देखा तो प्यार आया

पत्ता जो खड़का तो
दिल मेरा धड़का
दिल मेरा धड़का तो
शोला सा भड़का
देखा तो प्यार आया
दिल का करार आया
जन-ऐ-बहार आया
मस्ती मैं झूमे फिज़ा

आंखों मैं वो प्यार
जो दीवाना बनाये
महकी वो बहार
जो मस्ताना बनाये
घनी घनी जुल्फों मैं
झुकी झुकी पलकों मैं
राहों मैं गीत गूंजें
शाखों मैं फूल झूमें
कलियों ने पौन चूमें
क़दमों पे हो के फ़िदा

निगाहों से निगाहों का
छेड़ा हे फ़साना
ऐसे मैं मेरे सामने
आए न ज़माना
सजी सजी रहूँ मैं
खुली खुली बहूँ मैं
खुशियों की रात आई
दिल का शुरूर लायी
हाँ वो मुराद पाई
मांगी थी जो दुआ

2 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

ख़ूबसूरत कविता के साथ ख़ूबसूरत पेंटिंग
--->
गुलाबी कोंपलें · चाँद, बादल और शाम

ओम आर्य ने कहा…

एक खुब्सूरत भाव के साथ खुबसूरत रचना .....

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