तीर चला नज़र का


जब तीर चला नज़र का 
भेद गया मेरे दिल को 
जब पलके उठाई उसने 
हाय! में कैसे संभालू दिल को 
उसकी भोली सी खूबसूरत आँखे 
जैसे समझाती है मुझको 
झील सी गहरायी है इनमे 
तभी तो डूबा लेती है मुझको 
उसकी आँखों की चमक ये कहती है 
छुपा लू दामन में तुझको 
क्यों डूबता जा रहा हूँ मै 
यह ख़बर नही है मुझको 
जब देखे आँखों में अश्क उसके 
क्यों संभाल नही पाया में ख़ुद को 
खुदा से फरियाद करने लगा मै 
दें दें उस नाजनीन के ग़म मुझको 
ऐ ममता अब तू ही बता 
क्या मिलेंगे उसके ग़म मुझको 

 -ममता अग्रवाल

2 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत् सुन्दर रचना है बधाइ

Arshia Ali ने कहा…

Sundar bhav hain.
( Treasurer-S. T. )

हिन्दी में लिखिए

विजेट आपके ब्लॉग पर

बॉलीवुड की पुकार "मैं झुकेगा नहीं साला"

बाहुबली से धीरे धीरे, आई साउथ की रेल रे..... केजीएफ- सुशांत से बिगडा, बॉलीवुड का खेल रे..... ऊपर से कोरोना आया, उसने सबका काम लगाया फिर आया ...

लोकप्रिय पोस्ट