नहीं हैं। परिवर्तन संसार का नियम है यह भगवान श्री कृष्ण का उद्घोष है। पहले पापा (पिता) बनने की चाह सभी में रहती थी। किन्तु अब पैसे के लिए पापी बनने में कोई कमी नहीं छोड़ते पूर्वकाल में पुराने पूर्वज (बुजुर्ग) कहा करते थे कि परेशारियां हम स्वयं ही पैदा करते हैं। पूरी सृष्टि पंचतत्व पंचमहाभूतों से निर्मित, खण्डित और चलाएमान रहती हैं। प्रेमी, प्रेमिका में परमहित देख रहा है पिता के प्रवचन उसे सिरदर्द लगते है। प्रवचन कर्ता अब प्रथ्वी में परमात्मा की तरह पुज रहे हैं।
पूजा पाठ तो व्यर्थ की बात हो गई है ईमानदारी का पैमाना बदल चुका है। पति प्राणनाथ की जगह साढऩाथ हो रहे हैं। पत्ता (जुआ) और पाखण्ड से धरती लबालब है। परमहितेषी मित्र और प्यार-दुलार करने वाले बुजुर्ग घट रहे है। चारों तरफ, चारों पहर पाप पनप रहा है। पुलिस रक्षक नहीं अब भक्षक हो चुकी है। पापियों को पुरुस्कार और पुण्यात्माओं का धिक्कार मिल रहा है। पृथ्वी से पानी कम, और युवाओं की जवानी अब खत्म होती जा रही हैं।
पत्नी जो सदा रहे तनी और पति जिनकी हो गई है भ्रष्ट मती। प्रत्येक परिवार में ऐसी परिस्थितियाँ बन रही हैं। जो पिता पुत्र को प्रारंभ में प्रभु प्रार्थना कराते थे, वे परम्पराऐं छोड़कर अब पिज्जा खिला रहे हैं। बच्चे पुत्र-पुत्रियाँ पिताजी को प्रणाम की जगह हाय डेड कहने लगे हैं। पवन पुत्र हनुमान की जगह अब प्रवचन करने वाले पंडितों का जय-जयकार हो रही हैं। पसंद की प्रेमिकाऐं पत्नी का पद पा रही हैं। पुरुषार्थ पर अब कोई ध्यान नहीं दे रहा हैं। पौरुष दौर्बल्यता दूर करने वाली औषधियों के अत्याधिक प्रयोग से व्यक्ति पुरुषहीन हो रहा हैं। परनारी और परायेधन पर सबकी दृष्टि हैं। पुस्तकों का प्रकाशन और परहित धर्म केवल पैसा या नाम कमाने के लिए किया जा रहा है। पीडि़त लोग प्रश्नों के उत्तर प्राप्ती हेतु दर-दर भटक रहे हैं। कालसर्प-पितृदोष पैसा कमाने का एक आसान तरीका बन चुका हैं। प्रदूषण युक्त वातावरण के कारण पेट की पाचन शक्ति पूर्णत: खराब हो चुकी हैं।
दूर दृष्टि
गुरू गुढ़ और चेला शक्कर
गुरू-तुम भारत का नक्शा बनाकर लाए?
शिष्य- (सिर हिलाकर)नहीं गुरू जी।
गुरूजी - (गुस्से में) क्यों
शिष्य- जी, कल प्रधानमंत्री कह रहे थे कि वह इस देश का नक्शा ही बदल देगें, जो मैंने सोचा कि पहले नक्शा बदल जाए, उसके बाद बना लूंगा।
गुरू से फायदा-
एक महिला एक गुरू जी के योग शिविर में गांव से अपनी सांस के साथ आई थी। जब वह गुरूजी को उनके द्वारा बताए प्रणायाम से जो फायदा हुआ था, उसके साथ गांव से और कोन आया था। तब उस महिला ने बताया कि उसकी सास साथ आयी थी।
वह कहां है? स्वमी जी ने पूछा। उन्हें बाहर रोक कर आयी हूँ स्वामी ने पूछा। क्यों? आप ही ने तो कहा था कि सांस को बाहर रोकने से बहुत फायदा होता है
गुरू-तुम भारत का नक्शा बनाकर लाए?
