मंज़र यादो का

किसीको गम ने मारा ,
किसीको तक़दीर ने मारा ,
हमको तेरी तस्वीर ने मारा |

क्या हमने पाया,
क्या तुमने पाया
ये खेल है ......
मिलके बिछड़ ने का ........

आओ इस वीराने में बैठकर
चंद बूंद गिराकर अश्को के
बुनले मंज़र यादों का |

किए थे कुछ हमने वादे ,
किए थे कुछ तुमने वादे ,
आओ बुनते है इन्ही से
मंज़र यादो का |

1 टिप्पणी:

Tulsibhai ने कहा…

" bahut hi acchi rachana ...bichde huve premiyo ki aawaz ko darshti behad hi khubsurat rachana "

" dost ke naam "

---- eksacchai { aawaz }

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