शिष्य- (सिर हिलाकर)नहीं गुरू जी।
गुरूजी - (गुस्से में) क्यों
शिष्य- जी, कल प्रधानमंत्री कह रहे थे कि वह इस देश का नक्शा ही बदल देगें, जो मैंने सोचा कि पहले नक्शा बदल जाए, उसके बाद बना लूंगा।
गुरू से फायदा-
एक महिला एक गुरू जी के योग शिविर में गांव से अपनी सांस के साथ आई थी। जब वह गुरूजी को उनके द्वारा बताए प्रणायाम से जो फायदा हुआ था, उसके साथ गांव से और कोन आया था। तब उस महिला ने बताया कि उसकी सास साथ आयी थी।
वह कहां है? स्वमी जी ने पूछा। उन्हें बाहर रोक कर आयी हूँ स्वामी ने पूछा। क्यों? आप ही ने तो कहा था कि सांस को बाहर रोकने से बहुत फायदा होता है
राष्ट्रकविश्री मैथिलीशरण गुप्त के प्रति श्रद्धा सुमन
प्राण न पागल हो तुम यों, पृथ्वी पर वह प्रेम कहाँ..
मोहमयी छलना भर है, भटको न अहो अब और यहाँ..
ऊपर को निरखो अब तो बस मिलता है चिरमेल वहाँ..
स्वर्ग वहीं, अपवर्ग वहीं, सुखसर्ग वहीं, निजवर्ग जहाँ..
आप मानवता के आधार
दयामय द्वान्दातीत विचार
न कोई जाति, न वर्ग अशेष,
सभी को एक मात्र संदेश,
हृदय से दिया यही उपदेश,
उठाओ ऊँचा अपना देश।
देश के हित में जीना सार।
आप मानवता के आधार।।
पढ़ाया सबको निज साकेत,
काव्य में किया यही संकेत,
स्वार्थ का बने न कोई निकेत,
अरे मानवता के आधार।।
मनुज! बन जाओ सरल सती,
सुकवि की कहती पंचवटी।
शान्ति सुख पाता है सुकृती,
यशस्वी होता सत्यव्रती।
काम है बन्ध, मुक्ति उपकार,
आप मावनता के आधार।।
सुकविकी कृतियों का यह सार,
मनुज! तू बन करूणा आगार।
चित्र में धार्यसत्य आचार ,
हृदय में रामनाम को धार ।
नमन हे सुकवि, संत साकार
आप मानवता के आधार ।।
-डा. रामेश्वर प्रसाद गुप्त, दतिया
कैसा ये रिश्ता है ?
ख्वाब और हकीकत में
इश्क और नजाकत में
दिल और दिमाग में
कागज़ और किताब में
फूल और खुशबू में
दिल की धुकधुक में
एक अजीब सा रिश्ता है
एक के बिना दूसरा अधूरा है
एक चलता है एक रुकता है
एक बढ़ता है एक झुकता है
क्यों ख्वाब हकीकत बनना चाहता है
क्यों इश्क में नज़ाक़त होती है
क्यों दिल पैर दिमाग हावी है
क्यों कागज़ बिना किताब बेभावी है
क्यों फूल ही खुशबु देता है
महबूब के छूटे ही
क्यों दिल धुकधुक करता है
कैसा ये रिश्ता है ?
बोल ममता बोल
कैसा ये रिश्ता है ?
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
मचो गोकुल में है त्यौहार, भयो नन्द लाल
खुशिया छाई है अपरम्पार, भयो नन्द लाल
मात यशोदा का है दुलारा,
सबकी आँखों का है तारा
अपनों गोविन्द मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
मात यशोदा झूम रही है
कृष्णा को वो चूम रही है
झूले पलना मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
देख के उसकी भोली सुरतिया
बोल रही है सारी सखिया
कितनो सुंदर है मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
-जय श्री कृष्णा
१३ अगस्त विश्व लेफ्ट हेडर्स डे पर विशेष
तात्रिकों का कहना है कि-
जादू का घर बंगाला, बायां हाथ छिनाला
अपने घर को कर रीता, बांया हाथ पलीता
बंगाल जादूगरों का घर है। बाएं हाथ के आदमी से रहस्मयी ज्ञान या अन्य कुछ छीन पाना मुश्किल है। ये भावुक हो समर्पित भाव से सब कुछ त्याग, दान-धर्म कर अपने घर को खाली कर देते हैं।
बाएं हाथ की हस्तियां
अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, रितीक रोशन, चार्ली चेप्लन, फाईटर जोन सिना, पैले, प्रिंस चाल्र्स (राजकुमार ब्रिटेन), जिम कैरी, आइंसटीन, बराक ओबामा, बिल क्लिटन, जार्ज बुश, क्वीन विक्टोरिया, नेपोलियन वोनापार्ट, एलेक्जेन्डर दी ग्रेट, वेंजामिन इस्राइली, जूलियस सीजर, रोम।
हेलन केलर जो अन्धी, गंूगी, बहरी थी फिर भी एडव्होकेट बनी। ऐन्जलीना जौली, जेम्स विलियम सिकन्दर, जोन ऑफ आर्क, माइकल एंजिलों जैसे विश्व विख्यात व्यक्ति भी बाएं थे।
पूना में लेफ्ट हेडर्स की एक संस्था है- जिसका नाम है। ऐसासिएशन ऑफ लेफ्ट हेन्डर्स 10, गीताजंली अपार्टमेन्ट,द तनाजीवाडी, शिवाजी नगर पूणे - 4 11005 महाराष्ट्र इन्डिया इसकी वार्षिक सदस्यता शूल्क 200 प्रतिवर्ष और आजीवन 2000 रूपये है।
दुनिया में अगर कोई खेल है जिसमेें लेफ्ट हेंडर्स की चर्चा सर्वाधिक होती है, तो वह क्रिकेट पर पूरी जरह ध्यान रखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ओपनिंग जोड़ी की सफलता के लिए राइट हेंडर्स व लेफ्ट हेडर्स की अच्छी खासी संख्या रही है। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब राइट हेडर्स की तुलना में लेफ्ट हेंडर्स की संख्या अधिक रही।
भारत के सफलतम पूर्व कप्तान सोरभ गंागुली लेफट हेंडर्स ही हैं।
1. विश्व टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले ब्रयान लारा है
2. वनडे मेच में सर्वाधिक 196रन बनाने वाले सईद अनवर
3. सदा संकट मोचन की भूमिका में खरे उतरते युवराज सिंह।
4. सचिन तेंदुलकर केवल क्रिकेट दाएं हाथ से खेलते हैं।
खेल का मैदान हो या विज्ञान, सादगी और साधना हो या ध्यान रंगमंच हो, दांव- पेंच से भरी राजनीति या फिर कोई अन्य क्षेत्र बांए हाथ ने हर जगह खेल दिखाया है, कामयाबी के झण्डे गाढ़े हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये लोग हाथ भले ही उल्टा चलाते हो लेकिन इनका दिमाग सीधा काम करता है। बाम हाथ वाले सुबह से शाम तक सिर्फ काम में तल्लीन रहते हैं। अधिकांश लेफ्टीज ताम झााम और जाम (शराब) तथा आराम से दूर रहकर बिना विराम उन्नति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।
जादू का घर बंगाला, बायां हाथ छिनाला
अपने घर को कर रीता, बांया हाथ पलीता
बंगाल जादूगरों का घर है। बाएं हाथ के आदमी से रहस्मयी ज्ञान या अन्य कुछ छीन पाना मुश्किल है। ये भावुक हो समर्पित भाव से सब कुछ त्याग, दान-धर्म कर अपने घर को खाली कर देते हैं।
बाएं हाथ की हस्तियां
अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन, रितीक रोशन, चार्ली चेप्लन, फाईटर जोन सिना, पैले, प्रिंस चाल्र्स (राजकुमार ब्रिटेन), जिम कैरी, आइंसटीन, बराक ओबामा, बिल क्लिटन, जार्ज बुश, क्वीन विक्टोरिया, नेपोलियन वोनापार्ट, एलेक्जेन्डर दी ग्रेट, वेंजामिन इस्राइली, जूलियस सीजर, रोम।
हेलन केलर जो अन्धी, गंूगी, बहरी थी फिर भी एडव्होकेट बनी। ऐन्जलीना जौली, जेम्स विलियम सिकन्दर, जोन ऑफ आर्क, माइकल एंजिलों जैसे विश्व विख्यात व्यक्ति भी बाएं थे।
पूना में लेफ्ट हेडर्स की एक संस्था है- जिसका नाम है। ऐसासिएशन ऑफ लेफ्ट हेन्डर्स 10, गीताजंली अपार्टमेन्ट,द तनाजीवाडी, शिवाजी नगर पूणे - 4 11005 महाराष्ट्र इन्डिया इसकी वार्षिक सदस्यता शूल्क 200 प्रतिवर्ष और आजीवन 2000 रूपये है।
दुनिया में अगर कोई खेल है जिसमेें लेफ्ट हेंडर्स की चर्चा सर्वाधिक होती है, तो वह क्रिकेट पर पूरी जरह ध्यान रखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ओपनिंग जोड़ी की सफलता के लिए राइट हेंडर्स व लेफ्ट हेडर्स की अच्छी खासी संख्या रही है। कई बार तो ऐसा हुआ कि जब राइट हेडर्स की तुलना में लेफ्ट हेंडर्स की संख्या अधिक रही।
भारत के सफलतम पूर्व कप्तान सोरभ गंागुली लेफट हेंडर्स ही हैं।
1. विश्व टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाले ब्रयान लारा है
2. वनडे मेच में सर्वाधिक 196रन बनाने वाले सईद अनवर
3. सदा संकट मोचन की भूमिका में खरे उतरते युवराज सिंह।
4. सचिन तेंदुलकर केवल क्रिकेट दाएं हाथ से खेलते हैं।
खेल का मैदान हो या विज्ञान, सादगी और साधना हो या ध्यान रंगमंच हो, दांव- पेंच से भरी राजनीति या फिर कोई अन्य क्षेत्र बांए हाथ ने हर जगह खेल दिखाया है, कामयाबी के झण्डे गाढ़े हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि ये लोग हाथ भले ही उल्टा चलाते हो लेकिन इनका दिमाग सीधा काम करता है। बाम हाथ वाले सुबह से शाम तक सिर्फ काम में तल्लीन रहते हैं। अधिकांश लेफ्टीज ताम झााम और जाम (शराब) तथा आराम से दूर रहकर बिना विराम उन्नति हेतु प्रयत्नशील रहते हैं।
भारत हमको जान से प्यारा है
भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्तां हमारा है
सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है
भारत मां की रक्षा में जीवन क़ुर्बान है
भारत हमको जान से ...
उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन
दुनिया धर धरती कोरी, बरबाद ना करदे कोई
मन्दिर यहाँ, मस्जिद वहाँ, हिन्दू यहाँ मुस्लिम वहाँ
मिलते रहे हम प्यार से
जागो ...
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है, सबसे प्यारा देश हमारा है
जन्मभूमि है हमारी शान से कहेंगे हम
सभी तो भाई-भाई प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है
आसाम से गुजरात तक, बंगाल से महाराष्ट्र तक
झनकी सही गुन एक है, भाषा अलग सुर एक है
कश्मीर से मद्रास तक, कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं
जागो ...
मेरा दिल करता है
मेरा दिल करता हे की मैं भी चिडिया बन जाऊ
उपर आस्मां मैं उड़ जाऊ बदलो मैं छूप जाऊ
सबकी नजरो से छूप जाऊ किसी को नजर न आंऊ
अपने प्यारे से बचपन को याद करके खुश हो जाऊ
इस मतलबी दुनिया से दूर ही रहू
जादू करना सिख जाऊ छड़ी घुमाऊ और
अमीरों की तिजोरी से कुछ पैसा गरीबो को दे आऊं
मिलावट करने वालो को खूब रूलाऊ
अमृता जैन
उपर आस्मां मैं उड़ जाऊ बदलो मैं छूप जाऊ
सबकी नजरो से छूप जाऊ किसी को नजर न आंऊ
अपने प्यारे से बचपन को याद करके खुश हो जाऊ
इस मतलबी दुनिया से दूर ही रहू
जादू करना सिख जाऊ छड़ी घुमाऊ और
अमीरों की तिजोरी से कुछ पैसा गरीबो को दे आऊं
मिलावट करने वालो को खूब रूलाऊ
अमृता जैन
दोस्ती की बेजोड़ मिसाल हो तुम
दोस्ती की बेजोड़ मिसाल हो तुम
न है कोई कमी लाज़बाब हो तुम
नही कोई ऐसा मेरे "दोस्त" जैसा
दोस्तों की एक अलग पहचान हो तुम
तुम से बात हो मुझे सुकून मिलता है
जाते हो कंही तो बेजान कर जाते हो तुम.
नही करता मन तुमसे दूर होने का एक पल
मजबूरियों से घिरी बहुत परेशान हो तुम
प्यार तो देखा है ज़माने का मैंने.
दोस्ती मैं मुहब्बत की एक अलग पहचान हो तुम
तुम्हारी दोस्ती ने ही एक बेजान को जानदार बनाया
गिरते हुए दोस्त को संभालना सिखाया.
नही चुका पाउँगा कभी दोस्ती का क़र्ज़
कितने प्यार से निभाया तुमने दोस्ती का फ़र्ज़.
गिरते हुए हालत मे मेरे मददगार हो तुम
दोस्ती क्या होती है इस बात से भी खबरदार हो तुम.
न है कोई कमी लाज़बाब हो तुम
नही कोई ऐसा मेरे "दोस्त" जैसा
दोस्तों की एक अलग पहचान हो तुम
तुम से बात हो मुझे सुकून मिलता है
जाते हो कंही तो बेजान कर जाते हो तुम.
नही करता मन तुमसे दूर होने का एक पल
मजबूरियों से घिरी बहुत परेशान हो तुम
प्यार तो देखा है ज़माने का मैंने.
दोस्ती मैं मुहब्बत की एक अलग पहचान हो तुम
तुम्हारी दोस्ती ने ही एक बेजान को जानदार बनाया
गिरते हुए दोस्त को संभालना सिखाया.
नही चुका पाउँगा कभी दोस्ती का क़र्ज़
कितने प्यार से निभाया तुमने दोस्ती का फ़र्ज़.
गिरते हुए हालत मे मेरे मददगार हो तुम
दोस्ती क्या होती है इस बात से भी खबरदार हो तुम.
कहते हैं तारे गाते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमने कान लगाया,
फिर भी अगणित कंठों का
यह राग नहीं हम सुन पाते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथिवी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों से
तारों के नीरव आँसू आते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
ऊपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा ऊपर को उठता,
आँसू नीचे झर जाते हैं!
कहते हैं, तारे गाते हैं!
-हरिवंश राय बच्चन
सन्नाटा वसुधा पर छाया,
नभ में हमने कान लगाया,
फिर भी अगणित कंठों का
यह राग नहीं हम सुन पाते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
स्वर्ग सुना करता यह गाना,
पृथिवी ने तो बस यह जाना,
अगणित ओस-कणों से
तारों के नीरव आँसू आते हैं!
कहते हैं तारे गाते हैं!
ऊपर देव तले मानवगण,
नभ में दोनों गायन-रोदन,
राग सदा ऊपर को उठता,
आँसू नीचे झर जाते हैं!
कहते हैं, तारे गाते हैं!
-हरिवंश राय बच्चन
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